2008 Ahmedabad serial blasts : देश के न्यायिक इतिहास में पहली बार 38 आरोपियों को फांसी के सजा ।

2008 Ahmedabad serial blasts : देश के न्यायिक इतिहास में पहली बार 38 आरोपियों को फांसी के सजा सुनाई।
26 जुलाई 2008 को अहमदाबाद में 70 मिनट में 21 ब्लास्ट हुए। इनमें 56 की मौत और 200 नागरिक जख्मी हुए। तब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री और अमित शाह गृह मंत्री थे।
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18 फरवरी को देश के न्यायिक इतिहास में यह पहला अवसर रहा जब अहमदाबाद के सेशन कोर्ट ने एक साथ 38 आरोपियों को फांसी तथा 11 को उम्र कैद की सजा सुनाई। अहमदाबाद में 26 जुलाई 2008 को 70 मिनट में 21 स्थानों पर एक के बाद एक बम धमाके हुए। इनमें 56 नागरिकों की मौत हो गई तथा करीब 200 नागरिक घायल हुए। इस घटना के बाद पूरे देश में तनावपूर्ण माहौल हो गया। तब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री और अमित शाह गृह राज्य मंत्री थे। पूरे अहमदाबाद और गुजरात में इन बम धमाकों को लेकर हाहाकार मचा हुआ था। लेकिन अगले कुछ दिनों में ही अहमदाबाद की पुलिस ने 77 आरोपियों को गिरफ्तार किया इनमें से 49 को बम धमाकों का दोषी माना गया। सभी आरोपियों को यूएपीए (गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम) कानून में सजा सुनाई गई है। अदालत ने इस मामले को रेयरेस्ट ऑफ रेयर केस माना है। अदालत ने कहा कि 56 निर्दोष व्यक्ति की मौत के मामले में आरोपियों पर कोई नरमी नहीं बरती जा सकती है। इसके साथ ही कोर्ट ने मृतकों के परिवारों को एक एक लाख तथा घायलों को 50 हजार व 25 हजार रुपए का मुआवजा दिलाये जाने के आदेश भी दिए। इन बम धमाकों के मामले की सुनवाई पूर्व न्यायाधीश ज्योत्सना बेन ने भी की थी। कोर्ट के फैसले के बाद जस्टिस जोत्सना ने बताया कि यह मामला एक तरह से सरकार के विरुद्ध विद्रोह जैसा था। इस विद्रोह में बड़ी संख्या में लोग शामिल थे। उन्होंने स्वयं 300 गवाहों के बयान दर्ज किए। इससे जाहिर था कि आरोपियों ने षडय़ंत्र रचाकर धमाके किए हैं। सरकारी वकील अमित पटेल का कहना रहा कि बम धमाकों में इंडियन मुजाहिद्दीन मॉड्यूल का उपयोग किया गया। हालांकि यह फैसला 14 साल बाद आया है, लेकिन इस फैसले से अपराधी तत्वों को सबक मिलेगा। सेशन कोर्ट का यह ऐतिहासिक फैसला है।
इन्हे मिली फांसी की सजा:
कोर्ट द्वारा 38 को फांसी व 11 को उम्रकैद की सजा सुनाई है, जिनमें जाहिद शेख, इमरान शेख, इकबाल शेख, शमशुद्दीन शेख, जावेद शेख,आसिफ शेख, अतीक खिलजी, मेंहदी अंसारी, शफीक अंसारी, रफीउद्दीन, आरिफ मिर्जा, कयूमुद्दीन, सीबली मुस्लिम, सफदर नागोरी, हाफिज मुल्ला, साजिद मंसूरी, अफजल उस्मानी , सरफुद्दीन ईदी, मो सादिक शेख, मो. आरिफ शेख, अकबर चौधरी, फजल दुरानी, नौशाद सैयद, अहमद बरेलवी, रफीक आफीदी, आमिन शेख, मो.मोबिन खान, मो.अंसार, गयासुद्दीन अंसारी, आरिफ कागजी, उस्मान, यूनुस मंसूरी, इमरान पठान, अबूबसर शेख, अब्बास समेजा, सैफू अंसारी, मो. सैफ शेख, जीशान शेख, जियाउर रहमान, तनवीर पठान, अबरार मणियर, शादुली करीम, तौसिफ पठान, मो. अली अंसारी, मो.इस्माइल, कमरुद्दीन,आलिम काजी, अनीक सैयद व मो.शकील है।
देश के न्यायिक इतिहास में पहली बार 38 आरोपियों को फांसी के सजा ।