राष्ट्रीय समुद्रपारीय छात्रवृत्ति स्कीम के एक केन्द्रीय क्षेत्र की स्कीम होने के नाते इस विभाग में राज्य-वार आंकडे नहीं रखे जाते हैं। तथापि, राष्ट्रीय समुद्रपारीय छात्रवृत्ति (एनओएस) स्कीम के अंतर्गत आने वाली छात्रवृत्तियों की कुल संख्या के लिए चयनित छात्रों की संख्या से संबंधित पिछले पांच वर्षों का वर्ष-वार ब्यौरा निम्नवत है:
क्र.सं.
वर्ष
निर्धारित स्लॉट संख्या
चयनित उम्मीदवार
1
2016-17
100
108*
2
2017-18
100
183*
3
2018-19
100
100
4
2019-20
100
100
5
2020-21
100
100
6
2021-22
125
125
*पिछले वर्षों के रिक्त स्लॉट आगे ले जाए गए थे।
वर्ष 2016-17 से 2021-22 (दिनांक 10.03.2022 तक) के दौरान वितरित कुल निधियां 123.40 करोड़ रुपए हैं, जिनके वर्ष-वार आंकड़े निम्नवत हैं:
क्र.सं.
वर्ष
व्यय (रुपए करोड़ में)
1
2016-17
14.02
2
2017-18
4.59
3
2018-19
5.97
4
2019-20
28.56
5
2020-21
32.92
6
2021-22
37.34#
#दिनांक 10.03.2022 तक
इस स्कीम के दिशा-निर्देशों के अनुसार, सभी चयनित छात्रों, जिन्होंने संबंधित विदेशी विश्वविद्यालयों में दाखिला लिया है, को निर्धारित प्रक्रिया का अनुपालन करते हुए विदेश स्थित भारतीय मिशनों के माध्यम से प्रतिवर्ष निधियां वितरित की गई हैं।
यह विभाग एनओएस स्कीम के दिशा-निर्देशों की समय-समय पर समीक्षा करता है और प्रक्रियाओं को सरल बनाने तथा क्रियाविधि को और अधिक पारदर्शी बनाने के लिए उसमें बदलाव करता है। यह महसूस किया गया था कि भारतीय संस्कृति, विरासत, इतिहास और समाज शास्त्र से संबंधित विषयों/पाठ्यक्रमों,के लिए भारतीय विश्वविद्यालय इन विषयों पर आधारित अनुसंधान को दिशा-निर्देशित करने के लिए पूर्णत: सुसज्जित हैं और इन विषयों विशेष के लिए अधिकतर संसाधन देश के अंदर ही उपलब्ध हैं, इनके लिए विदेश में जाकर अध्ययन करने हेतु समुद्रपारीय छात्रवृत्ति की कोई आवश्यकता नहीं है। हालांकि इन पाठ्यक्रमों के अध्ययन के दौरान भारत में बार-बार फील्ड दौरे करने की अपेक्षा होती है, अत: यह कार्य स्वयंभारत में ही बेहतर ढंग से किया जा सकता है और ऐसे छात्र इस विभाग द्वारा कार्यान्वित अन्य छात्रवृत्ति स्कीमों के अंतर्गत अपनी पात्रता के अनुसार छात्रवृत्ति/फेलोशिप का लाभ उठा सकते हैं। इसके अलावा, मानविकी/समाज शास्त्र के उप-क्षेत्रों से उम्मीदवारों का चयन, उन उम्मीदवारों जो कानून, अर्थशास्त्र, मनोविज्ञान और अन्य विषयों,जिनके लिए अंतरराष्ट्रीय अध्ययन के अनुभव की आवश्यकता है,में अध्ययन करना चाहते हैं, के लिए अभी भी खुला है।
इस प्रश्न का उत्तर सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री श्री ए. नारायणस्वामी द्वारा आज सदन में दिया गया।
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MG/DP/RK