उपराष्ट्रपति ने कृषि अनुसंधान एवं विकास पर खर्च बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया

उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडु ने आज देश में कृषि अनुसंधान की गुणवत्ता और क्षमता बढ़ाने का आह्वान किया ताकि लंबी अवधि में कृषि-उत्पादकता में पर्याप्त लाभ प्राप्त किया जा सके। यह देखते हुए कि बिना विस्तार गतिविधियों के कोई भी उन्नत देश कृषि उत्पादकता में सुधार नहीं कर सकता, श्री नायडु ने कृषि क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास खर्च को बढ़ाने का सुझाव दिया – जो अभी ‘हमारे कृषि सकल घरेलू उत्पाद के एक प्रतिशत से भी कम’ है।

इसके अलावा, श्री नायडु ने ‘कृषि शोधकर्ताओं, नीति निर्माताओं, उद्यमियों और वैज्ञानिकों से किसानों के लिए कृषि को जलवायु के प्रति लचीला, लाभदायक और टिकाऊ बनाने तथा पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास’ करने का आह्वान किया।

The Vice President, Shri M. Venkaiah Naidu attending the 4th graduation ceremony of the Agri-Business Management programme of ICAR–National Academy of Agricultural Research Management (NAARM) in Hyderabad today. @icarindia #Agriculture pic.twitter.com/lM6JXv6iU2

उपराष्ट्रपति आज हैदराबाद में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद – राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रबंधन अकादमी (एनएएआरएम) के कृषि-व्यवसाय प्रबंधन कार्यक्रम के स्नातक समारोह में भाग ले रहे थे। श्री नायडु ने कुछ चुनिंदा छात्रों को स्वर्ण पदक और निदेशक पदक भी प्रदान किए। राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रबंधन अकादमी यानी एनएएआरएम भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) का एक विशेष संस्थान है, जिसे कृषि अनुसंधान, शिक्षा और विस्तार शिक्षा प्रणालियों में क्षमता निर्माण के लिए स्थापित किया गया है।

इस अवसर पर अपने संबोधन में उपराष्ट्रपति ने जोर देकर कहा कि कृषि विश्वविद्यालयों को न केवल नई तकनीकों और अनवरत उत्पादन के तरीकों को विकसित करना चाहिए, बल्कि देश के हर हिस्से में इन विकसित किए गए उपायों और तकनीकों को गरीब से गरीब किसान तक ले जाना अपना अनिवार्य कर्तव्य मानना​चाहिए। उन्होंने कृषि विश्वविद्यालयों से छात्रों को गांवों का दौरा करने और वास्तविक कृषि मुद्दों को सीधे स्वयं जानने-समझने के लिए प्रोत्साहित करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, “हमें किसानों का उत्पादन और उनकी आय बढ़ाने में अनुसंधान लाभों को किसानों तक पहुंचाने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी के ‘लैब टू लैंड’ यानी प्रयोगशाला से खेत तक के नारे को आत्मसात कर लेना चाहिए।”

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इसका विस्तार से उल्लेख करते हुए श्री नायडु ने सुझाव दिया कि ‘बहुत अधिक तकनीकी शब्दजाल का सहारा लिए बिना’ विस्तार जानकारी को किसानों तक सरल भाषा में छोटे-छोटे भागों में पहुंचाया जाना चाहिए। उन्होंने मोबाइल-आधारित विस्तार सेवाएं देने के तरीकों का पता लगाने तथा‘एक मांग पर और बिना किसी अव्यवस्था के सभी सेवाओं के लिए एक ही जगह पर यानी वन-स्टॉप समाधान’ की पेशकश करने का भी सुझाव दिया।

उपराष्ट्रपति ने भारतीय कृषि की विभिन्न उभरती चुनौतियों, जैसे कि पानी की उपलब्धता का घटना,जलवायु परिवर्तन, मिट्टी का क्षरण, जैव विविधता का नुकसान, नए कीट और रोग, खेतों का आकार छोटा होना तथा अन्य मुद्दों पर बात की। उन्होंने कहा कि ये चुनौतियां आने वाले वर्षों में कृषि अनुसंधान कार्य को और भी महत्वपूर्ण बना देंगी।”

उपराष्ट्रपति ने इन चुनौतियों से निपटने के लिए “हमारे अनुसंधान दृष्टिकोण में प्रतिमान बदलाव”का आह्वान किया और तकनीकी नवाचार, मानव संसाधन तथा विस्तार सेवाओं में उत्कृष्टता का लक्ष्य रखा। उन्होंने अन्य क्षेत्रों के अलावा जीनोमिक्स, आणविक प्रजनन और नैनो प्रौद्योगिकी जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में निवेश करने का भी सुझाव दिया। उन्होंने आईसीएआर संस्थानों से कृषि और ड्रोन तथा कृत्रिम बुद्धिमता जैसे आधुनिक तकनीकों के बीच तालमेल बनाने और मापनीय उत्पादों को विकसित करने का आह्वान किया।

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श्री नायडु ने विशेष रूप से द्वितीयक और तृतीयक कृषि को लाभदायक बनाने के लिए कुशल जनशक्ति तैयार करने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि कृषि-व्यवसाय में प्रशिक्षित स्नातक कृषि को एक संगठित क्षेत्र बनाने की दिशा में काम कर सकते हैं और नौकरी मांगने वालों के बजाय नौकरी देने वाले बन सकते हैं।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि फसल खराब होने के जोखिम में विविधता लाने के लिए किसानों को संबद्ध गतिविधियों के लिए प्रोत्साहित करने की तत्काल आवश्यकता है। उन्होंने कृषि-जलवायु के अनुकूल फसलों जैसे बाजरा और बागवानी फसलों को अपनाने का भी सुझाव दिया। श्री नायडु ने कोल्ड स्टोरेज और अन्य बुनियादी ढांचे में अधिक निवेश का आह्वान किया जो उत्पादन को अधिक दिनों तक सुरक्षित रखते हुए उसके मूल्य को बढ़ा देते हैं और किसानों के लिए बेहतर आय बनाने में मदददार साबित होते हैं।

इस अवसर पर उपराष्ट्रपति ने भारतीय किसानों को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा कि “बाढ़ हो, सूखा या यहां तककि महामारी चाहे जो भी आए, हमारे किसान हमेशा विपरीत परिस्थितियों का डटकर सामना करते रहे हैं।”उन्होंने देखा कि कई चुनौतियों के बावजूद, भारतीय कृषि क्षेत्र “अपने लचीलेपन से आश्चर्यचकित करने में कभी विफल नहीं होता”।

इस अवसर पर डॉ. रंजीत कुमार, प्रमुख, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद – राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रबंधन अकादमी (एनएएआरएम); डॉ. टी. महापात्रा, सचिव, डीएआरई एवं महानिदेशक, एसीएआर; डॉ. चौ. श्रीनिवास राव, निदेशक, एसीएआर-एनएएआरएम; डॉ. जी. वेंकटेश्वरलू, डीन और संयुक्त निदेशक, एसीएआर-एनएएआरएम; बी. गणेश कुमार, प्रधान समन्वयक, पीजीडीएम-एबीएम और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

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