महामारी के बाद के समय के लिए हमारे स्वास्थ्य सेवा प्रणालियों के पुनर्निर्माण, पुनर्गठन और पुनर्रचना की जरूरत है: उपराष्ट्रपति

उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडु ने आज 21वीं सदी की महामारी (कोविड) के बाद के समय के लिए हमारी स्वास्थ्य प्रणालियों के पुनर्निर्माण, पुनर्गठन और पुनर्निवेश की जरूरत पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि भारत के स्वास्थ्य ढांचे को मजबूत करने व लोगों की भलाई सुनिश्चित करने के इस विशाल कार्य में सभी हितधारक यानी सार्वजनिक व निजी क्षेत्र के एक साथ आगे आएं।

उपराष्ट्रपति ने पहले से रिकॉर्ड किए गए एक वीडियो संदेश के माध्यम से नैटहेल्थ के 8वें वार्षिक सम्मेलन को संबोधित किया। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि महामारी के दौरान हमने अपनी स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में चुनौतियों से संबंधित कई मूल्यवान सीख प्राप्त की है और इस अनुभव का उपयोग कोविड के बाद के समय में एक नए चरण के लिए एक लचीली स्वास्थ्य प्रणाली की फिर से कल्पना करने का आह्वाहन किया है।

उपराष्ट्रपति ने इसका उल्लेख किया कि कोविड-19 महामारी ने पूरे विश्व में स्वास्थ्य प्रणालियों को चुनौती दी है। उन्होंने कहा कि भारत ने एक टीम के रूप में इस महामारी का अद्भुत तरीके से संघर्ष किया और आपदा का सामना करने में काफी लचीलापन दिखाया है। उपराष्ट्रपति ने आगे कहा, “यह टीकों के स्वदेशी विकास व 180 करोड़ से अधिक खुराक लगाने में दिखता है, जो एक शानदार उपलब्धि और एक वैश्विक मानक है।” इसके अलावा श्री नायडु ने सार्वजनिक और निजी, दोनों क्षेत्रों के भारतीय स्वास्थ्यकर्मियों की प्रतिबद्धता व त्याग की भी प्रशंसा की।

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उपराष्ट्रपति ने स्वास्थ्य में सार्वजनिक व्यय को बढ़ाने की अत्यधिक जरूरत का उल्लेख करते हुए अपनी इच्छा व्यक्त की कि क्षमता निर्माण जैसे कि डब्ल्यूएचओ के मानकों के अनुरूप डॉक्टर-जनसंख्या अनुपात में वृद्धि के साथ व्यय में बढ़ोतरी की जाए।  

श्री नायडु ने शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के बीच स्वास्थ्य सुविधाओं में स्थानिक असमानता को तत्काल दूर करने का आह्वाहन किया। उन्होंने आगे ग्रामीण भारत में प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा को तत्काल प्रोत्साहन देने की जरूरत पर जोर दिया। भारत में लोगों द्वार स्वास्थ्य पर भारी खर्च को कम करने की आवश्यकता का उल्लेख करते हुए उन्होंने इस संबंध में आयुष्मान भारत, जन औषधि केंद्रों और जिला अस्पतालों की संख्या बढ़ाने के प्रस्ताव सहित विभिन्न सरकारी कार्यक्रमों की सराहना की।

उपराष्ट्रपति ने आगे कहा कि कोविड-19 महामारी ने डिजिटल तकनीकों का उपयोग करने की क्षमता दिखाई है। इसके अलावा उन्होंने स्वास्थ्य सेवा में सुधार के लिए आईसीटी में अपनी मजबूती का लाभ उठाने का सुझाव दिया। श्री नायडु ने कहा, “डिजिटल हेल्थ और टेलीहेल्थ सेवाओं का सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में विस्तार किया जाना चाहिए, जिससे गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य देखभाल के लिए समान पहुंच सुनिश्चित हो सके।”

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श्री नायडु ने भारत में बढ़ते गैर-संक्रमणकारी रोगों, जो देश में लगभग 60 फीसदी मौतों के कारण हैं, की चिंताजनक बढ़ोतरी को नियंत्रित करने पर अधिक ध्यान देने का आह्वाहन किया। इन ‘जीवनशैली से संबंधित रोगों’ के बारे में लोगों में अधिक जागरूकता उत्पन्न करने की जरूरत पर जोर देते हुए उन्होंने स्वास्थ्य विशेषज्ञों और सांस्कृतिक हस्तियों से इसका नेतृत्व करने का अनुरोध किया।

उपराष्ट्रपति ने सार्वजनिक स्वास्थ्य के महत्वपूर्ण विषय पर चर्चा करने के लिए इसके प्रमुख हितधारकों को एक मंच पर लाने को लेकर नैटहेल्थ को बधाई दी। इसके अलावा श्री नायडु ने आयोजकों, प्रतिभागियों और हेल्थकेयर फेडरेशन ऑफ इंडिया के सदस्यों को उनके उत्कृष्ट प्रयासों के लिए शुभकामनाएं दीं।

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