केंद्रीय संस्कृति मंत्री श्री जी. किशन रेड्डी कल हम्पी में भारतीय मंदिर वास्तुकला ‘देवायतनम’ पर अपनी तरह के पहले सम्मेलन का उद्घाटन करेंगे

 

प्रमुख आकर्षण :

 

     आजादी का अमृत महोत्सव के तत्वावधान में, भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के अंतर्गत भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने कर्नाटक के हम्पी में ‘देवायतनम’ – भारतीय मंदिर वास्तुकला की एक लंबी यात्रा विषय पर 25 – 26 फरवरी, 2022 को दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया है। केंद्रीय संस्कृति, पर्यटन और पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री श्री जी. किशन रेड्डी सम्मेलन का उद्घाटन करेंगे। केंद्रीय संस्कृति राज्य मंत्री श्री अर्जुन राम मेघवाल भी पहले से रिकॉर्ड किए गए संदेश के माध्यम से वर्चुअल रूप से सम्मेलन को संबोधित करेंगे।

      सम्मेलन का उद्देश्य मंदिर के दार्शनिक, धार्मिक, सामाजिक, आर्थिक, तकनीकी, वैज्ञानिक, कला और स्थापत्य पहलुओं पर विचार-विमर्श करना है। सम्मेलन में नागर, वेसर, द्रविड़ और कलिंग जैसी अन्य मंदिर वास्तुकला की विभिन्न शैलियों के विकास और प्रगति पर एक संवाद भी आयोजित किया जाएगा।

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As part of #AzadiKaAmritMahotsav, @MinOfCultureGoI to organise one of its Conference, “DEVĀYATANAM – An Odyssey of Indian Temple Architecture” on 25th – 26th Feb, 2022 at the Pattabhirama Temple,Hampi.#EBSB#Devayatanam #templearchitecture pic.twitter.com/yosLfGZ7W5

A two-day conference, ‘Devayatnam – An Odyssey of Indian Temple Architecture’ by ASI of @MinOfCultureGoI under #AmritMahotsav on 25th & 26th February to learn about the great Indian temples and their significance-past and present.#EBSB#Devayatanam #templearchitecture pic.twitter.com/akGYe3wQ8Y

     उद्घाटन सत्र हम्पी के पट्टाभिराम मंदिर में होगा, जबकि शैक्षणिक सत्र हम्पी में कन्नड़ विश्वविद्यालय के सभागार में आयोजित किया जाएगा। सम्मेलन में प्रख्यात विद्वान भारत के सुप्रसिद्ध मंदिरों के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करेंगे। चर्चा के विभिन्न सत्रों में मंदिर- निराकार से साकार रूप तक, मंदिर- मंदिर वास्तुकला का विकास, मंदिर-क्षेत्रीय विकास स्वरूप और शैलियाँ, मंदिर-कला, संस्कृति, शिक्षा, प्रशासन और अर्थव्यवस्था का केंद्र, मंदिर-पर्यावरण का रक्षक, मंदिर- दक्षिण पूर्व एशिया में संस्कृति का प्रसार पर विचार विमर्श किया जाएगा।

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    यह सम्मेलन विद्वानों, भारतीय इतिहास, पुरातत्व, संस्कृति और वास्तुकला के छात्रों और आम जनता के लिए लाभदायक होगा। सम्मेलन का उद्देश्य विद्वानों और छात्रों में समान रूप से रुचि पैदा करना, हमारी विरासत को सीखना और उसका सम्मान करना है।

मंदिर हमेशा अपने तरीके से भारतीय जीवन और इसके ईकोसिस्टम का एक अभिन्न अंग रहा है। मंदिर निर्माण का अभ्यास न केवल उपमहाद्वीप में एक पवित्र कार्य के रूप में किया गया था, बल्कि यह विचार दक्षिण-पूर्व और पूर्वी एशिया जैसे निकटतम पड़ोस में भी गया था; इसलिए, यह एक दिलचस्प अध्ययन बन जाता है कि कैसे मंदिर वास्तुकला की कला और तकनीक भारत से अन्य क्षेत्रों में फैली और इस कला को कैसे संशोधित किया गया।

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