काशी में देवों के देव महादेव का चढ़ा तिलक, विवाह की तैयारियों में जुटे भक्त

काशी में देवों के देव महादेव का चढ़ा तिलक, विवाह की तैयारियों में जुटे भक्त

देवाधिदेव महादेव के त्रिशूल पर बसी काशी इन दिनों शिव-विवाह की तैयारियों में झूम रहा है. शादी की तैयारी कुछ ऐसी है कि चारों तरफ डमरुओ की थाप और शहनाई की आवाज गूंज रही है. शिव विवाह की तैयारी धर्म नगरी में बसंत पंचमी से शरू होती है यानी कि माता शक्ति के मायके पक्ष से आज बाबा भोलेनाथ के घर लोग उनका तिलक उत्सव करने पहुंचे और शिवरात्रि पर बारात लेकर आने का आमंत्रण दिया.

धर्मनगरी वाराणसी जहां बसंत पंचमी से ही भगवान शिव के विवाह की तैयारी शुरू हो जाती है. बाबा विश्वनाथ का बसंत पंचमी के दिन तिलक किया जाता है और विवाह शिवरात्रि को होती है तो वहीं होली के पहले पढ़ने वाले रंगभरी एकादशी पर बाबा माता का गौना कैलाश ले करके जाते हैं. काशी में इस उत्सव को बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. एक तरफ बाबा का ससुराल बनता है तो दूसरी तरफ माता सती का मायका और दोनों पक्ष के लोग इस शादी समारोह में वैसे ही शामिल होते हैं जैसे कि लड़का पक्ष और लड़की पक्ष.

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बाबा विश्वनाथ के तिलक की इस बेला पर काशी में एक उत्सव का माहौल बना रहा. गीत संगीत के साथ काशी का कोना-कोना हर-हर महादेव के जयकारे से गुंजायमान रहा. इस परंपरा को काशी में 357 साल पहले शुरू किया गया था. शास्त्रों के अनुसार बसंत पंचमी के दिन ही माता सती के पिता राजा दक्ष अपने सहयोगियों व अन्य राजा महाराजाओं के साथ कैलाश पर जाकर बाबा भोलेनाथ का तिलक कर उन्हें माता सती से शादी करने के लिए आमंत्रित किया था. इसी परंपरा को काशी में 357 साल पहले शुरू किया गया था और आज तक इस परंपरा को लगातार निभाया जा रहा है. काशी के लोग इस परंपरा में शामिल होकर अपने आप को धन्य मानते हैं. शिव नगरी में भगवान शिव की बरात बड़े ही धूमधाम से निकाली जाती है. शिवरात्रि की रात भगवान शिव की शादी बाबा विश्वनाथ के मंदिर में ठीक उसी तरीके से होती है जैसा की रीति रिवाज से शादियां होती हैं. काशी में शिव की भक्ति शिवरात्रि के दिन अपने चरम पर होती है.