गुजरात में वैश्विक पाटीदार व्यापार शिखर सम्मेलन के उद्घाटन के अवसर पर प्रधानमंत्री के भाषण का मूल पाठ

नमस्‍ते,

गुजरात के लोकप्रिय मुख्‍यमंत्री श्री भूपेंद्र भाई पटेल, केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी मनसुख भाई, पुरुषोत्तम रूपाला, अनुप्रिया जी, गुजरात भाजपा के अध्‍यक्ष श्री आर पाटिल, सरदार धाम के प्रमुख सेवक श्री गगजी भाई सुतारिया, पाटीदार समाज के सभी वरिष्‍ठ जन, देश-विदेश से आए सभी अतिथिगण, उदयोग जगत के साथी, देवियो और सज्‍जनों।

वैसे आज का कार्यक्रम ऐसा है कि गुजरात की सरकार और गुजरात भारतीय जनता पार्टी पूरी तरह आपके बीच होती। लेकिन आज एक कार्यक्रम का क्रैश हो गया। हमारे राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष भी आज अहमदाबाद में हैं तो उनका भी एक बहुत बड़ा कार्यक्रम सभी सांसद और विधायक और मंत्रियों के साथ है। तो मैंने कहा, चलिए मैं जा रहा हूं, मैं संभाल लूंगा। तो वो सब दुविधा में थे लेकिन मैंने उनसे कहा कि मैं जाऊंगा, चिंता मत कीजिए, आप अपना कार्यक्रम करते रहिए।

मुझे खुशी हुई बहुत सारे परिचित चेहरे मैं मेरे सामने देख रहा हूं। हम सब जानते हैं कि दुनिया के सबसे तेजी से विकसित हो रहे शहरों में एक शहर सूरत है और आप सब आज सूरत में बैठ करके नए संकल्‍प ले रहे हैं। आप सबका बहुत-बहुत अभिनंदन। कुछ महीने के अंतराल में सरदार धाम से जुड़े साथियों, देश-दुनिया में गुजरात और भारत के गौरव को बढ़ाने वाले आप सभी बहनों-भाइयों को फिर से मुझे मिलने का मौका मिला है। ये गुजरात के प्रति और भारत के प्रति हमारे साझा संकल्‍पों, साझा प्रतिबद्धता का ही प्रमाण है।

साथियो,

देश को जब नई-नई आजादी मिली थी तो आजादी के प्रारंभिक दिन थे और उस समय सरदार साहब ने जो कहा था और उन मुश्किल भरे हालात में सरदार साहब के शब्‍दों की ताकत देखिए। उन्‍होंने कहा था, ‘भारत में संपदा की, वेल्‍थ की कोई कमी नहीं है। हमें बस अपने दिमाग, अपने संसाधनों को इनके सदुपयोग के लिए लगाना होगा।’ मैं कहता हूं कि आज़ादी के मुकाबले में आने वाले 25 सालों के लिए जब हम एक संकल्प के साथ निकले हैं, तो सरदार साहब की इस बात को  हमने कभी भूलना नहीं चाहिए। आज भारत के पास इतना कुछ है। हमें बस अपने आत्मविश्वास को, आत्मनिर्भरता के अपने जज्बे को मज़बूत करना है। ये आत्मविश्वास तभी आएगा जब विकास में सबकी भागीदारी होगी, सबका प्रयास लगेगा।

साथियों,

बीते 8 सालों में देश में बिजनेस का, उद्यम का, क्रिएटिविटी का एक नया विश्‍वास जगाने का प्रयास किया जा रहा है। अपनी नीतियों, अपने एक्शन के माध्यम से सरकार का निरंतर प्रयास है कि देश में ऐसा माहौल बने कि सामान्य से सामान्य परिवार का युवा भी entrepreneur बने, उसके सपने देखे, वो entrepreneurship पर गर्व करे।

Make in India, Make for the world- इसको नए भारत की नई संस्कृति बनाने के लिए मैं समझता हूं, काम किया जा रहा है। इसलिए आधुनिक कनेक्टिविटी के इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास, नए शहरों के निर्माण, पुराने शहरों में स्मार्ट सुविधाएं विकसित करने, नियमों, कायदों, दस्तावेजों, कंप्लायेंसेंस के बोझ से देश को मुक्त करने, और इनोवेशन की, आइडिया की हैंडहोल्डिंग, ऐसे सभी कामों पर एक साथ काम किया जा रहा है।

साथियों,

मुद्रा योजना आज देश के उन लोगों को भी अपना बिजनेस करने का हौसला दे रही है, जो कभी इसके बारे में सोचते भी नहीं थे। स्टार्ट अप इंडिया से वो इनोवेशन, वो टैलेंट भी आज यूनिकॉर्न के सपने साकार होते देख रहा है, जिसको कभी रास्ता नहीं दिखता था। Production linked incentive यानि PLI योजना ने पुराने सेक्टरों में तो मेक इन इंडिया का उत्साह तो भरा ही है, सेमीकंडक्टर जैसे नए सेक्टर्स के विकास की संभावनाएं भी उभर करके सामने आ रही हैं।

अब देखिए, कोरोनाकाल की अभूतपूर्व चुनौतियों के बावजूद देश में MSME सेक्टर आज तेज़ी से विकास कर रहा है। लाखों करोड़ रुपए की मदद देकर MSMEs से जुड़े करोड़ों रोज़गार बचाए गए और आज ये सेक्टर नए रोज़गार का तेज़ी से निर्माण कर रहा है। यहां तक कि रेहड़ी-ठेले जैसा बहुत छोटा व्यापार-कारोबार करने वाला देशवासी भी आज भारत की ग्रोथ स्टोरी से अपने-आपको जुड़ा महसूस करता है। पहली बार उसको भी पीएम स्वनिधि योजना से फॉर्मल बैंकिंग सिस्टम में भागीदारी मिली है। हाल ही में हमारी सरकार ने इस योजना को दिसंबर 2024 तक के लिए extend दिया है।

साथियों,

छोटे से बड़े, हर व्यवसाय, हर कारोबार का देश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान है। सबका प्रयास की यही भावना तो अमृत काल में नए भारत की ताकत बन रही है। मुझे खुशी है कि इस बार की समिट में आप इस विषय पर विस्तार से चर्चा कर रहे हैं।

जब सुरत के लोगों को मिल रहा हूँ, और इतनी बड़ी मात्रा में देश-विदेश से लोग आये हो, और अभी गगजीभाई भावुक होकर विस्तार से जो वर्णन कर रहे थे, एक नई आशा और उमंग जगाई, ऐसी बातें हमेंशा से गगजीभाई के पास होती है। आप गगजीभाई के साथ बात करें तो निराशा का कोई नाम नहीं होता। हमेंशा कुछ नया करने की बात, शायद गगजीभाई का स्वभाव ही बन गया है, और समाज के लिए करना, खुद को मिटा के करना, और इसके कारण ही ये सभी काम में सफलता मिलती है। और अब जब मैं आप सब के बीच मन को खोलकर बात कर रहा हुं, तब हमें विचार करना पड़ता है कि, सिर्फ जमीन लेनी और बेचनी,,,सब हसने लगे हैं, कोई काम करे उसमें मुझे कोई दिक्कत नहीं है, परंतु क्या हमें यही करना है। फिर बड़ी- बड़ी योजनाएँ, बडी-बडी स्कीमें, इतने फ्लैट बनाएगें, इतने बंगले बनाएंगे, चलो ये भी एक काम है। हीरे की दुनिया में हम हीरो बन गयें, लेकिन आज मैं आपको कुछ अलग क्षेत्र में ले जाना चाहता हूँ। और मुझे विश्वास है कि, गगजीभाई मुझे समझते है, इसलिए गगजीभाई मुझे बराबर पकड़ेंगे। भले ही हम सब ये समिट दो साल में करते हो, परंतु मेरा एक विचार है कि गगजीभाई 10-15 ग्रुप बनाईये, समाज के और उसमें 25-30 प्रतिशत बुजुर्ग हो, जो अनुभवी है, और 40-50 प्रतिशत जोशीले युवा हो, जिन्हें नई दुनिया के बारे में खबर है। और उनको अलग-अलग विषय बांट दो, कि भाई बताओ इस विषय में हमको गुजरात को, भारत को आगे बढाना हो, तो दुनिया में क्या है, उसके लिए रो-मटिरियल्स का क्या है, मार्केट का क्या है, सरकार की नितीओं में क्या दिक्कत हो सकती है। इसका बराबर एक विषय लेकर काम करें। और सरकार को भी आपका जो छोटा ग्रुप हो, वह सरकार की नीतियों को बनाने के लिए डोक्युमेन्टेन्स करे, चीजें दे, और वे बताएं हमको इस रास्ते पर अगर आगे बढना हो, तो इस निती में यह कमी है। उसका विचार हो, फिर एक सरल डोक्युमेन्टेन्स करें बैंकिंग के लिए, बैंकिंग इन सब चीजों में आगे आती नहीं, मुझे पता है, हमारे यहां हर सप्ताह डायमंड़ वाले आकर शिकायत करते है, हर सप्ताह बैंकिंग वाले आकर शिकायत करते है, कि नामा लिख दिया है, कुछ करो हमारा, तो नीतियों में क्या गलती है, प्रायोरिटी के प्रश्न कहां खड़े होते है। इसी तरह फिनटेक पूरा कारोबार फायनान्स की दुनिया में टेक्नोलोजी, ऐसे अलग-अलग विषय पर हम निर्णय ले के इस बार दस विषय करना है। दस विषयों में बाहर के एक्सपर्ट को भी ले, अकैदेमिकान्सअनेक, किसी भी चीज में ग्लोबल स्टार्न्ड का ही विचार करना है, उससे छोटा सोचना ही नहीं  है, और मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि आपका यह ग्रुप इस तरह का डोक्युमेन्टन्स करके जो मेरा समय चाहेंगे, तो मैं उनका प्रेजन्टेशन देखुंगा, और सरकार को भी बिठाकर अलग-अलग विभागों के, और हम साथ मिलकर नीतियां बदलनी हो, युनिवर्सिटी में कोर्स बदलने की जरूरत पडें, कुछ ऐसे कोर्स होते हैं, जो हमें युनिवर्सिटी में पढाया जाता है, पर वो जमाना गया कि अब यह पढाना पड़े। स्कील डेवलपमेन्ट में चेन्ज करना हो तो उसमें विचार करे, एक तो उसके उपर अपनी टीम काम कर सके। दुसरा एक मुझे लगता है की, भारत सरकार जो नेशनल एज्युकेशन पोलीसी लाई है। NEP हिंदुस्तान में शिक्षा नीति  को इतना अच्छा प्रतिसाद मिला है, इतना सारा गौरवंन्तित हो वही एक बड़ी घटना है। हिंदुस्तान में कोइ भी राजनीतिक विचारधारा के लोग हो, कोइ भी ऐकेडेमिक दुनिया के लोग हो, सबने उसे गौरवपूर्वक स्वीकार किया है। आपके यहाँ भी एक टीम बनाये, क्योंकी मेने देखा है की अपने यहाँ शिक्षण में भी समाज के लोग खूब अच्छा प्रयास कर रहे हैं। लेकीन यह नेशनल एज्युकेशन पोलीसी की स्टडी करके, अपने समाज के लोग जो ऐकेडेमिक में रहे हो, और गुजरात के अन्य लोग भी अपना गुजरात और हम जो दिशा में जाना चाहते है, हिंदुस्तान के किसी भी कोने में इसमें हम यह नेशनल एज्युकेशन पोलीसी का 100 प्रतिशत लाभ लेने के लिये हम अपनी व्यवस्थाओं में, नीति निर्धारण में क्या परिवर्तन ला सके। यह एक दुसरा काम। तीसरा काम मुझे मेरे साथीयों आपको कहना है, मेरे सामने आप सब लोग हो उसमे 99 प्रतिशत किसान के पुत्र हैं। अब आप सुरत में करोड़ो रुपयें में खेलते हो तो आनंद होता है  मुझे। लेकीन भाई अपनी जो जड़ है ना, वो हमारे खेत ही हैं। खेती ही है। हमारे पूर्वजो का तो तप है ना वही है। अब मुझे बताइये की हम इतना आगे बढ़े, लेकीन क्या अपनी खेती आगे बढ पाइ ? अपने खेती के क्षेत्र में इन्वेस्टमेन्ट आता है? लगभग जमीन पर बिल्डर आये और बिल्डींग बना दे और इन्कम हो वह बात अलग है। सही मायने में जब नर्मदा का पानी गुजरात के कोने-कोने मे पहुंचा है, तब मे चाहता हूँ की गुजरात की  खेती को आधुनिक बनाने के लिए वह भी एक बड़ा बिजनेस है आप मानके चलिये। दुनिया का पेट भरने की क्षमता है अपने में। लेकीन हम हमारे संसाधन का उपयोग पुरा नहीं करते। एक दो किसान प्रगतिशील हो, बहुत अच्छे से करते होंगे, मेरी आपसे विनंती है की, गुजरात की पुरी जमीन का अध्ययन करने वाली एक टीम बनाये, एग्रीकल्चर युनिवर्सिटी के साथ, एग्रीकल्चर डिपार्टमेन्ट के साथ मिलकर और आप सोचिए आज से 25-50 साल पहले जो कोइ दीर्घद्रष्टा था। उसमे सरदार साहब भी थे, जो गुजरात में डेरी उद्योग का विकास ना हुआ हो तो, पशुपालन और डेरी उद्योग का विकास ना हुआ होता को दुष्कालग्रस्त अपना गुजरात रहता था। और दुध की दुनिया में हम ना पहुंचे होते तो, अपने गांव की अपने किसान की क्यां स्थिति हुई होती भाई। मुल्यवृध्धि हुई, आज दुनिया में नाम हुआ अमुल का, बनासडेरी हो की सागर डेरी हो, अब तो काठीयावाड में और कच्छ में भी डेरी खाड़ी हुई है। पशुपालन और दूध को बहुत बडी ताकात इन सबसे मिली, और इसी तरह वही शक्ति कृषि पेदाश को मिल शके ? ऐग्रो बेईज्ड इन्डस्ट्री में आपने पास आशा ना रखूँ, तो किसके पास रखूँ भाई? जिस तरह हीरा को चमका सकते हो, तो भाई उसी तरह मेरे किसान की महेनत और उसके पसीने को भी आप चमका सको उतनी ताकात है आप में। और इसलिए फूड प्रोसेसिंग बहुत बडा क्षेत्र है। पूरी दुनिया में बड़े मार्केट की संभावना है। हम इसमें अभी बहुत पीछे है। कारण, क्योंकी प्राइवेट इन्वेस्टमेन्ट खेत में अभी आ नहीं रहा है। और अपने यहां छोटे किसान है, बहुत ज्यादा, एक एकर, दो एकर जमीन होती है, लेकिन आपके यहाँ बडे पैमाने पे प्लान करके आधुनिक खेती, खेत उत्पादन भी जैसा-तैसा नहीं, अब आप सोचिए की, आप सब किसान पुत्र अरबों-खरबों में खेलते हो, और मेरे देश को 80 हजार करोड़ का खाने का तेल बहार से लाना पड़ता हो तो, मैं आपके पास से कुछ आशा रखूँ की ना रखूँ । हम यह बदलाव ला सकते हैं की नहीं ला सकते। आत्मनिर्भर की बात करते है तो सिर्फ डायमंड में ही थोड़ा आत्मनिर्भर होना है भाई। और इसीलिए फूड प्रोसेसिंग भारत सरकार की FPO की योजना बनी है, छोटे-छोटे खेत उत्पादन के संगठन, बहुत पैसा भारत सरकार देती है, आप सोचिए कितना बड़ा क्षेत्र है। उसी तरह आपको पता है की ओर्गेनिक उत्पादन आप भी आप में से 90 प्रतिशत बाजार में खरीदी के लिए जाते है, तब चार बार लेबल देखते होंगे की ओर्गेनिक है क्या ? आम खरीदने जाते हो तब भी आप ओर्गेनिक देखते हो। अब तो घर में भी अपनी माता-बहनें ओर्गेनिक लाये हो ऐसा पुछती हैं। खाने के लिए बैठते है,  तब भी कहती है की अपने यहां सब्जी ओर्गेनिक है वैसा बोलती हैं। अब जब यह आकर्षण हमारे घर के डाईनिंग टेबल तक पहुँचा हो तब, हमारे अच्छे कर्मो की वजह से हमारे गुजरात के गवर्नर आचार्य देवव्रत जी समर्पित भाव से प्राकृतिक खेती का अभियान चला रहे है। गुजरात के किसानो ने प्राकृतिक खेती को गले लगाया है। क्या हम इसमें व्यापारीक बुध्धि से जुड़ सकते है, नेचरल फार्मिंग में। उसी तरह जिस प्रकार दूध में से अलग-अलग प्रोडक्ट के कारण डेरी उद्योग का विकास हुआ, वहीं ताकात गोबर में है। हमने गोबरधन, बहुत बडा प्रोजेक्ट भारत सरकार ने निर्णय लिया है। आप सब उद्योगकार आप जिस जिले से आते है, उस जिले में जिस तरह डेरी का पुरा मोडल है, उसी तरह गोबरधन का मोडल बना सकते हो? और उसमें से गैस उत्पादन हो, गैस इन्डस्ट्री में बिके और उसमें से प्राकृतिक खाद तैयार हो, वह भी लोगो के पास जाये, अपने यहाँ उमरेठ में एक प्रोजेक्ट है। अभी मैंने काशी में जहाँ से MP हूँ, वहां भी बनाया है। अपने यहाँ बनास डेरी ने भी अच्छा बनाया है। यह सब खेती के साथ जुड़े हुए है, क्या हम भी कर सकते हैं? अपना एक सपना है गुजरात का, की अपना अन्नदाता उर्जादाता बने। खेती, खेत और उद्योग, क्यों अपने किसान को हम ना समझायें की, उनके खेत की साइड की जमीन, दो पडोसी के बीच झगड़ा होता है, तो दो मीटर जमीन बर्बाद होती है। फेन्सिंग करने की वजह से दो मिटर जमीन बर्बाद होती है। उसके उपर सिर्फ सोलार पेनल लगाकर हमारा किसान अन्नदाता के साथ उर्जादाता भी बन सकता है। अपना गाँव समृद्ध हो सकता है। गुजरात सरकार ने नीति बनाई हुई है, किसान जब बिजली पैदा करता है, तो उसको खरीदने की नीति बनाई हुई है। लेकिन उसमे आप सब उद्योग जगत के लोगो को जुड़ना पडेगा। अपनी यंग जनरेशन को जुड़ना पडेगा। मैं इसलिए ग्राम आधारित अर्थकारक का आपके पास आग्रह रखता हूँ,  क्योंकि बहुत बार हमको बड़ा-बड़ा अच्छा दिखता है, लेकीन यह पाया के काम के लिये क्या आप मेरी मदद कर सकते है क्या ? और में 100 प्रतिशत कहता हूँ की आप कर सकते हो। उसी तरह एक सेवा का काम, आजादी का अमृत महोत्सव है एक सपना हमने देखा है, पहले के जमाने मैं हमको पता है की, कोइ बड़ी घटना बनी हो, कोई बड़ा विजय हुआ हो, तो गाँव मे विजयस्थंभ लगाया होता है। कोइ गाँव मैं बड़ी घटना घटी हो, तो बड़ा सा गेट बनाया हुआ होता है, यह तो हम इतिहास में देखते आये है। आजादी के 75 साल हुए उसके याद में हम क्या कर सकते है ? जिसको आने वाली पिढीयां याद रख सके की आजादी के 75 वर्ष पर यह काम हमारे गाँव मे हुआ। और इसलिये एक छोटी सी बात मैंने कि है की, क्या हम हर एक जिले में क्या 75 बड़े से तालाब बना सके ? अमृत सरोवर मैंने नाम दिया है, हर एक जिले में 75, आप सोचिए वह पाने में हम सफल हुए, जब मैं गुजरात में था हमने चेकडेम की बात की, मैंने सुरत के सारे लोगो को जोडा था, आप सबने उसमें मुझे मदद भी की थी। और गुजरात में हमने चेकडेम का पुरा प्लान बनाया और पानी का लेवल जमीन से उपर आया। पानी का लेवल उपर आया तो जमीन की कीमत भी उपर आई, , अब हमको एक जिले में 75 तालाब औऱ तालाब यानी की मामुली नहीं पर्यटन का केन्द्र बने, आकर्षण का केन्द्र बने, शाम होते ही गाँव के बुजुर्गों को वहाँ जाकर बैठने का मन हो वैसे तलाब। आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर को 75 तालाब हर एक जिले में, 5 जिले में, 10 जिले में, 15 जिले क्या आप दत्तक ले सकते हो ? और इस 15 अगस्त से पहले कुछ कर के दिखा सकते हो ? आपको लगता होता की हम तो यहां पर फेक्टरी डालने की बात करते थे, और मोदी साहब तो जहाँ से आये थे, वहाँ भेजते है। जड़ ये यही ताकातवाला है भाई, आज हम जो फुले-फले है ना उसका कारण हमारी जडें मजबूत थी। वह जड़ सुख न जाये उसे मजबूत करने के लिए क्या हम कुछ विचार कर सकते है? और इसमें भी टेक्नोलोजी है, इसमे भी आधुनिकता है, इसमे भी दुनिया के बाजार को कब्जे करने की ताकात है। क्वालिटी खेत पेदाश और फूड प्रोसेसिंग बहुत बडी शक्ति है। अभी मैंने गुजरात में आयुर्वेद की बड़ी समिट मैंने की, दुनिया में भारत के आयुर्वेद की मांग बढ़ रही है। कोरोना के बाद बढ़ी है। मैंने देखा है की कुछ युवाओं ने आयुर्वेद के क्षेत्र में अच्छा स्टार्टअप खड़ा किया है। हमें पुरे क्षेत्र में पहुँच कर दुनिया में होलिस्टीक हेल्थकेर की जो चर्चा चल रही है, क्या उसमे हम नेतृत्व ले सकते है? इतने सारे क्षेत्र है साथियों की, सही मायने मे सुरत, अहमदाबाद, बरोडा जैसे शहरो से बाहर जाकर भी हम एक नया आर्थिक साम्राज्य खड़ा कर सकते है। और मैं आप सबसे दुसरी विनती करता हूँ की अब जो भी करना है, वह तय करते है, वह बड़े शहरो में नहीं करना है। मुझे याद है जब मे ज्योतिग्राम योजना लाये 24 घंटे बिजली, आपके यहाँ जब झंडा लेकर लड़के निकलते है, उनको पता ही नहीं होगा की, पहले अंधेरे में कैसे दिन निकलते थे। अभी मुर्दाबाद, मुर्दाबाद करके निकल पड़ते हैं आपके ही लड़के, उनको बताये के कैसे दिन हमने निकालते थे, और कहाँ से निकले। मुझे याद है की जब ज्योतिग्राम योजना आई, 24 घंटे बिजली मिलना शुरु हुई, तो सुरत के अंदर एक हीरा की घंटी, एक छोटी सी खोली मे 25 -25 लोग रहते थे, उनको हुआ की अब जब 24 घंटे बिजली मिलती ही है, तो हम भावनगर जिले में की, अमरेली जिले में जाकर घंटी क्यों ना डाले। और काफी सारे लोगों ने गाँव मे जाकर घंटी डाली, घर का भी कार्य करे, खेती भी करे, बुजुर्ग माता-पिता की भी सेवा करे और जब फ्री टाइम मिले तो हीरा भी घिसे। आवक हुई की नहीं हुई ? फायदा हुआ की नहीं हुआ? यह बदलाव जो आया 24 घंटे बिजली मिली और गुजरात के गाँव मे घंटी ले गये, आप ही सब ले गये और मेरे सामने मेरी आंखो के सामने आप सबने यह किया है। और इसलिये मैं आपकी जितनी भी तारीफ करता था वह कम थी। इसिलिए आज मैं कहता हूँ कि अब आप तय करे की, अब गुजरात के जो बड़े 15-20 शहर हैं, उसमे नहीं उसके बाद का जो शहर हैं, उसमें काम शुरु करना है। एक तो इन्वेस्टमेन्ट में बचत होगी। जमीन सस्ती मिलेगी, मकान सस्ता मिलेगा, आदमी सस्ता मिलेगा और गुजरात फैलेगा, विकास का दायरा बढेगा। और अब समय है की 25 से 30 ऐसे छोटे- छोटे शहर पकड़ें और उसे धधमता करें। आज से 30 साल पहले सुरत का कौन नाम देता था भाई। अब आगे चला गया की नहीं। इसी तरह छोटे- छोटे शहरो का मुझे विकास करना है। वह शहर की बगल में की नया शहर बन सकेगा। तो आपकी यह योजना के अंदर आप समिट मे इतने सारे लोग मिले हो, इस दिशा में विचार कर सकते हो ? तो मेरे मन में लंबे समय की योजना के लिये स्कीम बनाने के लिए एकेडेमिक वर्ल्ड हो, बिजनेस सर्कल हो, फिनटेक वाले हो, वह मेरे साथ आये और मैं समय देने के लिये तैयार हूं। कारण मुझे पता है, मुझे आपपर भरोसा है, और मैं आपको इसलिए काम सोंपता हुं, की मुझे तो आप पर भरोसा है की, 10 में से 2 रह जायेंगा। लेकिन 8 काम होंगे और वह आप ही करोंगे। दूसरे नहीं करेंगे इसलिए आपसे कहता हुं। आप जब बोलोंगे की मोदी साहब अब नहीं करना है, तब मैं बोलना बंद कर दूंगा। लेकिन आप करते हो, तो कहूँगा आप नहीं करोगे तो मैं नही करुंगा। और आपको यह सुनना इसलिए पड़ता है, क्योंकी आप करते हो। मैंने आजतक आपको जीतना कहा है, वह सब आपने किया है। और जब आप करते हो तो कहने का मन भी होता है। और इसलिए मेरी आपसे उम्मीद है, दोस्तो की एक नए विश्वास के साथ और वैश्विक, अब हम को छोटा कुछ करना ही नहीं है भाई, पीछे मुडकर देखना ही नहीं है। और मैं मानता हूँ की, अपने युवाओं जिन्होंने अच्छा काम किया है। अपने परिवार की तीसरी पीढ़ी यह है की लडके बहुत अच्छी पढाइ में जगह बना रहे है। आपके यहाँ से बहुत सारे लडके मुझे मिलने आते है,  मुझे बहुत आनंद होता है उनसे मिलके। बिलकुल नये विचार के साथ आते है। नया करने के मूड के साथ आते है। शिक्षण में भी नया सीखने की वृत्ति वाले बच्चे हैं। यह बहुत बड़ी संपत्ति है अपनी, इनको ध्यान में रखते हुए यह समिट को हम आगे ले जाये, भले ही दो साल में बड़ी समिट करे। लेकिन बीच के एक साल में जो हमने ग्रुप बनाये हैं, उनके विचार पर हम आगे बढ़े और 8 से 10 बड़ी चीजें पकडे उसमें ही छा जाना है। और दो साल के बाद और बड़ी 10 चीजे पकडेंगे। तो मुझे पुरा यकीन है की, आपकी पुरी टीम नया सोचने वाली टीम है। आगे का सोचने वाली टीम है, टेक्नोलोजी का सदउपयोग करने वाली टीम है, मेरी आपको बहुत सारी शुभकामनाएं है, आप सबसे मिलने का, बात करने का अवसर मिला,  जो मन में आता गया वह कहता गया हूँ। उसमें से जितना पकड सको, उतना पकडना।

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फिर मिलेगें, राम-राम।

 

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DS/TS/AK/NS