तो क्या सुप्रीम कोर्ट देशभर में अतिक्रमण हटाने के मामलों में दिल्ली के जहांगीरपुरी जैसे तत्परता दिखाएगा।

तो क्या सुप्रीम कोर्ट देशभर में अतिक्रमण हटाने के मामलों में दिल्ली के जहांगीरपुरी जैसे तत्परता दिखाएगा।
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21 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के बहुचर्चित जहांगीरपुरी क्षेत्र में सड़क पर हो रहे अतिक्रमणों को हटाने पर आगामी दो सप्ताह तक रोक लगा दी है। साथ ही दिल्ली की सरकार, पुलिस, एमसीडी और केंद्र सरकार को नोटिस देकर तलब किया है। यानी अब दिल्ली की जहांगीरपुरी में अस्थाई अतिक्रमणों को भी नहीं हटाया जा सकेगा। जो लोग 200 फिट की सड़क पर अतिक्रमण कर बैठे हैं, उन पर एमसीडी के कर्मचारी कोई कार्यवाही नहीं कर सकेंगे।
सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के सवाल उठता है कि देश भर में अतिक्रमण हटाने के मामलों में क्या सुप्रीम कोर्ट जहांगीरपुरी जैसे तत्परता दिखाएगा। क्या किसी शहर के अतिक्रमण हटाने के मामले में अतिक्रमणकारी के प्रार्थना पत्र पर मात्र एक घंटे में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जो जाएगी? सब जानते हैं कि स्थानीय निकाय की कार्यवाही के विरुद्ध मुंसिफ अदालत से स्टे लेने में प्रार्थी को बहुत भाग दौड़ करनी पड़ती है। आमतौर पर सरकारी कार्यवाही के खिलाफ स्टे भी नहीं मिलता है। कोई भी अदालत स्थानीय निकाय संस्था जिला प्रशासन और राज्य सरकार का पक्ष सुने बगैर स्टे नहीं देती है। भले ही तब तक अतिक्रमण हटाया जा चुका हो।
यह भी सब जानते हैं कि दिल्ली में जहांगीरपुरी में सड़क पर हो रहे अतिक्रमण को ही हटाया जा रहा था, लेकिन 20 अप्रैल को अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही शुरू होते ही अतिक्रमणकारियों के पैरवीकार मुंसिफ कोर्ट, जिला न्यायालय, हाई कोर्ट को लांघ कर सीधे सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए। मात्र एक घंटे में सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई कर ली और 20 अप्रैल को ही अतिक्रमण हटाने पर रोक लगा दी। जो एमसीडी पूरी तैयारी के साथ अतिक्रमण हटाने पहुंची थी, उस पर ब्रेक लग गया। सुप्रीम कोर्ट ने 20 अप्रैल के स्टे आदेश को 21 अप्रैल की सुनवाई में दो हफ्ते के लिए बढ़ा दिया।
सवाल यह भी है कि अतिक्रमण कारियों के प्रार्थना पत्र पर सीधे सुप्रीम कोर्ट में कैसे सुनवाई होगी? यह माना कि सुप्रीम कोर्ट देश की सर्वोच्च अदालत है और सुप्रीम कोर्ट को किसी भी मामले में सुनवाई करने का विशेषाधिकार प्राप्त है। लेकिन सवाल उठता है कि किसी शहर के अतिक्रमण को हटाने के मामले में क्या सुप्रीम कोर्ट ऐसी ही तत्परता दिखाएगी? अब जब जहांगीरपुरी के मामले में सुप्रीम कोर्ट में नजीर कायम कर दी है तो देश भर के अतिक्रमणकारियों के लिए सीधे सुप्रीम कोर्ट आने का रास्ता खुल गया है। जो लोग सरकारी सड़क पर अतिक्रमण कर बैठे हुए हैं, उन्हें स्थानीय निकाय की कार्यवाही से बचने के लिए किसी मुंसिफ अथवा जिला अदालत में जाने की जरूरत नहीं है। ऐसे अतिक्रमणकारी सीधे सुप्रीम कोर्ट में प्रार्थना पत्र दायर कर अपना बचाव कर सकते हैं।
जब जहांगीरपुरी के मामले में सुनवाई हो सकती है तो फिर देश के किसी भी गली मोहल्ले के अतिक्रमण के मामले में सुप्रीम कोर्ट इंकार नहीं कर सकता है।