बसंत पंचमी विशेष:

📔 बसंत पंचमी विशेष: 18000 पुस्तकों व 50 पत्रिकाओं से सुसज्जित छोटी खाटू पुस्तकालय 30 गांवों के युवा करते हैं तैयारी, 100 से ज्यादा को मिल चुकी है नौकरी

19 मई 1958 को हुई स्थापना, राष्ट्रपति कोविंद, संघ संचालक मोहन भागवत, हजारी प्रसाद द्विवेदी व महादेवी वर्मा तक कर चुके प्रशंसा….

सीकर।
छोटी खाटू का नाम भले ही छोटी खाटू है मगर महत्ता उससे कहीं अधिक बड़ी है। यह कस्बा अपने पुस्तकालय की वजह से देशभर में विख्यात है। संभवत: इस कस्बे का पुस्तकालय देश का पहला होगा जहां महादेवी वर्मा और जैनेंद्र कुमार से लेकर मोहन भागवत व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद तक आ चुके हैं और इसकी प्रशंसा भी कर चुके हैं। अब जानिए इसकी शुरूआत। इसका सपना शिक्षाविद् एवं साहित्यकार जुगल किशोर जैथलिया ने युवा पीढ़ी को दिशा देने के लिए संजोया था।

1958 में श्री छोटी खाटू हिंदी पुस्तकालय के नाम से स्थापना की। वाचनालय एवं पुस्तकालय के अलावा ‘पंडित दीनदयाल उपाध्याय साहित्य सम्मान एवं महाकवि कन्हैयालाल सेठिया मायड़ भाषा सम्मान ने इस पुस्तकालय को विशिष्टता प्रदान की है। छोटी खाटू पुस्तकालय में राष्ट्रपति से लेकर जाने-माने साहित्यकार आ चुके हैं, प्रथा ऐसी की आय-व्यय की ऑडिट करा पंफलेट में ब्यौरा छपा गांव में करते हैं चस्पा।

देश की जानी मानी हस्तियों ने यह लिखा

1 महादेवी वर्मा ने लिखा- मैंने छोटी खाटू का हिंदी पुस्तकालय देखा। ऐसेे पुस्तकालय सांस्कृतिक दृष्टि से विशेष महत्वपूर्ण होते हैं। युगांतर से संचित ज्ञान और चिंतन अपनी समस्त सजीवता के साथ आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचता है।

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2 राष्ट्रपति डॉ. रामनाथ कोविंद ने लिखा- छोटी खाटू पुस्तकालय का अवलोकन कर प्रसन्नता हुई, सम्मानित साहित्यकारों के सानिध्य ने इस इसकी गरिमा को बढ़ाया है। सतत साधना से ही इस प्रकार के प्रकल्प निरंतर चलते हैं।

3 मोहन भागवत संघ संचालक ने लिखा कि छोटी खाटू में पुस्तकालय देख कर मन को आनंद हुआ, आश्वस्ति भी हुई।

4 हजारी प्रसाद द्विवेदी ने लिखा है कि इस छोटे से गांव के रहने वालों के पारस्परिक सहयोग और सहृदयता पूर्ण व्यवहार से में अत्यधिक प्रभावित हूं। पुस्तकालय उनके उत्साह, सहयोग और निष्ठा का प्रतीक है।

5 श्याम सुंदर बिस्सा आईएएस ने लिखा- विभिन्न विषयों के दुर्लभ ग्रंथ व आधुनातन प्रकाशन देखकर प्रसन्नता हुई। 50 से अधिक वर्ष पूर्व एक छोटे कस्बे में ऐसे पुस्तकालय का होना किसी गौरव की बात है।

भवन का उद्घाटन 15 मई 1967 को विशेष समारोह में प्रसिद्ध राष्ट्रवादी साहित्यकार व उपन्यास सम्राट वैद्य गुरुदत्त ने किया। बाद में विभिन्न कार्यक्रमों एवं वार्षिक सम्मान समारोह में आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी, महादेवी वर्मा, जैनेंद्र कुमार, कन्हैयालाल सेठिया, भवानीप्रसाद मिश्र, आचार्य विष्णुकांत शास्त्री, बशीर अहमद मयूख, नरेंद्र कोहली, डॉ. मुरलीमनोहर जोशी, भैयाजी जोशी, मोहन भागवत, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद जैसी राजनीतिक, साहित्यकार हस्तियां आ चुकी हैं। यहां 18000 पुस्तकें, 50 से अधिक दैनिक पत्र पत्रिकाओं से युक्त वाचनालय, सुसज्जित सभागार से समृद्ध यह पुस्तकालय है। इसमें अध्ययन कर अब तक 100 से अधिक युवा नाैकरी पा चुके हैं।

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हर साल आय-व्यय का होता है लेखा-जोखा

पुस्तकालय अध्यक्ष कपूरचंद बेताला ने बताया कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय साहित्य सम्मान सर्वप्रथम 1990 में वरिष्ठ साहित्यकार बशीर अहमद मयंक कोटा को पूज्य आचार्य श्री तुलसी की उपस्थिति में प्रदान किया गया। तब से लगातार हर वर्ष यह सम्मान दिया जा रहा है। 150 रुपए वार्षिक बजट से पुस्तकालय शुरू किया गया था, जो साल दर साल बढ़ता गया। संस्था पर कभी रुपए-पैसे को लेकर कोई आरोप न लगे, इसके लिए हर साल ऑडिट कराते हैं। आय-व्यय का पर्चा छपवाकर गांव में सार्वजनिक जगहों पर चिपका दिया जाता है।

सम्मान: हर साल दिए जाते हैं तीन तरह के सम्मान

पुस्तकालय द्वारा प्रतिवर्ष देश के विख्यात व प्रसिद्ध साहित्यकारों को पंडित दीनदयाल उपाध्याय तथा महाकवि कन्हैयालाल सेठिया मायड़ भाषा सम्मान दिया जाता है। यह सम्मान 1990 से शुरू किया था। 2016 से श्री छोटी खाटू गौरव सम्मान प्रारंभ किया गया। पहला सम्मान एम्स दिल्ली में वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ डॉक्टर केसी गोस्वामी को दिया गया एवं मरणोपरांत स्वर्गीय जुगल किशोर जी जेथलिया को प्रदान किया गया।