बजट-बाद वेबिनार- ‘लीविंग नो सिटिजन बिहाइंड’ संपन्न

प्रधान मंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने आज बजट-बाद वेबिनार ‘लीविंग नो सिटीजन बिहाइंड’ को संबोधित किया। केंद्रीय मंत्रियों, राज्य सरकारों के प्रतिनिधियों, उद्योग जगत के नेताओं, नीति निर्माताओं, सरकारी अधिकारियों और सामाजिक संस्थानों के प्रतिनिधियों सहित 1,000 से अधिक प्रतिभागियों ने ग्रामीण विकास पर केंद्रीय बजट 2022-23 के सकारात्मक प्रभाव पर विचार-विमर्श किया।

प्रधानमंत्री के संबोधन ने वेबिनार की बुनियाद रखी। उन्होंने कहा, ‘बजट ने सरकारी विकास योजनाओं के पूरे फायदे के लक्ष्य को हासिल करने और शत-प्रतिशत आबादी तक बुनियादी सुविधाएं पहुंचाने के लिए एक स्पष्ट रूपरेखा दी है।’ प्रधानमंत्री ने प्रतिभागियों को विशेष निर्देश दिए कि ग्रामीण क्षेत्रों में योजनाओं के सुचारु क्रियान्वयन सुनिश्चित करने के लिए हमें अपने गांवों के वास्तविक विकास के लिए ‘आउटकम’ के बजाय ‘आउटपुट’ पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है। उन्होंने स्थानीय स्तर पर प्रतिस्पर्धी भावना जगाने और साइलो को तोड़ने के लिए नवोन्‍मेषी दृष्टिकोण को अपनाने का भी आह्वान किया। उन्‍होंने अपने संबोधन के अंत में कहा, ‘आप पूरे दिन चर्चा करने जा रहे हैं कि गांवों में बदलाव लाने के लिए बजट के एक-एक पैसे का अधिकतम उपयोग कैसे किया जाए। अगर हम ऐसा कर पाए तो कोई भी नागरिक पीछे नहीं रहेगा।’

प्रधानमंत्री के संबोधन के बाद ग्रामीण विकास मंत्रालय के सचिव श्री नागेंद्र नाथ सिन्हा ने ग्रामीण विकास पर केंद्रित विभिन्न सरकारी योजनाओं के बजट कार्यान्वयन रणनीतियों पर एक प्रस्तुति दी। इस दौरान निम्नलिखित योजनाओं पर चर्चा की गई:

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उपरोक्त योजनाओं के कार्यान्वयन के लिए जिम्मेदार 10 प्रतिभागी मंत्रालयों और विभागों में  ग्रामीण विकास मंत्रालय (एमओआरडी), पंचायती राज मंत्रालय (एमओपीआर), आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय (एमओएचयूए), पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय (एमओपीजी), इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई), पूर्वोत्‍तर क्षेत्र विकास मंत्रालय (एमओडीओएनईआर), पेयजल एवं स्वच्छता विभाग (डीडीडब्‍ल्‍यूएस), सीमा प्रबंधन विभाग (डीओबीएम), डाक विभाग (डीओपी), दूरसंचार विभाग और भूमि संसाधन विभाग (डीओएलआर) शामिल हैं।

इस वेबिनार को 6 सत्रों में विभाजित किया गया था जिनमें अमृतकाल, हर घर जल एवं हर घर उज्‍ज्‍वला, सभी ग्रामीण बस्तियों के लिए सड़क एवं इंफोवे (इंटरनेट) कनेक्टिविटी, सभी ग्रामीण गरीबों और विशेष रूप से महिलाओं को आजीविका विकल्पों एवं वित्तीय सेवाओं तक पहुंच सुनिश्चित करना, एंड-टू-एंड डिजिटाइजेशन के जरिये भूमि प्रशासन को सुगम बनाना, दूरस्थ एवं पिछड़े क्षेत्रों में विकास योजनाओं को पूरी तरह लागू करना शामिल हैं। इन सत्रों के दौरान संबंधित विषयों पर विस्तार से विचार-विमर्श किया गया और विभिन्न विशेषज्ञों एवं हितधारकों ने अपने विचार व्यक्त किए। विस्तृत विचार-विमर्श के बाद निष्कर्ष निकाला गया और उसे ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री श्री गिरिराज सिंह की अध्यक्षता में आयोजित समापन सत्र में प्रस्तुत किया गया।

 

वेबिनार के प्रमुख निष्कर्ष एवं सुझाव निम्नलिखित हैं:

 

 

 

वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम के तहत आजीविका सृजन, सड़क संपर्क, आवास, ग्रामीण बुनियादी ढांचा, नवीकरणीय ऊर्जा, टेलीविजन और ब्रॉडबैंड कनेक्शन से संबंधित कार्यक्रम किए जाने चाहिए। इको सिस्‍टम के संरक्षण और पुनर्सृजन पर विशेष जोर दिया जाना चाहिए। आर्थिक गतिविधियों के लिए पर्यटन एवं संस्कृति पर जोर दिया जाए। इनके लिए कौशल विकास, उद्यमिता एवं वित्तीय समावेशन को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। ग्राम कार्य योजना तैयार की जानी चाहिए जिसमें विभिन्न योजनाओं में तालमेल स्‍थापित करने पर ध्‍यान दिया जाना चाहिए और गांवों के बीच एक स्वस्थ प्रतिस्पर्धा स्थापित की जानी चाहिए। उचित निगरानी एवं मूल्यांकन ढांचा स्थापित किया जाना चाहिए और कार्यान्वयन एवं निगरानी में लोगों की भागीदारी को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।

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पीएमडीईवीआईएनई के तहत वर्तमान में एनईसीटीएआर ने कुछ परियोजनाओं को अपनाया है जैसे बनाना सूडो-स्‍टेम यानी केला छद्म तना, जैविक खेती आदि। यह सुझाव दिया गया कि स्थानीय आबादी के लिए उपयुक्त दर्जी कौशल परियोजनाओं को लिया जाना चाहिए। कोयले/ ईंधन के विकल्प के तौर पर बायोमास में अपार संभावनाएं हैं। कृषि प्रसंस्करण, उचित परिवहन प्रणाली के साथ सिंचाई को आर्थिक गतिविधियों में वृद्धि के मद्देनजर प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। इनपुट और आउटपुट में तालमेल के लिए विभिन्न राज्यों के बीच सहयोग को प्रोत्साहित किया जा सकता है। एकीकृत सुअर पालन, मछली पालन और कुक्कुट पालन को भी प्रोत्साहित किया जा सकता है। मौजूदा सरकारी योजनाओं के साथ बेहतर तालमेल स्‍थापित करने का भी सुझाव दिया गया।

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