‘लक्ष्य शून्य डंपसाइट’: चंडीगढ़ में डड्डूमाजरा डंपसाइट का उपचार

‘लक्ष्य शून्य डंपसाइट’: चंडीगढ़ में डड्डूमाजरा डंपसाइट का उपचार

“… स्वच्छ भारत मिशन-शहरी 2.0 का लक्ष्य एक कचरा मुक्त शहर बनाना, एक शहर को पूरी तरह से कचरा मुक्त बनाना है”

– नरेन्द्र मोदी, प्रधानमंत्री

चंडीगढ़ के ‘धरोहर शहर, की स्थापना 1953 में हुई थी और इसकी योजना प्रसिद्ध स्विस-फ्रांसीसी वास्तुकार ली कॉर्बूसियर द्वारा बनाई गई थी। अपनी बेदाग शहरी योजना और डिजाइन के लिए यह विशिष्ट शहर है। यह शहर अपने खुले सार्वजनिक स्थानों, पर्याप्त हरे भरे आवरणों और आवासीय और वाणिज्यिक क्षेत्रों के लिए सख्त मानदंडों के लिए प्रसिद्ध है, जिन्होंने आज भी शहर की पवित्रता को बनाए रखा है।

शहर में 2,500 से अधिक सामुदायिक और सार्वजनिक शौचालय सीटें प्रदान की गई हैं, जिन्होंने सार्वजनिक स्थानों पर लोगों के जीवन को स्वच्छ और सम्मानजनक बना दिया है। 500 वाहनों का एक मजबूत बेड़ा शहर में कचरे के 100 प्रतिशत डोर-टू-डोर संग्रह के लिए लगा हुआ है और स्मार्ट एकीकृत कमांड और नियंत्रण केंद्र से निगरानी की जा रही है। स्रोत पर कचरे को अलग करने वाले 99 प्रतिशत वार्डों के साथ कचरे को अलग करने की प्रथा को बढ़ावा देने के लिए नागरिकों को शामिल करने और जागरूकता फैलाने की विभिन्न गतिविधियां शुरू की जा रही हैं। शहर में हर दिन 521 मीट्रिक टन (एमटी) कचरा उत्पन्न होता है, जिसमें ज्यादातर 1,800 पार्कों में फैले हरित आवरण के कारण बागवानी का कचरा होता है, और इसे सालाना 4,000 क्विंटल खाद में संसाधित करता है। स्वच्छ भारत मिशन-शहरी 2.0 के तत्वावधान में शहर को 2021 में कचरा मुक्त शहरों के लिए हाल ही में संपन्न स्टार रेटिंग आकलन में 1-स्टार कचरा मुक्त के रूप में प्रमाणित किया गया है। इसे सफाई मित्र सुरक्षा चैलेंज 2021 में ‘सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाला केंद्र शासित प्रदेश’ पुरस्कार जीतकर ‘मैनहोल को मशीन होल’ में बदलने की अपनी प्रतिबद्धता के लिए भी मान्यता दी गई थी।

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दशकों तक, शहर का कचरा डड्डूमाजरा डंपसाइट तक जाता था, जिसमें अब लगभग 7.7 लाख मीट्रिक टन पुराना कचरा होने का अनुमान है। स्वच्छ भारत मिशन-शहरी 2.0 के हिस्से के रूप में, केंद्र शासित प्रदेश ने मिशन अवधि के भीतर ‘लक्ष्य शून्य डंपसाइट्स’ प्राप्त करने का संकल्प लिया है और डड्डूमाजरा डंपसाइट के 8 एकड़ भूमि में पड़े 7.7 लाख (एमटी) पुराने कचरे को हटाने की चुनौती तैयार की है। चंडीगढ़ के सबसे बड़े और एकमात्र डंपसाइट द्वारा कब्जा की गई भूमि का मूल्य लगभग 80 करोड़ रुपए है और अब डंपसाइट को पूरी तरह से ठीक करने और शहर के निवासियों को एक स्वस्थ भविष्य प्रदान करने के प्रयास चल रहे हैं।

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आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय ने डड्डूमाजरा डंपसाइट में 7.7 लाख मीट्रिक टन कचरे के उपचार के लिए केंद्र शासित प्रदेश-यूटी द्वारा प्रस्तुत 28.5 करोड़ रुपए के प्रस्तावों को मंजूरी दे दी है। यह पहल चंडीगढ़ के निवासियों को बीमारियों और कचरे की दुर्गंध से राहत देने के लिए तैयार है और यह सुनिश्चित करेगी कि शहर अपने पुराने कचरे को दूर करने और आने वाले समय में 5-स्टार कचरा मुक्त बनने की राह पर है।