राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के आपदा प्रबंधन विभागों के राहत आयुक्तों एवं सचिवों का वार्षिक सम्मेलन शुरू

केंद्रीय गृह सचिव ने अपने उद्घाटन भाषण में राज्य सरकारों और केंद्र सरकार के अधिकारियों को बेहतर तरीके से तैयार रहने को कहा, ताकि बाढ़, चक्रवात, भूस्खलन जैसी प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले नुकसान को कम-से-कम किया जा सके। उन्होंने पूरे वर्ष 24×7 तैयारियां सुनिश्चित करने के लिए क्षमता निर्माण और सदैव सजग रहकर ठोस कदम उठाने की आवश्यकता पर विशेष जोर दिया। उन्होंने न केवल हम सभी के लिए, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी आपदाओं से बचाव हेतु लंबी अवधि के लिए बुनियादी ढांचे का विकास करने   संबंधी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के विजन का उल्लेख किया।

केंद्रीय गृह सचिव ने कहा कि पिछले कई वर्षों में निरंतर किए गए प्रयासों के जरिए आपदा प्रबंधन प्रणाली मानव जीवन पर प्राकृतिक आपदाओं के प्रतिकूल प्रभावों को कम-से-कम करने में सक्षम हो गई है। उन्होंने बताया कि केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह ने कहा था कि वर्ष 2014 के बाद आपदा प्रबंधन के दृष्टिकोण में बड़ा बदलाव आया है क्योंकि पहले इससे जुड़ा दृष्टिकोण महज राहत केंद्रित ही हुआ करता था। हालांकि, अब मानव जीवन को बचाने का दृष्टिकोण आपदा प्रबंधन का एक अतिरिक्त घटक बन गया है। केंद्रीय गृह मंत्री ने यह सुनिश्चित करने पर भी विशेष जोर दिया है कि जहां तक हो सके, लू लगने और बिजली गिरने जैसी घटनाओं में लोगों की जान न जाए। उन्होंने इस तरह के जोखिमों में और भी कमी लाने के लिए सही कदम उठाने और समय पर संसाधनों का निवेश करने के विशेष महत्व को रेखांकित किया। उन्‍होंने कहा कि लोगों की जान न जाने की नौबत को शून्य के करीब लाने के उद्देश्य से जोखिम में कमी लाने और शमन की दिशा में प्रयासों को और तेज किए जाना चाहिए।

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उन्होंने राज्यों से शहरी स्थानीय निकायों, उनके राज्य आपदा प्रतिक्रिया बलों (एसडीआरएफ), अग्निशमन सेवा और नागरिक सुरक्षा की क्षमता बढ़ाने का आह्वान किया क्योंकि आपदा के दौरान सबसे पहले उनकी ही सेवाएं ली जाती हैं। उन्होंने शहर और जिला स्तर पर क्षमता निर्माण और समुदायों को शामिल करने के महत्व पर भी जोर दिया।

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केंद्रीय गृह सचिव ने कहा कि हाल के वर्षों में बाढ़ के अलावा चक्रवाती तूफान, जंगल में आग लगने, लू चलने और बिजली गिरने की घटनाएं काफी बढ़ गई हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि अत्‍यंत कारगर आपदा जोखिम प्रबंधन के लिए विभिन्‍न संस्थानों के बीच तालमेल और प्रभावकारी समन्वय अत्‍यंत आवश्‍यक है। यह स्थानीय, जिला और राज्य स्तर पर कार्य योजना तैयार करके सुनिश्चित किया जा सकता है।

इस सम्मेलन के दौरान विभिन्न राज्य विगत वर्षों में विभिन्न आपदाओं से निपटने के लिए अपनी तैयारियों और अनुभवों और विकसित सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करेंगे।

 

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