हिन्दुस्तान में शोभा यात्राओं पर पत्थर फेंकने वाले अफगानिस्तान में 20 स्कूली बच्चों की मौत से सबक लें।

हिन्दुस्तान में शोभा यात्राओं पर पत्थर फेंकने वाले अफगानिस्तान में 20 स्कूली बच्चों की मौत से सबक लें।
गुरु तेग बहादुर जी के 400 वें प्रकाशोत्सव पर 21 अप्रैल की रात साढ़े 9 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लाल किले से राष्ट्र को संबोधित करेंगे।
हिन्दू समुदाय के लोग तो दरगाहों में जाकर जियारत करते हैं।
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अप्रैल माह में हिन्दुओं के धार्मिक पर्वों पर निकलने वाली शोभा यात्राओं पर जिन तत्वों ने पत्थर फेंके हैं, उन्हें पड़ोसी मुस्लिम देश अफगानिस्तान में 20 स्कूली बच्चों की मौत से सबक लेना चाहिए। 19 अप्रैल को जब राजधानी काबुल के निकट अब्दुल रहीम शाहिद हाई स्कूल से बच्चे बाहर आ रहे थे, तभी एक आत्मघाती विस्फोट हो गया। देखते ही देखते 20 बच्चों की मौत हो गई। काबुल पुलिस के अनुसार यह इलाका शिया बाहुल्य है। सवाल उठता है कि हाईस्कूल भवन से हिन्दुओं की कोई शोभा यात्रा नहीं निकल रही थी, फिर आत्मघाती विस्फोट क्यों हुआ? आखिर क्यों 20 मासूम स्कूली बच्चों को मौत के घाट उतार दिया गया?
क्या ये बच्चे मुसलमान नहीं थे? आखिर मुस्लिम राष्ट्र अफगानिस्तान में मुसलमानों को ही क्यों मारा जा रहा है? सब जानते हैं कि ऐसे विस्फोट मुस्लिम राष्ट्र पाकिस्तान और बांग्लादेश में भी होते रहते हैं। लेकिन वहीं हिन्दुस्तान में हिन्दू समुदाय के लोग मुस्लिम सूफी संतों की दरगाहों पर जाकर जियारत की रस्म अदा करते हैं। हिन्दू समुदाय हिंदुस्तान में रहने वाले मुसलमानों के धर्म का पूरा सम्मान करते हैं, लेकिन इसके बावजूद भी हिन्दुओं की शोभा यात्रा पर मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में कुछ कट्टरपंथी तत्व पत्थर फेंकते हैं। ऐसे कट्टरपंथी तत्व और उनके हिमायती राजनेता माने या नहीं लेकिन यह सही है कि हिन्दुस्तान में हिन्दू समुदाय के साथ ही मुसलमान सुरक्षित और मान सम्मान के साथ रह सकता है।
यदि जनसंख्या बढ़ा कर हिंदुस्तान को भी मुस्लिम राष्ट्र बनाने का प्रयास किया तो पाकिस्तान अफगानिस्तान और बांग्लादेश जैसा हाल होगा, जहां मुसलमान भी सुरक्षित नहीं है। जिस सुरक्षा भाव और मान सम्मान के साथ हिंदुस्तान में मुसलमान रह रहे हैं उसमें तो मुस्लिम बाहुल्य इलाकों से निकलने वाली शोभा यात्राओं पर फूल बरसाने चाहिए। वैसे तो हिंदुस्तान में मुस्लिम बाहुल्य इलाके बनने ही नहीं चाहिए, क्योंकि मुसलमान तो हिन्दुओं के बीच रह कर ज्यादा सुरक्षित है। आम मुसलमान इस हकीकत को समझता भी है, लेकिन वह कट्टरपंथियों के सामने चुप रहता है। यही स्थिति हिन्दुस्तान के लिए खतरनाक है। लेकिन अब समय आ गया है कि जब आम मुसलमान को कट्टरपंथियों के सामने खड़ा होना पड़ेगा। यदि अब भी आम मुसलमान चुप रहा तो हिन्दुस्तान के हालात भी पाकिस्तान, अफगानिस्तान जैसे हो जाएंगे। जो राजनेता वोटों के खातिर कट्टरपंथियों के हिमायती बने हुए हैं, उन्हें एक बार मुस्लिम राष्ट्रों में रहने वाले मुसलमानों के हालात देख लेने चाहिए।
मोदी का संबोधन
आजाद भारत के इतिहास में संभवत: यह पहला अवसर होगा, जब कोई प्रधानमंत्री दिल्ली के ऐतिहासिक लाल किले से रात को राष्ट्र को संबोधित करेंगे। तय कार्यक्रम के अनुसार गुरु तेग बहादुर जी के 400 वें प्रकाश पर्व पर 21 अप्रैल को रात साढ़े 9 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश को संबोधित करेंगे। इस अवसर पर लाल किले की इमारत को रोशनी से सजाया जाएगा। इतिहास गवाह है कि 1675 में इसी लाल किले से तत्कालीन मुगल शासक औरंगजेब ने गुरु तेग बहादुर जी की जान लेने का हुक्म दिया था।
मुगल शासकों ने सिक्ख गुरुओं पर जो अत्याचार किए, उसे सब जानते हैं। गुरु नानक देव जी ने हिन्दू धर्म की रक्षा के लिए ही सिक्ख पंथ की स्थापना की थी। औरंगजेब ने जिस लाल किले से गुरु तेग बहादुर जी की जान लेने का आदेश दिया, उसी लाल किले से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरु तेग बहादुर जी के सम्मान में विचार रखेंगे। यह गुरु तेग बहादुर जी के प्रति एक विनम्र श्रद्धांजलि भी होगी। सिक्ख गुरुओं ने जो प्रकाश फैलाया उसी का परिणाम है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लाल किले से राष्ट्र को संबोधित कर रहे हैं। न केवल संबोधित कर रहे हैं, बल्कि सिक्ख गुरु परंपरा को सम्मान भी दे रहे हैं।