श्री भूपेंद्र यादव ने गुजरात में किसान संघों, उद्योगों और राज्य/केंद्रशासित सरकार के बीच आयोजित क्रेता-विक्रेता सम्मेलन में हिस्सा लिया

केंद्रीय वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन और श्रम एवं रोजगार मंत्री श्री भूपेंद्र यादव ने आज गुजरात के गांधीनगर में ‘किसान संघों, उद्योगों और राज्य/केंद्रशासित प्रदेश सरकार के बीच चुनौतियों और आगे की राह पर क्रेता-विक्रेता बैठक’ के कार्यक्रम में हिस्सा लिया। इस दौरान औषधीय पौधों की खेती और आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन पर भी चर्चा हुई। आयुष राज्य मंत्री और महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री डॉ. मुंजपरा महेंद्रभाई कालूभाई भी इस कार्यक्रम में शामिल हुए। मंत्रियों ने कार्यक्रम के दौरान क्षेत्र के आधार पर विशिष्ट औषधीय पौधों पर एक पुस्तिका, अनुसंधान एवं विकास उपलब्धियों पर पोस्टर और आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन पर पोस्टर का विमोचन किया।

 

श्री भूपेंद्र यादव ने औषधीय पौधों पर विचार-विमर्श करने के लिए कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) और उत्तरी-पूर्व क्षेत्र विकास मंत्रालय (डीओएनईआर) को एक मंच पर लाने के लिए एनएमपीबी के प्रयासों और सभी विशेषज्ञों के विचारों की सराहना की।

 

श्री यादव ने कहा कि भारत में जंगल के पास रहने वाली आबादी अपनी आजीविका के लिए जंगल पर ही निर्भर है। इसलिए, वन संसाधनों के प्रभावी ढंग से संरक्षण के लिए, इन स्थानीय लोगों को अपनी आजीविका के साधन को पूरा करना होगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि लघु वनोपज को स्थायी रूप से इकट्ठा करने के लिए जंगल के पास रहने वाले स्थानीय लोगों को शिक्षित करने के लिए एक प्रशिक्षण मॉड्यूल तैयार किया जा सकता है।

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Addressed Round Table Session on Buyer Seller Meet as part of #GlobalAyushSummit organised by @moayush. I laud the steps taken by National Medicinal Plants Board to bring all stakeholders to this platform for implementation of policies for overall growth of medicinal plants. pic.twitter.com/Jd2BDSSXs5

मंत्री ने जोर देकर कहा कि मानवता के लाभ के लिए हमारे प्राचीन साहित्य, औषधीय पौधों के संग्रह का समय और विधि आदि चीजों का अच्छी तरह से दस्तावेजीकरण किया जाना चाहिए।

श्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि औषधीय पौधों के सक्रिय घटक/संघटक के बारे में जानना महत्वपूर्ण है जिससे गुणवत्ता को बनाए रखा जा सके, इसे समझने की जरूरत है। उन्होंने आगे कहा कि चूंकि, औषधीय पौधों की मांग और आपूर्ति बाजार पर निर्भर करती है, ऐसे में औषधीय पौधों के संसाधनों के प्रभावी विकास और उन्हें सतत रूप से उपलब्ध कराने के लिए राज्य वन विभागों के अधिकारियों के साथ एक बैठक आयोजित की जा सकती है।

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मंत्री ने यह भी बताया कि जैविक विविधता अधिनियम में संशोधन की प्रक्रिया चल रही है और यह किसानों और उद्योगों के लिए फायदेमंद होगा।

एनएमपीबी द्वारा गुजरात के महात्मा मंदिर में किसान संघों, उद्योगों और राज्य/केंद्रशासित सरकार के बीच क्रेता-विक्रेता सम्मेलन के साथ ही औषधीय पौधों की खेती और आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन पर चुनौतियों और आगे की राह पर पैनल चर्चा आयोजित की गई।

संबंधित मंत्रालयों विशेष रूप से पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय, एपीडा और उद्योग के प्रतिनिधियों ने पैनल चर्चा में हिस्सा लिया और देश में औषधीय क्षेत्र के प्रभावी और समग्र प्रचार के लिए अपने विचार साझा किए। पैनल चर्चा की अध्यक्षता सचिव डीओएनईआर ने की, जिन्होंने क्षेत्र के समग्र विकास के लिए विभिन्न हितधारकों को एक मंच पर लाने के लिए एनएमपीबी की पहल की सराहना की।

कार्यक्रम में 500 से अधिक प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।

औषधीय पौधों के विपणन की सुविधा के लिए, एनएमपीबी के मार्गदर्शन में एसएमपीबी और आरसीएफसी के संयुक्त प्रयासों से उद्योग और किसान संघों के बीच 50 से अधिक समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए।

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एमजी/एएम/एएस