केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने आज गुवाहाटी में अनुकरणीय सेवाओं के लिए असम पुलिस को प्रेसिडेंट कलर प्रदान किया

 

इस ऐतिहासिक अवसर पर असम पुलिस के साथ-साथ गृह मंत्री होने के नाते मुझे इस बात का गर्व हो रहा है कि आज से असम इस सम्मान को हासिल करने वाला देश का दसवाँ पुलिस बल बन गई है

 राष्ट्रपति का निशान प्राप्त करना किसी भी पुलिस संगठन के लिए असाधारण उपलब्धि है और आज से असम पुलिस ने भी इस गौरवपूर्ण क्लब में अपना नाम दर्ज करा लिया है और यह समग्र असम के लिए बहुत गर्व का विषय है

देश में शायद ही कोई ऐसा बल होगा जिसने इतनी कठिन परिस्थितियों का सामना किया हो, देश के सबसे पुराने उग्रवादी विरोधी बल असम रायफ़ल्स को जन्म देने का गौरव भी असम पुलिस को प्राप्त है

असम की महान भूमि से उग्रवाद के बुरे दिन अब समाप्त होने को आए हैं,  प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में हम उग्रवादी संगठनों के साथ एक के बाद एक शांति समझौते कर रहे हैं और वह दिन दूर नहीं जब असम में एक भी उग्रवादी संगठन नहीं होगा

 भटके हुए युवा हथियार डालकर मुख्यधारा में शामिल हो रहे हैं और पड़ोसी राज्य के साथ सीमा विवाद पर वार्ता कर 7 दशक पुरानी समस्या को सुलझाने का प्रयास हो रहा है

 अब अफस्पा (AFSPA) को भी हटाया जा रहा है, पहले यहां आर्म्ड फोर्सेज को स्पेशल पावर्स दी जाती थी,  आज असम के युवा को विकास और उज्जवल भविष्य की स्पेशल पावर देने का काम असम सरकार कर रही है

4 सितंबर 2021 को मेरी उपस्थिति में कार्बी समूह के साथ समझौता हुआ, हाल ही में प्रधानमंत्री जी वहां गए थे और उस समय समझौते की बहुत सारी शर्तों का पालन भी हो गया

अफस्पा हमेशा आम जनता के विरोध का कारण रहता था, हाल में नगालैंड, असम और मणिपुर में अफस्पा के तहत अशांत क्षेत्र कम करने का काम किया गया है

असम में 1990 से अफस्पा लागू था और लगातार 60 बार इसको बढ़ाया गया, आज मुझे यह कहने में गर्व है कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के 8 साल के शासन के बाद असम के 23 जिलों में से अफस्पा पूर्ण रूप से और एक ज़िले में आंशिक रूप से हटा दिया गया है

आज हम असम के 60 प्रतिशत से ज्यादा हिस्से से अफस्पा हटा पाए हैं, आशा करता हूँ कि वह दिन दूर नहीं जब पूरे असम से अफस्पा हटा दिया जाए

असम पुलिस को विभाजन के समय की विभीषिका, सांप्रदायिक दंगे, शरणार्थियों की समस्या, सात दशक से चल रही घुसपैठ की समस्या, 1971 में बांग्लादेश मुक्ति युद्ध में गौरवपूर्ण यात्रा और 1980-90 तक उग्रवाद की चुनौती से निपटे हुए विदेशी शक्तियों को परास्त करने के लिए लंबा संघर्ष विजय के साथ समाप्त करने का गौरव हासिल है

असम पुलिस ने कई प्रतिबंधित संगठनों के साथ डटकर लोहा लिया है और देश की सीमाओं तथा आंतरिक सुरक्षा को मज़बूत करने का काम किया है

असम पुलिस ने हथियार, गौ, ड्रग्स और मानव तस्करी के खिलाफ सात दशक तक निरंतर न थकने वाली और विजयी लड़ाई लड़ी है, इसके लिए असम पुलिस के महानिदेशक से लेकर सबसे युवा कांस्टेबल तक को मैं पूरे देश की ओर से बहुत बहुत बधाई देना चाहता हूँ

अपने कर्तव्य का पालन करते हुए असम पुलिस के लगभग 886 कर्मी शहीद हो गए, इस लड़ाई में असम पुलिस कर्मियों को 2 कीर्ति चक्र, 4 प्रेसिडेंट पुलिस मेडल और 19 पुलिस मेडल प्राप्त हुए हैं जो असम पुलिस की वीरता का एक्नॉलेजमेंट है

आंतरिक सुरक्षा के लिए जब उग्रवाद का संकट आया तब असम पुलिस ने संवैधानिक व्यवस्था बनाए रखने के लिए बंदूक का सामना बंदूक से किया, साथ ही भटके हुए युवाओं को मुख्यधारा में समाहित करने का भी काम किया

असम पुलिस ने कई सामाजिक बुराइयों के खिलाफ भी लड़ाई लड़ी है और विभिन्न कुप्रथाओं से समाज को मुक्त करने का भी काम किया है

असम पुलिस ने मादक पदार्थों की तस्करी और गैंड़ों के  अवैध शिकार रोकने के लिए में भी महत्वपूर्ण सफलता प्राप्त की है,  हिमंत जी के नेतृत्व में असम पुलिस गैंडे के शिकार के खिलाफ और कड़ाई के साथ आगे बढ़ने के लिए कटिबद्ध है

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 असम ने दशकों तक जो रक्त पात, उग्रवाद और अशांति झेली है, अब इसका युग समाप्त हो गया है, अब शांति, भाईचारे और सांस्कृतिक संरक्षण और विकास के एक नए युग की शुरुआत हुई है

 असम पुलिस को राष्ट्रपति का पुलिस निशान मिलने की यह घटना स्वर्ण अक्षरों से लिखी जाएगी, मुझे पूरा भरोसा है कि इससे असम पुलिस बल का हौसला ओर बढ़ेगा और वह त्याग, बलिदान व परिश्रम के साथ देश की सीमाओं और असम की आंतरिक सुरक्षा सुनिश्चितता करेगी

 

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने आज गुवाहाटी में अनुकरणीय सेवाओं के लिए असम पुलिस को प्रेसिडेंट कलर प्रदान किया। इस अवसर पर असम के मुख्यमंत्री डॉ हिमंत बिश्व शर्मा और असम पुलिस के महानिदेशक समेत अनेक गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।

 

 

अपने संबोधन में केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि राष्ट्रपति का चिन्ह प्रदान करने के इस ऐतिहासिक अवसर पर असम पुलिस के साथ-साथ गृह मंत्री होने के नाते मुझे इस बात का गर्व हो रहा है कि आज से असम इस सम्मान को हासिल करने वाला देश का दसवाँ पुलिस बल बन गई है। राष्ट्रपति का निशान प्राप्त करना किसी भी पुलिस संगठन के लिए असाधारण उपलब्धि है और आज से असम पुलिस ने भी इस गौरवपूर्ण क्लब में अपना नाम दर्ज करा लिया है और यह समग्र असम के लिए बहुत गर्व का विषय है। श्री शाह ने कहा कि देश में शायद ही कोई ऐसा बल होगा जिसने इतनी कठिन परिस्थितियों का सामना किया हो। असम पुलिस के लगभग 200 साल के समृद्ध और गौरवपूर्ण इतिहास को याद करें तो 1826 में अंग्रेजों ने यहाँ के एक ज़िला मुख्यालय पर कुछ पुलिसकर्मियों की नियुक्ति करके इस पुलिस फ़ोर्स की शुरुआत की थी। देश के सबसे पुराने उग्रवादी विरोधी बल असम रायफ़ल्स को जन्म देने का गौरव भी असम पुलिस को प्राप्त है। आज़ादी के समय असम पुलिस की संख्या 8000 हज़ार थी जो आज 70000 से अधिक हो गई है।

 

 

श्री अमित शाह ने कहा की मुझे गर्व हो रहा है कि असम की महान भूमि से उग्रवाद के बुरे दिन अब समाप्त होने को आए हैं। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में हम उग्रवादी संगठनों के साथ एक के बाद एक शांति समझौते कर रहे हैं और वह दिन दूर नहीं जब असम में एक भी उग्रवादी संगठन नहीं होगा। उन्होने कहा की भटके हुए युवा हथियार डालकर मुख्यधारा में शामिल हो रहे हैं और पड़ोसी राज्य के साथ सीमा विवाद पर वार्ता कर 7 दशक पुरानी समस्या को सुलझाने का प्रयास हो रहा है। अब अफस्पा (AFSPA) को भी हटाया जा रहा है, पहले यहां आर्म्ड फोर्सेज को स्पेशल पावर्स दी जाती थी आज असम के युवा को विकास और उज्जवल भविष्य की स्पेशल पावर देने का काम असम सरकार कर रही है और यह हम सबके लिए आनंद का विषय है। सीमावर्ती जिलों में असम पुलिस सीएपीएफ (CAPFs) के साथ खड़ी रहकर एक अभेध दीवार खड़ी करती है और 6 साल के अंदर असम की सीमाओं से घुसपैठ और पिछले एक साल  में गौ तस्करी को लगभग शून्य के बराबर लाने में असम पुलिस और असम सरकार को बहुत बड़ी सफलता मिली है।

गृह मंत्री ने कहा कि दशकों से लंबित समस्याएं हल की गई हैं,  4 सितंबर 2021 को मेरी उपस्थिति में कार्बी समूह के साथ समझौता हुआ। हाल ही में प्रधानमंत्री जी वहां गए थे और उस समय समझौते की बहुत सारी शर्तों का पालन भी हो गया। साथ ही बोड़ो समूह के कैडर का पुनर्वास करना, बोड़ो समूहों के साथ समझौता करना और करीब 427 पूर्व कैडरों के खिलाफ 274 मामले वापस लेकर आज उनको मुख्यधारा में लाने का काम किया गया है। श्री शाह ने कहा कि अफस्पा हमेशा आम जनता के विरोध का कारण रहता था। हाल में ही नगालैंड, असम और मणिपुर में अफस्पा के तहत अशांत क्षेत्र कम करने का काम किया गया है। असम में 1990 से अफस्पा लागू था और लगातार 60 बार इसको बढ़ाया गया। आज मुझे यह कहने में गर्व है कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के 8 साल के शासन के बाद असम के 23 जिलों में से अफस्पा को पूर्ण रूप से और एक ज़िले में आंशिक रूप से हटा दिया गया है। आज हम असम के 60 प्रतिशत से ज्यादा हिस्से से अफस्पा हटा पाए हैं, आशा करता हूँ कि वह दिन दूर नहीं जब पूरे असम से अफस्पा हटा दिया जाए।

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श्री अमित शाह ने कहा कि असम पुलिस ने राष्ट्रीय एकता की अनेक महत्वपूर्ण लड़ाई बहुत अच्छे तरीक़े से लड़ी हैं। विभाजन के समय की विभीषिका, सांप्रदायिक दंगे, शरणार्थियों की समस्या, सात दशक से चल रही घुसपैठ की समस्या, 1971 में बांग्लादेश मुक्ति युद्ध में गौरवपूर्ण यात्रा और 1980-90 तक उग्रवाद की चुनौती से निपटे हुए विदेशी शक्तियों को परास्त करने के लिए लंबा संघर्ष विजय के साथ समाप्त करने का गौरव असम पुलिस को हासिल है। असम पुलिस ने कई प्रतिबंधित संगठनों के साथ डटकर लोहा लिया है और देश की सीमाओं तथा आंतरिक सुरक्षा को मज़बूत करने का काम किया है। यूनिफाइड कमान के तहत असम पुलिस ने ऑपरेशन बजरंग और भारतीय सेना के ऑपरेशन राइनो में भी एक सहकर्मी की भूमिका निभाकर भारतीय सेना की सहायता करने का काम किया है। साथ ही असम पुलिस ने हथियार, गौ, ड्रग्स और मानव तस्करी के खिलाफ सात दशक तक निरंतर न थकने वाली और विजयी लड़ाई लड़ी है। इसके लिए असम पुलिस के महानिदेशक से लेकर सबसे युवा कांस्टेबल तक को मैं पूरे देश की ओर से बहुत बहुत बधाई देना चाहता हूँ।

गृह मंत्री ने कहा अपने कर्तव्य का पालन करते हुए असम पुलिस के लगभग 886 कर्मी शहीद हो गए, इस लड़ाई में असम पुलिस कर्मियों को 2 कीर्ति चक्र, 4 प्रेसिडेंट पुलिस मेडल और 19 पुलिस मेडल प्राप्त हुए हैं जो असम पुलिस की वीरता का एक्नॉलेजमेंट है। उन्होंने कहा कि आंतरिक सुरक्षा के लिए जब उग्रवाद का संकट आया तब असम पुलिस ने संवैधानिक व्यवस्था को बनाए रखने के लिए बंदूक का सामना बंदूक से किया और साथ ही भटके हुए युवाओं को मुख्यधारा में समाहित करने का भी काम किया। असम पुलिस ने कई सामाजिक बुराइयों के खिलाफ भी लड़ाई लड़ी है और विभिन्न कुप्रथाओं से समाज को मुक्त करने का भी काम किया है। असम में हिंसा और आतंकवाद के शिकार बच्चों के कल्याण के लिए ‘प्रोजेक्ट अश्व’ ने समग्र देश में असम पुलिस को गौरव दिलाया है। हथियार डाल चुके उग्रवादियों के समुचित पुनर्वास और उनके समग्र विकास, स्थानीय संस्कृति की पहचान और लोकाचार की सुरक्षा के लिए असम पुलिस ने न केवल प्रयास किए बल्कि परिणाम भी हासिल किए हैं।

श्री अमित शाह ने कहा कि असम पुलिस ने मादक पदार्थों की तस्करी और गैंड़ों के  अवैध शिकार रोकने के लिए में भी महत्वपूर्ण सफलता प्राप्त की है। इस सिलसिले में 2,834 मामले दर्ज किए गए और करीब 5,000 लोगों को गिरफ्तार किया गया। हिमंत जी के नेतृत्व में असम पुलिस गैंडे के शिकार के खिलाफ और कड़ाई के साथ आगे बढ़ने के लिए कटिबद्ध है। विगत एक साल में असम पुलिस ने ढेर सारी उपलब्धियां प्राप्त की है। उन्होंने कहा कि आज असम पुलिस को जो राष्ट्रपति का निशान मिला है इसके लिए वह सर्वथा और सर्वदृष्टि से योग्य पुलिस है और असम पुलिस भारत के सबसे अच्छे पुलिस बलों में अपना स्थान सुनिश्चित कर चुकी है। इतनी सारी भौगोलिक विषमताओं और चुनौतियों के बावजूद भी आज असम विकास के रास्ते पर चल रहा है। असम ने दशकों तक जो रक्त पात, उग्रवाद और अशांति झेली है, अब इसका युग समाप्त हो गया है। अब शांति,भाईचारे और सांस्कृतिक संरक्षण और विकास के एक नए युग की शुरुआत हुई है। असम पुलिस को राष्ट्रपति का पुलिस निशान मिलने की यह घटना स्वर्ण अक्षरों से लिखी जाएगी और मुझे पूरा भरोसा है कि इससे असम पुलिस बल का हौसला ओर बढ़ेगा और वह त्याग, बलिदान व परिश्रम के साथ देश की सीमाओं और असम की आंतरिक सुरक्षा सुनिश्चितता करेगी।

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