7th Pay Commission : मोदी सरकार ने डिफेंस कर्मचारियों की बढ़ाई सैलरी, इस भत्ते में बढ़ाए 8000 रुपये

7th Pay Commission: मोदी सरकार ने डिफेंस कर्मचारियों

की बढ़ाई सैलरी, इस भत्ते में बढ़ाए 8000 रुपये

केंद्र सरकार ने रक्षा नागरिक कर्मचारियों (Defense Civilian employees) के वेतन में इजाफा कर दिया है। मोदी सरकार ने डिफेंस के सिविलियन कर्मचारियों का जोखिम भत्ता (Risk Allowance) बढ़ा दिया है। यह भत्ता अलग-अलग पोस्ट के हिसाब से होता है। यानी ये भत्ता आपकी पोस्ट के आधार पर मिलता है। सालाना आधार पर रिस्क अलाउंस को करीब 1000 रुपये से बढ़ाकर 8000 रुपये कर दिया गया है। ये रिवीजन 90 रुपये से लेकर 675 रुपये महीना किया गया है। ये नवंबर 2020 महीने से लागू मानी जाएगी।

वर्तमान में जोखिम भत्ता खतरनाक नौकरियों में लगे कर्मचारियों को दिया जाता है या जिनके काम का समय के साथ स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है। रक्षा नागरिक कर्मचारियों के मामले में उन्हें अकुशल श्रमिकों, अर्ध-कुशल श्रमिकों, कुशल श्रमिकों, नाइट्रो ग्लिसरीन तैयार करने में लगे अराजपत्रित अधिकारी और नाइट्रो ग्लिसरीन की तैयारी में लगे राजपत्रित अधिकारियों के रूप में अलग-अलग वर्ग में डाला गया है। इसका पेमेंट भूमिगत नालों, सीवर लाइनों की सफाई में लगे सफाई कर्मचारियों और सफाई कर्मचारियों के साथ-साथ ट्रेंचिंग ग्राउंड और संक्रामक रोग अस्पतालों में काम करने वाले कर्मचारियों को भी किया जाता है।

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भारत सरकार में अंडर सेक्रेटरी विमला विक्रम के अनुसार रक्षा विभाग के असैनिक कर्मचारियों के जोखिम भत्ते को उनकी श्रेणी के आधार पर बढ़ाया गया है। अब अकुशल कर्मियों को 90 रुपये प्रति माह का जोखिम भत्ता दिया जाएगा। जबकि सेमी-कुशन कर्मियों को 135 रुपये, कुशल कर्मियों को 180 रुपये, अराजपत्रित अधिकारी को 408 रुपये और राजपत्रित अधिकारी को 675 रुपये प्रति माह मिलेगा। यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि यह भत्ता केवल उन नागरिक कर्मचारियों के लिए होगा जो इसके हकदार हैं। यह बढ़ोतरी 3 नवंबर 2020 से लागू मानी जाएगी।

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एच एस अखिल भारतीय लेखा समिति के महासचिव तिवारी ने कहा कि सरकार रक्षा विभाग के कुछ सिविल कर्मचारियों को जोखिम भत्ता देती है। यह पोस्ट के अनुसार बदलता रहता है। चूंकि इसे 2020 से लागू किया गया है, इसलिए कर्मचारियों को भी अच्छा बकाया मिलेगा। तिवारी के मुताबिक 7वां वेतनमान लागू होने के समय जोखिम भत्ता भी तय किया गया था और समय-समय पर इसे बढ़ाया जाता रहा है।