केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने आज असम में गुवाहटी के अमीगांव में जनगणना भवन का लोकार्पण और सशस्त्र सीमा बल (SSB) के भवनों का ई-उद्घाटन किया

 वैसे तो पूरे देश के लिये जनगणना अनेक दृष्टि से महत्वपूर्ण होती है लेकिन असम जैसे जनसांख्यिकी संवेदनशील राज्य के लिए जनगणना का बहुत अधिक महत्व है

देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने शुरू से ही जनगणना को बहुत महत्व दिया है

 गृह मंत्रालय ने तय किया है कि जनगणना को आधुनिक से आधुनिक तकनीक के माध्यम से सांइटिफिक,सटीक और बहुआयामी बनाया जाएगा तथा उसके डेटा के विश्लेषण की सारी व्यवस्था बनाई जाएगी

अनुभव सिद्ध डाटा के आधार पर जो निर्णय लिए जाते हैं वह निर्णय परिणाम लक्षित होते हैं, इसलिए अनुभवी सिद्ध डाटा निर्मित के लिए हमने तय किया है कि कोविड़ के कारण रुकी आगामी जनगणना ई जनगणना होगी,इलेक्ट्रॉनिक जनगणना होगी

यह 100% परफेक्ट जनगणना होगी जिसके आधार पर देश के आगामी 25 साल के विकास का खाका खींचा जाएगा

75 साल में हमारा लोकतंत्र माँगों पर आधारित लोकतंत्र हो गया है, देश में कमियों की चर्चा तो होती है परंतु ये कमियाँ किस वजह से हैं इस पर चर्चा नहीं होती,इनका निपटारा कैसे किया जाए इस पर बहुत कम चर्चा होती है

अगर किसी भी देश को इन कमियों का निपटारा करना है तो उसकी प्लानिंग ठीक होनी चाहिए और यह तभी हो सकती है जब जनगणना सटीक हो

जनगणना ही बता सकती है कि देश में कहाँ विकास कम है,अनुसूचित जाति और जनजाति की स्थिति क्या है,पहाड़ों,गाँव,क़स्बों और शहरों में लोग किस प्रकार का जीवन व्यतीत कर रहे हैं

अगर बजट की प्लानिंग जनगणना द्वारा रेखांकित विकास के नक्शे के आधार पर होती है तो सारी समस्याओं का अपने आप समाधान निकल आता है

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में देश में जनगणना को केवल जनसंख्या और जनसांख्यिकी के आंकड़ों के साथ नहीं बल्कि विकास के आयोजन और प्लानिंग का आधार बनाने के लिए एक नई शुरुआत हुई है

हमने देश और समाज के नाते जनगणना को बहुत हल्के से लिया है,जनगणना जनसांख्यिकी, डेमोग्राफिक चेंज,देश के आर्थिक विकास के नक्शे  और आर्थिक विकास में पीछे रह गए भौगोलिक क्षेत्र और सामाजिक समूहों को इंगित करती है

साथ ही जनगणना सामाजिक संरचना में होते बदलाव व भाषा और सांस्कृतिक का परिचय भी ही कराती हैं, इतनी बहुआयामी कवायद को अब तक जितना महत्व मिलना चाहिए था दुर्भाग्य से वह नहीं मिला

इस पूरी एक्सरसाइज में सरदार पटेल को याद करना जरूरी है क्योंकि अस्थाई स्वरूप से काम करने वाले जनगणना संगठन को 1951 में हमारे पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल ने सबसे पहले स्थाई स्वरूप देने का काम किया था

 उस वक्त उन्होंने कहा था कि इस संगठन के स्थाई होने के साथ ही भारत के विकास का नक्शा भी स्थाई रूप से बदलता और आगे बढ़ता रहेगा, अगर हमने इस काम को ठीक तरीके से नहीं किया तो बहुत अनडिजायरेबल रिजल्ट मिलेंगे

        हम एक नया सॉफ्टवेयर तैयार करने जा रहे हैं और इसके अंदर जन्म-मृत्यु रजिस्टर को भी जोड़ने का प्रावधान किया गया है, आने वाले दिनों में हम इसका भी बहुआयामी तरीकों से उपयोग करने वाले हैं

जन्म होने के साथ ही बच्चे की बर्थ डेट के साथ जानकारी  जनगणना रजिस्टर के बैक इंफॉर्मेशन में आ जाएगी, 18 साल का होने के बाद जनगणना रजिस्ट्रार कार्यालय से ही वह मतदाता सूची में मतदाता के रूप में रजिस्टर हो जाएगा

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नागरिक पंजीकरण प्रणाली सीआरएस में भी 2024 तक 100% रजिस्ट्रेशन का लक्ष्य रखा है, 2024 तक हर जन्म और मृत्यु का रजिस्ट्रेशन होगा और हमारी जनगणना ऑटोमेटिकली अपडेट हो जाएगी

एसएसबी सिर्फ बॉर्डर गार्डिंग फोर्स नहीं है जो नेपाल और भूटान की सीमा की सुरक्षा करती है बल्कि उसने बहुत लंबे समय तक सीमांत गांवों की संस्कृति का विश्लेषण किया है, एसएसबी के पास इसका बहुत उपयोगी डाटा है

 आज एसएसबी के करीब 70 करोड़ के अलग-अलग कामों का लोकार्पण हुआ है,मैं एसएसबी सभी कर्मचारियों को गृह मंत्रालय की ओर से बधाई देता हूं 

 

 

          केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने आज असम में गुवाहटी के अमीगांव में जनगणना भवन का लोकार्पण और सशस्त्र सीमा बल (SSB) के भवनों का ई-उद्घाटन किया। इस मौके पर असम के मुख्यमंत्री डॉ हिमंत बिश्व शर्मा, केन्द्रीय गृह सचिव, भारत के महारजिस्ट्रार एवं जनगणना आयुक्त और सशस्त्र सीमा बल के महानिदेशक सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे।

 

          इस अवसर पर केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि वैसे तो पूरे देश के लिये जनगणना अनेक दृष्टि से महत्वपूर्ण होती है लेकिन असम जैसे जनसांख्यिकी संवेदनशील राज्य के लिए जनगणना का बहुत अधिक महत्व है। देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने शुरू से ही जनगणना को बहुत महत्व दिया है। गृह मंत्रालय ने तय किया है कि जनगणना को आधुनिक से आधुनिक तकनीक के माध्यम से सांइटिफिक,सटीक और बहुआयामी बनाया जाएगा तथा उसके डाटा के विश्लेषण की सारी व्यवस्था बनाई जाएगी। उन्होंने कहा कि अनुभव सिद्ध डाटा के आधार पर जो निर्णय लिए जाते हैं वह निर्णय परिणाम लक्षित होते हैं। इसलिए अनुभवी सिद्ध डाटा निर्मित के लिए हमने तय किया है कि कोविड़ के कारण रुकी आगामी जनगणना ई जनगणना होगी,इलेक्ट्रॉनिक जनगणना होगी। यह 100% परफेक्ट जनगणना होगी जिसके आधार पर देश के आगामी 25 साल के विकास का खाका खींचा जाएगा। श्री शाह ने कहा कि 75 साल में हमारा लोकतंत्र माँगों पर आधारित लोकतंत्र हो गया है। हमारे देश में कमियों की चर्चा तो होती है परंतु ये कमियाँ किस वजह से हैं इस पर चर्चा नहीं होती,इनका निपटारा कैसे किया जाए इस पर बहुत कम चर्चा होती है। श्री शाह ने कहा कि अगर किसी भी देश को इन कमियों का निपटारा करना है तो उसकी प्लानिंग ठीक होनी चाहिए और तभी हो सकती है जब जनगणना सटीक हो। जनगणना ही बता सकती है कि देश में कहाँ विकास कम है,अनुसूचित जाति और जनजाति की स्थिति क्या है, पहाड़ों, गाँव, क़स्बों और शहरों में लोग किस प्रकार का जीवन व्यतीत कर रहे हैं। अगर बजट की प्लानिंग जनगणना द्वारा रेखांकित विकास के नक्शे के आधार पर होती है तो सारी समस्याओं का अपने आप समाधान निकल आता है।

 

         

श्री अमित शाह ने कहा कि देश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में जनगणना को केवल जनसंख्या और जनसांख्यिकी के आंकड़ों के साथ नहीं बल्कि विकास के आयोजन और प्लानिंग का आधार बनाने के लिए एक नई शुरुआत हुई है। उन्होने कहा कि हमने देश और समाज के नाते से जनगणना को बहुत हल्के से लिया है। जनगणना जनसांख्यिकी, डेमोग्राफिक चेंज, देश के आर्थिक विकास के नक्शे और आर्थिक विकास में पीछे रह गए भौगोलिक क्षेत्र और सामाजिक समूहों को इंगित करती है। साथ ही सामाजिक संरचना में होते बदलाव व भाषा और सांस्कृतिक परिचय भी जनगणना ही कराती हैं। इतनी बहुआयामी कवायद को अब तक जितना महत्व मिलना चाहिए था दुर्भाग्य से वह नहीं मिला। उन्होने कहा कि आज हम आजादी के 75 साल में खड़े हैं, आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं और हम सब ने तय किया है मोदी जी ने पूरे देश का आह्वान किया है कि देश जब हम आजादी की शताब्दी मनाएँ तब देश दुनिया में हर क्षेत्र में सर्वोच्च स्थान पर होना चाहिए। श्री शाह ने कहा कि जनगणना आंकड़ों का एकमात्र स्रोत होता है और राज्य सरकारों व केंद्र सरकार दोनों की नीतियों के नियोजन और निरूपण इसी के आधार पर किए जाते हैं।

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          गृह मंत्री ने कहा कि इस पूरी एक्सरसाइज में सरदार पटेल को जरूर याद करना जरूरी है क्योंकि अस्थाई स्वरूप से काम करने वाले जनगणना संगठन को 1951 में हमारे पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल ने सबसे पहले इसे स्थाई स्वरूप देने का काम किया था। उस वक्त उन्होंने कहा था कि इस संगठन के स्थाई होने के साथ ही भारत के विकास का नक्शा भी स्थाई रूप से बदलता और आगे बढ़ता रहेगा। अगर हमने इस काम को ठीक तरीके से नहीं किया तो बहुत अनडिजायरेबल रिजल्ट मिलेंगे।

 

          श्री अमित शाह ने कहा कि हम एक नया सॉफ्टवेयर भी तैयार करने जा रहे हैं और इसके अंदर जन्म-मृत्यु रजिस्टर को भी जोड़ने का प्रावधान किया गया है। आने वाले दिनों में हम इसका भी बहुआयामी तरीकों से उपयोग करने वाले हैं। जन्म होने के साथ ही बच्चे की बर्थ डेट के साथ यह जनगणना रजिस्टर के बैक इंफॉर्मेशन में आ जाएगा और 18 साल का होने के बाद जनगणना रजिस्ट्रार कार्यालय से ही वह मतदाता सूची में मतदाता के रूप में रजिस्टर हो जाएगा। मृत्यु होते ही मतदाता सूची से उसका नाम डिलीट हो जाएगा। आप घर बदलेंगे, नई रजिस्ट्री होगी, आपको  एक एसएमएस (SMS) आएगा कि आपने यह घर रहने के लिए लिया है या वहां ट्रांसफर होने वाले हो, आपकी इंफॉर्मेशन के अनुसार ही मतदाता सूची में भी बदलाव हो जाएंगे। उन्होने कहा कि इसमें बहुत अधिक जागरूकता की जरूरत है और हम टेलीविजन चैनल, दूरदर्शन और अखबारों से विनती कर इसके प्रति जागरूकता लाने के प्रयास करेंगे। श्री शाह ने कहा कि नागरिक पंजीकरण प्रणाली सीआरएस में भी 2024 तक 100% रजिस्ट्रेशन का लक्ष्य रखा है, 2024 तक हर जन्म और मृत्यु का रजिस्ट्रेशन होगा और हमारी जनगणना ऑटोमेटिकली अपडेट हो जाएगी।

गृह मंत्री ने कहा कि आज यहाँ एसएसबी के भी अनेकविद्ध प्रकल्पों का लोकार्पण किया गया है। उन्होने कहा कि एसएसबी सिर्फ बॉर्डर गार्डिंग फोर्स नहीं है जो नेपाल और भूटान की सीमा सुरक्षा करती है बल्कि उसने बहुत लंबे समय तक सीमांत गांवों की संस्कृति का विश्लेषण किया है। एसएसबी के पास इसका बहुत उपयोगी डाटा है। आज एसएसबी के करीब 70 करोड़ के अलग-अलग कामों का लोकार्पण हुआ है, मैं एसएसबी सभी कर्मचारियों को गृह मंत्रालय की ओर से बधाई देता हूं।

 

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एनडब्ल्यू/आरके/एवाई