राजनीतिक दल बताएं तो भारत अखंड कैसे रहेगा?

हरियाणा की जमीन पर लगे उद्योगों और स्थापित कंपनियों को 75 प्रतिशत नौकरियां हरियाणवियों को ही देनी पड़ेगी।
पंजाब में पंजाबी ही राज करेंगे-प्रियंका गांधी।
पंजाब में सत्ता हथियाने के लिए आतंकवादियों से भी गठजोड़ पर एतराज नहीं।
राजनीतिक दल बताएं तो भारत अखंड कैसे रहेगा?
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सब जानते हैं कि गत वर्ष किन तौर तरीकों से ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल में लगातार तीसरी बार सत्ता प्राप्त की। ममता चाहती है कि पश्चिम बंगाल के फार्मूले पर ही उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव को मुख्यमंत्री की कुर्सी मिल जाए। इसके लिए ममता ने लखनऊ आकर अखिलेश यादव को टिप्स भी दिए हैं। कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी चाहती है कि पंजाब में पंजाबी ही राज करे। वहीं कवि कुमार विश्वास के बयान को सच मान जाए तो आप आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल तो पंजाब में सत्ता हथियाने के लिए आतंकवादियों से भी गठजोड़ के लिए तैयार हैं। और अब हरियाणा की जमीन पर लगे उद्योगों और स्थापित बड़ी बड़ी कंपनियों को 75 प्रतिशत नौकरियां हरियाणा के निवासियों को ही देनी पड़ेगी।
मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व में चल रही भाजपा सरकार की इस राय से प्राथमिक तौर पर सुप्रीम कोर्ट भी सहमत है, इसलिए हाईकोर्ट के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी गई है। हरियाणा की जमीन पर स्थापित उद्योगों और कंपनियों में हरियाणा के लोगों को 75 प्रतिशत नौकरियां मिलें, इस तर्क से हाईकोर्ट सहमत नहीं था, इसलिए हाईकोर्ट ने 3 फरवरी को फरीदाबाद और गुरुग्राम के उद्योग संघों की याचिका स्वीकार करते हुए हरियाणा की भाजपा सरकार के आदेश पर रोक लगा दी थी।
हाईकोर्ट के आदेश के विरुद्ध ही हरियाणा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद हरियाणा के प्राइवेट सेक्टर में हरियाणवियों को 75 प्रतिशत आरक्षण मिलता रहेगा। भाजपा के नेता पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के उस बयान का विरोध कर रहे है, जिसमें चन्नी ने उत्तर प्रदेश, बिहार और दिल्ली के लोगों को पंजाब में घुसने नहीं देने की बात कही थी, लेकिन वहीं हरियाणा में भाजपा सरकार चाहती है कि हमारी जमीन पर स्थापित उद्योगों और कंपनियों में 75 प्रतिशत नौकरियां हरियाणवियों को मिले। हरियाणा की तरह प्राइवेट सेक्टर में नौकरियों का आरक्षण महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, झारखंड आदि राज्यों ने भी कर रखा है। जब हर राज्य अपना अपना हित सर्वोपरि रखेगा तो फिर भारत अखंड कैसे रहेगा?
हालांकि भारत की अखंडता तो 1947 के समय ही टूट गई थी, लेकिन अब आजादी के 75 वर्ष बाद भी भारत के हालात अच्छे नहीं है। भारत के लोकतंत्र में संघीय व्यवस्था है, लेकिन यदि राज्य अपनी अपनी ढपली बजाएंगे तो आने वाले दिनों में राज्यों के बीच प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी जो देश की एकता और अखंडता के लिए खतरनाक होगी। यदि राज्य प्राइवेट सेक्टर में भी अपने ही निवासियों को नौकरी देंगे तो औद्योगिक दृष्टि से पिछड़े राज्यों के युवाओं का क्या होगा? जब राज्य सिर्फ अपना ही हित देखेंगे तो फिर देश के हित का क्या होगा? जब भाजपा भी हरियाणा में सिर्फ अपने लोगों को हित देख रही है तो फिर पंजाब को लेकर प्रियंका गांधी के बयान पर ऐतराज क्यों जताया जा रहा है? ऐसा प्रतीत होता है कि वोट के खातिर सभी राजनीतिक दल अपना अपना एजेंडा लागू कर रहे हैं। ऐसा न हो कि यह लोकतांत्रिक व्यवस्था एक दिन अखंड भारत के लिए खतरा न बन जाए। राजनीतिक दलों को इस मुद्दे पर गहनता से विचार करना चाहिए।