बजट के बाद ‘लिविंग नो सिटीजन बिहाइंड – ईजिंग लैंड गवर्नेंस थ्रू एंड टू एंड डिजिटाइजेशन’ विषय पर वेबिनार का आयोजन

बजट के बाद ‘लिविंग नो सिटीजन बिहाइंड – ईजिंग लैंड गवर्नेंस थ्रू एंड टू एंड डिजिटाइजेशन’ विषय पर वेबिनार का आयोजन

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने ग्रामीण विकास पर केंद्रीय बजट के सकारात्मक प्रभाव पर एक वेबिनार को संबोधित किया। यह इस श्रृंखला का दूसरा वेबिनार है। इस अवसर पर संबंधित केंद्रीय मंत्री,राज्य सरकारों के प्रतिनिधि और अन्य हितधारक उपस्थित थे।

केंद्रीय इस्पात और ग्रामीण विकास राज्य मंत्री श्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने ‘ईज़िंग लैंड गवर्नेंस थ्रू एंड टू एंड डिजिटाइजेशन’ विषय पर ब्रेक आउट सत्र को संबोधित करते हुए आम नागरिकों को लाभ पहुंचाने के लिए, जैसा कि प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कल्पना की थी, भूमि अभिलेखों के डिजिटलीकरण को पूरा करने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि डिजिटल इंडिया भूमि अभिलेख सुधार कार्यक्रम (डीआईएलआरएमपी) के तहत अब तक 6,56,149 गांवों में से 6,10,103 गांवों के सही अभिलेखों को कम्प्यूटरीकृत किया जा चुका है जो कि 93 प्रतिशत है। कुल 1,62,65,879 मानचित्रों में से 1,11,33,332 मानचित्रों का डिजिटलीकरण किया जा चुका है जो कि 68 प्रतिशत है। श्री कुलस्ते ने यह भी बताया कि कई भाषाओं में भूमि अभिलेख उपलब्ध कराने के लिए बहुभाषी सॉफ्टवेयर एप्लीकेशन शुरू किया गया है, जिसके माध्यम से वर्ष 2022-23 तक आठवीं अनुसूची की सभी भाषाओं में भूमि अभिलेख उपलब्ध करा दिए जाएंगे। इससे वित्तीय निवेश और देश के एकीकरण में भाषाई बाधा की समस्या का समाधान होगा।

ब्रेक आउट सत्र के संदर्भ को स्थापित करते हुए भूमि सुधार विभाग के सचिव श्री अजय तिर्की ने विस्तार से बताया और केंद्र एवं राज्य सरकारों द्वारा चलाई जा रही कल्याणकारी योजनाओं के कई लाभों का फायदा उठाने के लिए नागरिकों के पास कम्प्यूटरीकृत और आसानी से सुलभ भूमि अभिलेख होने की आवश्यकता और महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि इससे भूमि विवाद में कमी,बैंक ऋण प्राप्त करना,भ्रष्टाचार की जांच करना,भूमि संबंधी मुद्दों के लिए सरकारी कार्यालयों का चक्कर लगाने आदि में कमी आएगी।

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भूमि सुधार विभाग के अपर सचिव श्री हुकुम सिंह मीणाने डीआईएलआरएमपी योजना के माध्यम से आम नागरिक को उपलब्ध कराए जाने वाले लाभों के बारे में जानकारी दी,जिसे 100% केंद्रीय वित्त पोषण के साथ दिनांक 01.04.2016 से लागू किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि भूमि सुधार विभाग द्वारा विकसित राष्ट्रीय जेनरिक दस्तावेज पंजीकरण प्रणाली (एनजीडीआरएस) सॉफ्टवेयर की वजह से किस प्रकार पंजीकरण कार्यालय में आने वालों की संख्या 6-7 गुना से घटकर 1-2 गुना रह गई है और भूमि के पंजीकरण से पहले विभिन्न कार्यालयों का चक्कर लगाने को समाप्त कर दिया गया है। एनजीडीआरएस 4.00 करोड़ रुपये की राशि के साथ विकसित हुआ जिसके परिणामस्वरूप पूरे भारत में 15,900 करोड़ रुपये से अधिक राजस्व का संग्रह हुआ है। उन्होंने यूएलपीआईएन के बारे में बताते हुए कहा कि इसकी मदद से बिना किसी छल-कपट (डुप्लीसिटी) के प्रत्येक भूमि पार्सल के लिए एक अद्वितीय आईडी रखना संभव हो सका है।छल-कपट (डुप्लीसिटी) की बिना किसी गुंजाइश केयह अद्वितीय संख्या एकल खिड़की के जरिए भूमि अभिलेखों से संबंधित नागरिक सेवाओं के वितरण को संभव बनाता है,सभी लेनदेन की विशिष्टता लागू करता है,भूमि अभिलेख को अद्यतन करता है, पंजीकरण/दाखिल-खारिज पर स्वत:अपडेट करता है और इस तरह संपत्तियों के सीमा विवादों को भी कम करता है।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग में वैज्ञानिक-जी और सलाहकार डॉ. पी.एस. आचार्य ने यूएलपीआईएन के क्षेत्र अनुप्रयोगों के बारे में बताया। उन्होंने यूएलपीआईएन के कार्यान्वयन और इसकी सृजन की प्रक्रिया के बारे में बताया। साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि वित्तीय संस्थानों,अदालतों,फसल बीमा,उर्वरक सब्सिडी आदि जैसे अन्य क्षेत्रों को सेवाएं प्रदान करने के लिए यूएलपीआईएन का कैसे उपयोग किया जाए।

सी-डैकके निदेशक श्री अजय कुमार ने अप्रैल, 2022 से पूरे भारत में संविधान की आठवीं अनुसूची में उल्लिखित 22 क्षेत्रीय भाषाओं में भूमि अभिलेखों के लिप्यंतरण की व्याख्या की। उन्होंने बताया कि कैसे यह नागरिकों और हितधारकों को विशेष रूप से संभावित स्टार्ट-अप,निवेशकों,उद्योग आदि को एक खुली राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था का लाभ आसानी से प्राप्त करने के लिए लाभान्वित करने वाला है।

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मैपमाईइंडिया के सीईओ श्री रोहन वर्मा ने भूमि अभिलेखों के भू-स्थानिक डेटा के जीआईएस अनुप्रयोग और इसके लाभों पर एक प्रस्तुति दी। उन्होंने बताया कि कैसे यूएलपीआईएन मानचित्रों और भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी उत्पादों और प्लेटफार्मों के अपने व्यापक सूट के साथ मिलकर नागरिक-केंद्रित सेवाओं में क्रांति ला सकते हैं और स्वास्थ्य देखभाल,ई-कॉमर्स,दूरसंचार और उपयोगिताओं,खुदरा,परिवहन और लॉजिस्टिक्स आदि जैसे क्षेत्रों में व्यापार और सरकार के कामकाज को डिजिटल रूप से बदल सकते हैं।

भारत के पूर्व महासर्वेक्षक लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) गिरीश कुमार ने एसवीएएमआईटीवीए- स्वामित्व के जरिए संपत्ति कार्ड बनाने की प्रक्रिया और नागरिकों को संपत्ति से संबंधित विवादों में कमी,बैंकों से ऋण लेना सुनिश्चित करने, उन्हें संपत्ति का सही मालिक बनने में सक्षम बनाने और लालडोरा के चंगुल से मुक्ति आदि जैसे इसके लाभों के बारे में बताया।

भू-स्थानिक मीडिया संचार के अध्यक्ष श्री संजय कुमार ने रीयल-टाइम अपडेशन के आधार पर एक मजबूत एकीकृत भूमि सूचना प्रणाली विकसित करने के लिए भूमि अभिलेख प्रबंधन की प्रक्रियाओं के सरलीकरण में भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी के लाभों के बारे में जानकारी दी।

भारतीय सर्वेक्षण और मानचित्रण के अध्यक्ष और फिक्की के सलाहकार श्री धीरज शर्मा ने विभिन्न सरकारी योजनाओं में ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी के उपयोग पर चर्चा की।

वक्ताओं/विशेषज्ञों द्वारा प्रस्तुतीकरण के बाद सवाल-जवाब सत्र का आयोजन किया गया।

सत्र का समापन करते हुए भूमि सुधार विभाग के सचिव ने इस प्रकार सारांश पेश किया:

एसवीएएमआईटीवीए- स्वामित्व से रोजगार सृजन होगा यानी जीआईएस डिजिटलीकरण, स्टार्ट-अप, एमएसएमई, सेवा कंपनियां आदि आएंगी।