प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के कार्यान्वयन में प्रगति की समीक्षा के लिए एक उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की

प्रधानमंत्री ने आज राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के क्रियान्वयन की समीक्षा की। उन्होंने पाया कि एनईपी 2020 के लॉन्च होने के बाद के दो वर्षों में, नीति के तहत निर्धारित पहुंच, सहभागिता, समावेशन और गुणवत्ता के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए अनेक पहल की गई हैं। स्कूली बच्चों का पता लगाने और उन्हें मुख्य धारा में वापस लाने के विशेष प्रयासों से लेकर उच्च शिक्षा में मल्टीप्ल एंट्री एंड एग्जिट की शुरुआत तक, कई परिवर्तनकारी सुधार शुरू किए गए हैं जो देश की प्रगति को परिभाषित और सुनिश्चित करेंगे, क्योंकि हम ‘अमृतकाल’ में प्रवेश करते हैं।

विद्यालय शिक्षा

प्रधानमंत्री को बताया गया कि राष्ट्रीय संचालन समिति के मार्गदर्शन में राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा तैयार करने का कार्य प्रगति पर है। विद्यालय शिक्षा में, शिक्षण के बेहतर परिणामों और बच्चों के समग्र विकास के लिए, बालवाटिका में गुणवत्तापूर्ण शुरुआती बचपन देखभाल एवं शिक्षा (ईसीसीई), निपुन भारत, विद्या प्रवेश, परीक्षा सुधार और कला से जुड़ी शिक्षा, खिलौना-आधारित शिक्षाशास्त्र जैसे अभिनव शिक्षण पहलों को अपनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि स्कूल जाने वाले बच्चों को तकनीक के अत्यधिक जोखिम से बचाने के लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन शिक्षण की एक हाइब्रिड प्रणाली विकसित की जानी चाहिए।

आंगनबाडी केन्द्रों द्वारा अनुरक्षित डेटाबेस को स्कूल डेटाबेस के साथ निर्बाध रूप से जोड़ना चाहिए क्योंकि बच्चे आंगनबाडी से स्कूलों में जाते हैं। स्कूलों में तकनीक की मदद से बच्चों के स्वास्थ्य की नियमित जांच और स्क्रीनिंग की जानी चाहिए। छात्रों में वैचारिक कौशल विकसित करने के लिए स्वदेशी रूप से विकसित खिलौनों के उपयोग पर जोर दिया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि विज्ञान प्रयोगशालाओं वाले माध्यमिक विद्यालयों को मिट्टी के स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए अपने क्षेत्र के किसानों के साथ मिट्टी की जांच के लिए जुड़ना चाहिए।

उच्च शिक्षा में बहुविषयकता

प्रधानमंत्री को यह भी बताया गया कि लचीलेपन और आजीवन शिक्षण के लिए मल्टीपल एंट्री-एग्जिट के दिशा-निर्देशों के साथ-साथ डिजिलॉकर प्लेटफॉर्म पर एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट लॉन्च करने से अब छात्रों को उनकी सुविधा और पसंद के अनुसार अध्ययन करना संभव हो जाएगा। आजीवन शिक्षण के लिए नई संभावनाएं पैदा करने और शिक्षार्थियों में महत्वपूर्ण और अंतःविषय सोच को मुख्य रूप से शामिल करने के लिए, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने दिशा-निर्देश प्रकाशित किए हैं, जिसके अनुसार छात्र एक साथ दो शैक्षणिक पाठ्यक्रमों को पूरा कर सकते हैं। राष्ट्रीय उच्च शिक्षा योग्यता कार्यक्रम (एनएचईक्यूएफ) भी तैयारी के एक उन्नत चरण में है। यूजीसी एनएचईक्यूएफ से तालमेल रखते हुए मौजूदा “पाठ्यचर्या की रूपरेखा और स्नातक कार्यक्रम के लिए क्रेडिट सिस्टम” को संशोधित कर रहा है।

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मल्टी मोडल शिक्षा

स्कूलों और उच्च शिक्षा संस्थानों दोनों द्वारा ऑनलाइन, ओपन और मल्टी-मोडल शिक्षण को अत्यधिक बढ़ावा दिया गया है। इस पहल ने कोविड-19 महामारी के कारण शिक्षण की भरपाई को कम करने में मदद की है और देश के दूरस्थ और दुर्गम हिस्सों तक शिक्षा के विस्तार में बहुत योगदान देगा। स्वयं, दीक्षा, स्वयंप्रभा, वर्चुअल लैब और अन्य ऑनलाइन संसाधन पोर्टल सभी ने छात्र पंजीकरण में तेज वृद्धि देखी है। ये पोर्टल दृष्टिबाधित लोगों के लिए सांकेतिक भाषा और ऑडियो प्रारूपों सहित कई भारतीय भाषाओं में अध्ययन सामग्री प्रदान कर रहे हैं।

उपरोक्त के अलावा, यूजीसी ने मुक्त एवं दूरस्थ शिक्षण (ओडीएल) और ऑनलाइन पाठ्यक्रम विनियम अधिसूचित किए हैं, जिसके तहत 59 उच्च शिक्षण संस्थान (एचईआई) 351 पूर्ण विकसित ऑनलाइन पाठ्यक्रम उपलब्ध करा रहे हैं और 86 उच्च शैक्षिक संस्थान 1081 ओडीएल पाठ्यक्रम उपलब्ध करा रहे हैं। एक कार्यक्रम में ऑनलाइन सामग्री की अनुमत सीमा को भी बढ़ाकर 40 प्रतिशत कर दिया गया है।

नवाचार और स्टार्ट-अप

स्टार्ट-अप और नवाचार के इको-सिस्टम को प्रोत्साहित करने के लिए 28 राज्यों और 6 केंद्रशासित प्रदेशों में उच्च शैक्षिक संस्थानों में 2,774 संस्थान की इनोवेशन काउंसिल की स्थापना की गई है। अनुसंधान, इंक्यूबेशन और स्टार्ट-अप की संस्कृति बनाने के लिए एनईपी के साथ तालमेल कायम करते हुए, दिसंबर 2021 में नवाचार उपलब्धि पर संस्थानों की अटल रैंकिंग (एआरआईआईए) शुरू की गई है। एआरआईआईए में 1438 संस्थानों ने भाग लिया। अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) द्वारा 100 संस्थानों को रटकर सीखने के बजाय आइडिया डेवलपमेंट, इवैल्यूएशन एंड एप्लीकेशन (आईडीईए) लैब्स के लिए एक्सपेरिमेंटल लर्निंग के लिए उद्योग की भागीदारी के साथ वित्तपोषित किया गया है।

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भारतीय भाषाओं का प्रचार

शिक्षा और परीक्षण में बहुभाषावाद पर जोर दिया जा रहा है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि अंग्रेजी के ज्ञान की कमी किसी भी छात्र की शिक्षा प्राप्ति में बाधा न बने। इस उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए राज्य मूलभूत स्तर पर द्विभाषी/त्रिभाषी पाठ्यपुस्तकों का प्रकाशन कर रहे हैं और दीक्षा मंच पर सामग्री 33 भारतीय भाषाओं में उपलब्ध कराई गई है। एनआईओएस ने माध्यमिक स्तर पर भारतीय सांकेतिक भाषा (आईएसएल) को भाषा के विषय के रूप में प्रस्तुत किया है।

राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) ने 13 भाषाओं में जेईई परीक्षा आयोजित की है। एआईसीटीई ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस-आधारित अनुवाद ऐप विकसित किया है और अध्ययन सामग्री का भारतीय भाषाओं में अनुवाद किया जा रहा है। हिंदी, मराठी, बंगाली, तमिल, तेलुगु और कन्नड़ में तकनीकी पुस्तक लेखन का कार्य किया जा रहा है। 2021-22 तक 10 राज्यों के 19 इंजीनियरिंग कॉलेजों में 6 भारतीय भाषाओं में इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम चलाए जा रहे हैं। एआईसीटीई द्वारा क्षेत्रीय भाषाओं में अतिरिक्त 30/60 अतिरिक्त सीटों और क्षेत्रीय भाषाओं में स्वीकृत प्रवेश के 50 प्रतिशत तक का प्रावधान किया गया है।

एनईपी 2020 की सिफारिशों के अनुसार भारतीय ज्ञान प्रणाली को बढ़ावा दिया जा रहा है। एआईसीटीई में एक भारतीय ज्ञान प्रणाली (आईकेएस) सेल की स्थापना की गई है और देश भर में 13 आईकेएस केंद्र खोले गए हैं।

बैठक में शिक्षा और कौशल विकास और उद्यमिता मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान, कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय में राज्यमंत्री श्री राजीव चंद्रशेखर, शिक्षा राज्यमंत्री श्री सुभाष सरकार, शिक्षा राज्यमंत्री श्रीमती अन्नपूर्णा देवी और शिक्षा एवं विदेश राज्य मंत्री श्री राजकुमार रंजन सिंह, प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव, कैबिनेट सचिव, प्रधानमंत्री के सलाहकार, विद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष, अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद के अध्यक्ष, राष्ट्रीय व्यवसायिक शिक्षा एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीवीईटी) के अध्यक्ष, राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) के निदेशक और शिक्षा मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

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एमजी/ एएम/ एसकेएस