केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह यूनेस्‍को द्वारा दुर्गा पूजा को अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर सूची में सम्मिलित किए जाने के उपलक्ष्य में संस्कृति मंत्रालय द्वारा आज कोलकाता में आयोजित मुक्ति-मातृका कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल हुए

कार्यक्रम में प्रख्यात ओडिसी नृत्यांगना श्रीमती डोना गांगुली और उनकी मंडली ‘दीक्षा मंजरी’ द्वारा एक नृत्य प्रस्‍तुत किया गया, साथ ही प्रसिद्ध संगीतकार जोड़ी, सुरेन्‍द्र-सौम्यजीत ने गायन पेश किया

पूरा देश प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के आह्वान पर आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रहा है और इसी महोत्सव के अंतर्गत आज यहाँ ये दोनों कार्यक्रम आयोजित किए गए

बंगाल की दुर्गा पूजा के प्रति पूरे देश की अपार श्रद्धा है, दिसंबर 2021 में दुर्गा पूजा को यूनेस्को ने अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के रूप शामिल किया है और यह न केवल बंगाल बल्कि पूरे देश के लिए गौरव का विषय है

हमारा देश सदियों से एक सांस्कृतिक नदी के रूप में बहता रहा है, हजारों साल से हमारी संस्कृति इटरनल है, इसे कभी भी कोई नही मिटा सकता, इसका संदेश विश्व के लिए है और पूरा विश्व इसका सम्मान करता है

आज जब लोग  स्त्री सशक्तिकरण की बात करते हैं तो उनको शायद मालूम नहीं कि हमारे पुराणों और उपनिषदों में लिखा गया है कि जहां नारी की पूजा होती है वहां देवताओं का वास और सुख व समृद्धि होती है

नारी सशक्तिकरण का जो विचार है वह हजारों साल बाद बलवत्तर होकर फिर से एक बार पश्चिम से यहां आया है, दुर्गा पूजा नारी की पूजा, शक्ति की पूजा और उसके प्रति श्रद्धा व समाज के सम्मान की द्योतक है

कोई भी संस्कृति हो, कोई भी मत हो,भारत में सभी ने शक्ति की पूजा के महत्व को बहुत अच्छे तरीके से स्वीकार किया है, मुझे आज इस बात का आनंद है कि दुर्गा पूजा के शामिल होने से भारत की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की संख्या 14 हो गई है

 2017 में कुंभ मेले, 2016 में नवरोज, 2015 में योग  और अब दुर्गा पूजा को इसमें सम्मिलित किया गया है

आज आजादी का अमृत महोत्सव न केवल देश बल्कि पूरे विश्व के लिए महत्वपूर्ण है, 75 साल पहले भारत ने पूरी विश्व की स्वतंत्रता के आंदोलन का नेतृत्व किया था और एक नया रास्ता प्रशस्त किया कि बिना कोई रक्त बहाए आजादी किस प्रकार से हासिल की जा सकती है

इन 75 सालों  में हमने अनेक उपलब्धियां प्राप्त की हैं, हम मल्टी पार्टी और पार्लियामेंट्री डेमोक्रेटिक सिस्टम को मजबूत कर अनेक कठिनाइयों का सामना करते हुए आज लोकतंत्र की जड़ों को मजबूत करने में हम सफल हुए हैं

एक जमाने में हमारी सांस्कृतिक विरासत, उसकी विविधता, भाषा, खान-पान और वेशभूषा की विविधताओं को हमारी कमजोरी के रूप में देखा जाता था

 आज 75 साल के बाद दुनिया के सामने हमने सिद्ध कर दिया है की यह विविधता ही हमारी शक्ति है, मोदी जी ने 2014 से 2021 के बीच दुनिया को इसका परिचय भी करा दिया है कि यही हमारी ताकत है और विविधता में एकता भारत की विशेषता है

आजादी के आंदोलन की हर लड़ाई बंगाल ने शुरू भी की और निर्णायक लड़ाई भी बंगाल ने ही लड़ी, वंदे मातरम और हमारा राष्ट्रगीत दोनों इसी बंगाल की भूमि ने दिए हैं

देश में जब कोई कल्पना भी नहीं कर सकता और सन् 1857 की क्रांति के बाद जब अंग्रेजों ने पूरे देश को निशस्त्र कर दिया गया था तब इसी बंगाल ने बम धमाके कर गहरी नींद में सोए  भारतीय समाज को जगाने का काम किया

 14 साल के खुदीराम बोस हाथ में गीता लेकर हंसते-हंसते वंदे मातरम के नारे के साथ फांसी पर चढ़ गये तो उन्होने केवल बंगाल के लोगों को  प्रेरणा नहीं दी बल्कि बंगाल से लेकर गुजरात तक और कश्मीर से कन्याकुमारी तक विराट भारत के समाज को चेतना देने का काम किया

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 नेताजी सुभाष बाबू ने देश की आज़ादी के लिए जो हजारों किलोमीटर की यात्रा उसे हम कभी नहीं भुला सकते

आज मैं दोनों कलाकार समूहों को इतनी सुंदर प्रस्तुति के लिए पूरे देश और भारत सरकार की ओर से हृदय से बहुत-बहुत धन्यवाद देना चाहता हूँ

 

 

 

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह यूनेस्‍को द्वारा दुर्गा पूजा को अमूल्‍य अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर सूची में सम्मिलित किए जाने के उपलक्ष्य में संस्कृति मंत्रालय द्वारा आज कोलकाता के विक्टोरिया मेमोरियल हॉल में आयोजित मुक्ति-मातृका कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल हुए। समारोह में पश्चिम बंगाल के राज्यपाल श्री जगदीप धनखड़ और गृह राज्य मंत्री श्री निशिथ प्रमाणिक सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति शामिल हुए। मुक्ति-मातृका कार्यक्रम में प्रख्यात ओडिसी नृत्यांगना श्रीमती डोना गांगुली और उनकी मंडली ‘दीक्षा मंजरी’ द्वारा एक नृत्य प्रस्‍तुत किया गया। साथ ही प्रसिद्ध संगीतकार जोड़ी, सुरेन्‍द्र-सौम्यजीत ने गायन पेश किया।

इस अवसर पर अपने सम्बोधन में केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि पूरा देश प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के आह्वान पर आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रहा है और इसी महोत्सव के अंतर्गत आज यहाँ ये दोनों कार्यक्रम आयोजित किए गए। पूरे देश की बंगाल की दुर्गा पूजा के प्रति अपार श्रद्धा है, दिसंबर 2021 में दुर्गा पूजा को यूनेस्को ने अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के रूप शामिल किया है और यह न केवल बंगाल बल्कि पूरे देश के लिए गौरव का विषय है। आज श्रीमती डोना गांगुली और उनकी मंडली ने यहाँ जो प्रस्तुति की उसमें दुर्गा के सभी नौ स्वरूपों को अपनी भाव भंगिमाओं से हमारे सामने रखने का बहुत सुंदर प्रयास किया है। श्री अमित शाह ने कहा कि हमारा देश सदियों से एक सांस्कृतिक नदी के रूप में बहता रहा है, हजारों साल से हमारी संस्कृति इटरनल है, इसे कभी भी कोई नही मिटा सकता, इसका संदेश विश्व के लिए है और पूरा विश्व इसका सम्मान करता है।

श्री अमित शाह ने कहा कि आज जब लोग  स्त्री सशक्तिकरण की बात करते हैं तो उनको शायद मालूम नहीं है कि हमारे पुराणों और उपनिषदों में अंदर लिखा गया कि जहां नारी की पूजा होती है वहां देवताओं का वास होता है और वहीं सुख व समृद्धि होती है। उन्होने कहा कि नारी सशक्तिकरण का जो विचार है वह हजारों साल बलवत्तर होकर फिर से एक बार पश्चिम से यहां पर आया है। श्री शाह ने कहा कि दुर्गा पूजा नारी की पूजा, शक्ति की पूजा और उसके प्रति श्रद्धा व समाज के सम्मान की द्योतक है। उन्होने कहा कि इसलिए कोई भी संस्कृति हो, कोई भी मत हो,भारत में सभी ने शक्ति की पूजा के महत्व को बहुत अच्छे तरीके से स्वीकार किया है और आज मुझे इस बात का आनंद है कि दुर्गा पूजा के शामिल होने से भारत की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की संख्या 14 हो गई है। 2017 में कुंभ मेले, 2016 में नवरोज, 2015 में योग और अब दुर्गा पूजा को इसमें सम्मिलित किया गया है।

गृह मंत्री ने कहा कि मोदी जी के आह्वान पर मनाए जा रहे  आजादी के  अमृत महोत्सव में  पूरे  देश  में 25,000 से ज्यादा कार्यक्रम हुए हैं। मोदी जी ने इसका आह्वान करते वक्त कुछ कल्पनाएं देश के सामने रखी थी, आजादी हमें बहुत बड़ी तपस्या, बहुत बड़े संघर्ष और बहुत बलिदानों के बाद मिली है और इसका गौरव और 130 करोड़ की आबादी और विशेषकर कर युवाओं  में इसकआ सम्मान हो। उन्होने कहा कि आज आजादी का अमृत महोत्सव न केवल देश बल्कि पूरे विश्व के लिए महत्वपूर्ण है। इसको चार प्रकार से देखा जा सकता है। 75 साल पहले भारत ने पूरी विश्व की स्वतंत्रता के आंदोलन का नेतृत्व किया था और एक नया रास्ता प्रशस्त किया कि बिना कोई रक्त बहाए आजादी किस प्रकार से हासिल की जा सकती है। इन 75 सालों  में हमने अनेक उपलब्धियां प्राप्त की हैं। हम मल्टी पार्टी और पार्लियामेंट्री डेमोक्रेटिक सिस्टम को मजबूत कर अनेक कठिनाइयों का सामना करते हुए आज लोकतंत्र की जड़ों को मजबूत जाने में हम सफल हुए हैं। साथ ही हमने यह भी सिद्ध कर दिया है कि हमारी संस्कृति में भले ही अनेक विविधता है, मैं गुजरात से आया हूं दोनों परिस्थितियां गुजराती में नहीं थी ज्यादातर बंगाली में थी परंतु शब्द, संगीत और भाव भंगी माने को मुझे समझने में जरा भी देरी नहीं लगी, यही बात हमारे देश को जोड़ती है। उन्होने कहा कि एक जमाने में हमारी सांस्कृतिक विरासत को, उसकी विविधताओं को, हमारी भाषा, खान-पान, वेशभूषा की विविधताओं को हमारी कमजोरी के रूप में देखा जाता था और आज 75 साल के बाद दुनिया के सामने हम ने सिद्ध कर दिया है की यह विविधता ही हमारी शक्ति है। मोदी जी ने 2014 से 2021 के बीच में दुनिया को इसका परिचय भी करा दिया है कि यही हमारी ताकत है और विविधता में एकता भारत की विशेषता है।

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श्री अमित शाह ने कहा कि आज यह कार्यक्रम बंगाल की पवित्र भूमि पर हुआ है। आजादी के आंदोलन की हर लड़ाई शुरू भी बंगाल ने की और निर्णायक लड़ाई भी बंगाल ने ही लड़ी है। चाहे कला या भाषा के माध्यम से लड़ना हो देश के दोनों राष्ट्रगान इसी बंगाल की भूमि ने दिए हैं, वंदे मातरम और हमारा राष्ट्रगीत दोनों इसी बंगाल की भूमि ने दिए हैं। उन्होने कहा कि देश में जब कोई कल्पना भी नहीं कर सकता सन् 1857 की क्रांति के बाद जब अंग्रेजों ने पूरे देश को निशस्त्र कर दिया गया था तब इसी बंगाल ने बम धमाके कर गहरी नींद में सोए हुए भारतीय समाज को जगाने का काम किया था। 14 साल के खुदीराम बोस हाथ में गीता लेकर हंसते-हंसते वंदे मातरम के नारे के साथ फांसी पर चढ़ गये तो उन्होने केवल बंगाल के लोगों को  प्रेरणा नहीं दी थी बल्कि गुजरात से लेकर बंगाल तक और कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक विराट भारत के समाज को चेतना देने का काम किया था। नेताजी सुभाष बाबू ने देश की आज़ादी के लिए जो हजारों किलोमीटर की यात्रा उसे हम कभी नहीं भुला सकते।। उन्होंने कहा कि आज मैं दोनों कलाकार समूहों को इतनी सुंदर प्रस्तुति के लिए पूरे देश और भारत सरकार की ओर से हृदय से बहुत-बहुत धन्यवाद देना चाहता हूँ।

 

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एनडब्ल्यू/आरके/एवाई