सेमीकंडक्टर विनिर्माण में वैश्विक कंपनियों ने काफी दिलचस्पी दिखाई, क्योंकि इस कार्यक्रम के तहत उनके बड़ी संख्या में आवेदन प्राप्त हुए: अश्विनी वैष्णव

केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स तथा सूचना प्रौद्योगिकी, संचार और रेल मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि सरकार ने 15 दिसंबर, 2021 को 760 बिलियन रुपये के परिव्यय के साथ भारत में सतत सेमीकंडक्टर के विकास और डिस्पले विनिर्माण इकोसिस्टम के विकास के लिए सेमीकॉन इंडिया कार्यक्रम को (भारत में सेमीकंडक्टर्स और डिस्प्ले मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम के विकास के लिए कार्यक्रम) मंजूरी दी है। “सेमीकंडक्टर विनिर्माण, देश की रणनीतिक जरूरतों को पूरा करने के लिए महत्वपूर्ण है, जिसने वैश्विक कंपनियों की रुचि आकर्षित की है क्योंकि इस कार्यक्रम के लिए वैश्विक कंपनियों से बड़ी संख्या में आवेदन प्राप्त हुए हैं।”  श्री वैष्णव कल शाम आयोजित इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) से संबद्ध संसदीय सलाहकार समिति के सदस्यों को संबोधित कर रहे थे। इस बैठक में इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय में राज्य मंत्री श्री राजीव चंद्रशेखर और संचार मंत्रालय में राज्य मंत्री श्री देवुसिंह चौहान भी उपस्थित थे। इस बैठक में उपस्थित सांसदों में श्रीमती परनीत कौर, (लोकसभा), श्री राधा मोहन सिंह, (लोकसभा) और श्री के.आर. सुरेश रेड्डी, (राज्य सभा) शामिल थे। इस बैठक का विषय ‘सेमीकंडक्टर नीति एवं ईकोसिस्टम’ था।

श्री अश्विनी वैष्णव ने प्रतिभागियों को अवगत कराया कि गुजरात, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, ओडिशा, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु जैसी कई राज्य सरकारें सेमीकंडक्टर विनिर्माण संयंत्र/फैब कॉम्प्लेक्स स्थापित करने के लिए कंपनियों के साथ बातचीत कर रही हैं।

इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा सांसदों को भारत में सामान्य रूप से इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र और विशेष रूप से सेमीकंडक्टर क्षेत्र के विकास की क्षमता के बारे में जानकारी देने के लिए एक प्रस्तुति दी गई, जिसमें कंपाउंड सेमीकंडक्टरों के उभरते बाजार और बड़ी निर्यात क्षमता पर भी ध्यान केंद्रित किया गया था। सांसदों को भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण को बढ़ावा देने और देश में सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले इकोसिस्टम और संबद्ध क्षेत्रों को सहायता प्रदान करने के लिए किए जा रहे उपायों के बारे में भी जानकारी दी गई।

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सेमीकॉन इंडिया कार्यक्रम का उद्देश्य उन कंपनियों/कंसोर्टिया को आकर्षक प्रोत्साहन सहायता प्रदान करना है, जो सिलिकॉन सेमीकंडक्टर फैब्स, डिस्प्ले फैब्स, कंपाउंड सेमीकंडक्टर्स/सिलिकॉन फोटोनिक्स/सेंसर (एमईएमएस सहित) फैब्स, सेमीकंडक्टर पैकेजिंग (एटीएमपी/ओएसएटी) और सेमीकंडक्टर डिजाइन में कार्यरत हैं।

 

उक्त कार्यक्रम के तहत निम्नलिखित चार योजनाएं शुरू की गई हैं:

 

देश में सेमीकंडक्टर फैब की स्थापना की योजना सेमीकंडक्टर फैब की स्थापना के लिए पात्र आवेदकों को वित्तीय सहायता प्रदान कराती है, जिसका उद्देश्य देश में सेमीकंडक्टर वेफर फैब्रिकेशन सुविधाओं की स्थापना के लिए बड़े निवेश को आकर्षित करना है। इस योजना के तहत निम्नलिखित वित्तीय सहायता को मंजूरी दी गई है:

28एनएम या उससे कम – परियोजना लागत का 50 प्रतिशत तक

28एनएम से 45एनएम तक – परियोजना लागत का 40 प्रतिशत तक

45एनएम से 65एनएम तक – परियोजना लागत का 30 प्रतिशत तक

2. भारत में डिस्प्ले फैब की स्थापना करने की योजना पात्र आवेदकों को वित्तीय सहायता प्रदान करती है, जिसका उद्देश्य देश में टीएफटी एलसीडी/एमोलेड आधारित डिस्प्ले फैब्रिकेशन सुविधाओं की स्थापना करने के लिए बड़े निवेश को आकर्षित करना है। यह योजना 12,000 करोड़ रुपये प्रति फैब की अधिकतम सीमा के अधीन परियोजना लागत की 50 प्रतिशत तक वित्तीय सहायता प्रदान करती है।

3. भारत में कंपाउंड सेमीकंडक्टर्स/सिलिकॉन फोटोनिक्स/सेंसर फैब और सेमीकंडक्टर असेंबली, टेस्टिंग, मार्किंग और पैकेजिंग (एटीएमपी)/ओएसएटी सुविधाओं की स्थापना के लिए योजना: यह योजना पात्र आवेदकों को भारत में कंपाउंड सेमीकंडक्टर्स/सिलिकॉन फोटोनिक्स/सेंसर (एमईएमएस सहित) फैब और सेमीकंडक्टर एटीएमपी/ओएसएटी सुविधाएं पूंजीगत व्यय के 30 प्रतिशत की वित्तीय सहायता प्रदान करती है।

4. डिजाइन लिंक्ड इंसेंटिव (डीएलआई) योजना- यह योजना इंटीग्रेटेड सर्किट (आईसी), चिपसेट, सिस्टम ऑन चिप्स (एसओसी), सिस्टम और आईपी कोर और सेमीकंडक्टर लिंक्ड डिजाइन के लिए सेमीकंडक्टर डिजाइन और तैनाती के विभिन्न चरणों में वित्तीय प्रोत्साहन  डिजाइन बुनियादी ढांचा सहायता की पेशकश करती है। यह योजना प्रति आवेदन 15 करोड़ रुपए की सीमा के अधीन पात्र व्यय की 50 प्रतिशत तक “उत्पाद डिजाइन लिंक्ड प्रोत्साहन” सहायता प्रदान करने के साथ-साथ 30 करोड़ रुपए प्रति आवेदन की सीमा की शर्त पर शुद्ध बिक्री कारोबार के 6 से 4 प्रतिशत तक तैनाती लिंक्ड प्रोत्साहन भी प्रदान करती है।

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उपरोक्त योजनाओं के अलावा, सरकार ने सेमीकंडक्टर प्रयोगशाला, मोहाली के ब्राउनफील्ड फैब के आधुनिकीकरण की भी मंजूरी दी है।

 

इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन: इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन (आईएसएम) की स्थापना डिजिटल इंडिया कॉरपोरेशन के अंतर्गत एक स्वतंत्र बिजनेस डिवीजन के रूप में की गई है, जिसे सेमीकंडक्टर्स के विकास और और विनिर्माण सुविधाओं और सेमीकंडक्टर डिजाइन इकोसिस्टम विकसित करने के लिए भारत की दीर्घकालिक रणनीति तैयार करने और उसे चलाने के लिए प्रशासनिक और वित्तीय स्वायत्तता प्राप्त है। सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले इंडस्ट्री में वैश्विक विशेषज्ञों के नेतृत्व में आईएसएम योजनाओं के कुशल, सुसंगत और सहज कार्यान्वयन के लिए नोडल एजेंसी के रूप में काम करेगा।

 

सांसदों ने इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय तथा दूरसंचार क्षेत्र में विभिन्न पहलों और योजनाओं के बारे में अनेक सुझाव दिए। सदस्यों ने इलेक्ट्रॉनिक कचरा प्रबंधन, क्षमता निर्माण, इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण में भारतीय कंपनियों की भूमिका और इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन से संबंधित मुद्दों पर सुझाव दिए और अन्य मुद्दों पर प्रकाश डाला। दूरसंचार क्षेत्र से संबंधित मामले, और 5जी सेवाओं की शुरुआत आदि के बारे में भी चर्चा की गई। केंद्रीय मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव ने दो राज्य मंत्रियों श्री राजीव चंद्रशेखर और श्री देवुसिंह चौहान के साथ सदस्यों के प्रश्नों के बारे में जानकारी देते हुए उन्हें बहुमूल्य सुझावों के लिए धन्यवाद दिया।

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एमजी/एएम/आईपीएस/एचबी