केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री श्री नित्यानंद राय आज नई दिल्ली में सीमा सुरक्षा बल (BSF) के अलंकरण समारोह और रुस्तमजी मेमोरियल लेक्चर में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए

केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री श्री नित्यानंद राय आज नई दिल्ली में सीमा सुरक्षा बल (BSF) के अलंकरण समारोह और रुस्तमजी मेमोरियल लेक्चर में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। गृह राज्य मंत्री ने वीर सीमा प्रहरियों का शौर्य सम्मान करते हुए अदम्य साहस, वीरता और कर्तव्य के प्रति समर्पण के लिए पदक प्रदान किए। कार्यक्रम में ड्रोन विरोधी तकनीक  प्रारूप का हस्तांतरण भी किया गया। समारोह में बीएसएफ़ के महानिदेशक श्री पंकज कुमार सिंह, अन्य केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के महानिदेशक और सीमा सुरक्षा बल के वरिष्ठ अधिकारियों सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।

अपने संबोधन में श्री नित्यानंद राय ने कहा कि सीमा सुरक्षा बल देश के प्रतिष्ठित केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों में से एक है जो 01 दिसंबर 1965 से भारत की हजारों किलोमीटर लंबी सीमाओं की रक्षा के साथ, संकट के समय देश की  आंतरिक सुरक्षा से जुड़े दायित्वों का सफलतापूर्वक निर्वहन कर रहा है। सीमा सुरक्षा बल का गौरवशाली इतिहास बलिदानी वीरों की गाथाओं से परिपूर्ण है। उन्होने कहा कि बीएसएफ़ के स्थापना से अब तक सीमा प्रहरियों को एक पद्म विभूषण, दो पद्म भूषण, एक महावीर चक्र, चार कीर्ति चक्र, सात पदमश्री, 13 वीर चक्र, 13 शौर्य चक्र और 56 सेना मेडल सहित 1202 अन्य वीरता पदक मिले हैं जो इस बात का प्रमाण है कि सीमा सुरक्षा बल के जवान देश के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर करने के लिए सदैव तत्पर रहते हैं।

          केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री ने कहा कि कश्मीर की बर्फीली चोटियों, झुलसा देने वाले थार, कच्छ का रण और घने वर्षा वनों के बीच से भारत-पाकिस्तान और भारत-बांग्लादेश से लगतीं अंतर्राष्ट्रीय सीमाएं, सीमा सुरक्षा बल के अभेद्य सुरक्षा घेरे में सुरक्षित हैं। समय के साथ-साथ नवीनतम तकनीक के समावेश से सीमावर्ती अपराधों व चुनौतियों में नित नए बदलाव देखने को मिल रहे हैं। प्रतिदिन नई युक्तियों के माध्यम से पड़ोसी देश प्रायोजित ढंग से देश विरोधी शक्तियों द्वारा राजनैतिक नुकसान पहुंचाने के प्रयास लगातार कर रहा है। देश की पश्चिमी सीमाओं पर ड्रोन की गतिविधियां, सीमापार से खोदी गई सुरंगों, घुसपैठ के प्रयास आदि घटनाएं सीमा प्रहरियों के बुलंद हौसलों का प्रतिदिन इम्तिहान ले रही है और BSF इस इम्तिहान में सफल भी हो रहा है ।

श्री नित्यानंद राय ने कहा कि इन सभी नई चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए सीमा सुरक्षा बल, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा प्रेरित बीएसएफ हैकाथॉन (भूमि) एवं अग्नि मिशन पर पूर्ण लगन के साथ काम कर रहा है। इसमें सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय और अन्य प्रमुख सरकारी संस्थाओं के साथ मिलकर बीएसएफ़ एंटी ड्रोन एवं एंटी टनल तकनीक के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करने सफलता प्राप्त कर रहा है। साथ ही पूर्वोत्तर में लंबे समय से सक्रिय राष्ट्र विरोधी ताकतों से निपटने में बल का सराहनीय योगदान रहा है। देश की सीमाओं की सुरक्षा के साथ-साथ, बीएसएफ़ वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित इलाकों में भी सुरक्षा व्यवस्था का सफलतापूर्वक संभाल रहा है।

केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री ने कहा कि गृह मंत्रालय ने सीमा सुरक्षा बल को मजबूती प्रदान करते हुए सुंदरवन डेल्टा क्षेत्र की प्रभावी निगरानी और सुरक्षा के लिए छ्ह नई फ्लोटिंग सीमा चौकियाँ तैनात की हैं। प्रत्येक सीमा चौकी आधुनिक सुविधाओं एवं तकनीकी उपकरणों से सुसज्जित है जो लगातार लगभग एक महीने तक बिना दोबारा ईंधन भरे तैनात रह सकती हैं। इनके अलावा निकट भविष्य में गुजरात के क्रीक एरिया में तीन अन्य नई फ्लोटिंग सीमा चौकियों की तैनाती की जाएगी। इन नई फ्लोटिंग सीमा चौकियों पर जवानों की तैनाती के लिए गृह मंत्रालय 54 अतिरिक्त तकनीकी कार्मिकों का शीघ्र ही ऑथोराइजेशन प्रदान करेगा ।

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          श्री नित्यानंद राय ने कहा कि 1971 में बांग्लादेश के स्वतंत्रता युद्ध में बीएसएफ़ महानिदेशक श्री के. एफ. रुस्तमजी के नेतृत्व में सीमा सुरक्षा बल ने बांग्लादेश की मुक्तिवाहिनी के साथ मिलकर जिस तरह की भूमिका को अंजाम दिया है आज पूरा देश उससे परिचित है और इसकी प्रशंसा करता है। अपनी स्थापना से लेकर आज तक जिस स्वरूप में यह बल स्थापित हुआ है इसमे रुस्तमजी की महती भूमिका को कभी भुलाया नहीं जा सकता है। उन्होने कहा कि बल के संस्थापक व प्रथम महानिदेशक श्री रुस्तमजी की स्मृति में सीमा सुरक्षा बल द्वारा प्रत्येक वर्ष अलंकरण समारोह और रुस्तमजी स्मृति व्याख्यान का आयोजन बहुत महत्वपूर्ण है। इस वर्ष रुस्तमजी स्मृति व्याख्यान शृंखला में “सीमावर्ती जनसंख्या: सीमा प्रबंधन से राष्ट्र निर्माण तक” विषय बहुत ही सामयिक एवं विषयगत है।

         केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री ने कहा कि  भारत की 15,106.7 किलोमीटर लम्बी सीमा रेखा 7 पड़ोसी देशों के साथ मिलती है। सियाचीन ग्लेशियर से थार मरूभूमि और कच्छ के रन से लेकर सुंदरबन तक भारतीय सीमा रेखा, भौगोलिक विभिन्नता के साथ सुरक्षा दृष्टिकोण से दुर्गम और कठिन है। प्रशासनिक दृष्टिकोण से दूर दराज होने और देश की मुख्य धारा से कम जुड़े होने के कारण सीमावर्ती जनसंख्या में साक्षरता का स्तर निम्न देखा जाता है। राष्ट्रीय सुरक्षा प्रणाली में सुधार पर मंत्रियों के समूह (GOM) ने वर्ष 2001 में अपनी रिपोर्ट में टिप्पणी की थी कि भारत की अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर रहने वाले लोग, विशेष रूप से भूमि सीमाओं पर बसे लोग दुर्गम क्षेत्र और कठिन जीवन परिस्थितियों में रहते हुए आम सुविधाओं से वंचित है। पर्याप्त आर्थिक अवसरों और अपेक्षाकृत अविकसित बुनियादी ढांचे की कमी के कारण, कुछ सीमावर्ती लोग बेहतर जीवनशैली और रोजगार के लिए सीमावर्ती क्षेत्रों से मुख्य भूमि की ओर पलायन करते हैं। इन सभी कारणों से सीमावर्ती जनसंख्या का राष्ट्र के साथ पूर्ण एकीकरण नहीं हो पाया है।

         श्री नित्यानंद राय ने कहा कि देश की सीमा को सुरक्षित बनाने में सीमावर्ती इलाकों में बसे लोग अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। ऐसे में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार द्वारा सीमा प्रबंधन को और अधिक प्रभावशाली बनाने के लिए सीमा सुरक्षा की अवधारणा को पुनः परिभाषित किया जा रहा है जिसमें स्थानीय जनसंख्या को केन्द्र में रखा जा रहा है। उन्होने कहा कि आज से 75 वर्ष पहले जब भारत ने स्वतंत्रता की दहलीज पर कदम रखा तब हमने आधुनिक राष्ट्र और विभिन्न समुदायों, जो विभिन्न मूल, इतिहास, भाषा, संस्कृति और धर्म से आते हैं, को एक साथ पिरोने का जो सपना देखा था वो कहीं कमजोर पड़ा है। लेकिन 2014 में मोदी सरकार बनते ही देश सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास की भावना से काम करते हुए एक भारत, श्रेष्ठ भारत के संकल्प के साथ आगे बढ़ रहा है। आज देश एक प्रगतिशील स्वतंत्र भारत, सांस्कृतिक रूप से समृद्ध विरासत और देश की उपलब्धियों का उत्सव मनाने के लिए आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। आजादी का अमृत महोत्सव देश के हर हिस्से से लोगों को एकजुट करने और आत्मनिर्भर भारत की भावना के अनुरूप भारत 2.0 का उत्सव मनाया जा रहा है।

         गृह राज्य मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार स्थानीय सीमावर्ती समुदाय को सीमा प्रबंधन में एक प्रमुख हितधारक मानती है और यह सुरक्षित सीमा एवं राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण हैं। भारत सरकार सीमावर्ती आबादी के आर्थिक और सामाजिक कल्याण को सर्वोच्च प्राथमिकता देती है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने वर्ष 2022 के बजट में एक नए कार्यक्रम, “वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम” की घोषणा की। उन्होने कहा कि ऐसे सीमावर्ती गांव, जहां की जनसंख्या बहुत ही कम है और सीमित कनेक्टिविटी तथा बुनियादी सुविधाओं की वजह से वे विकास के लाभ से वंचित रह गए हैं। उत्तरीय सीमा के ऐसे ही गावों को नए ‘वाइव्रेंट विलेजेज कार्यक्रम’ के अंतर्गत लाया जाएगा। यहां के क्रियाकलापों में गांव की बुनियादी सुविधाओं, आवास, पर्यटन केंद्रों के निर्माण, सड़क संपर्क, विकेंद्रित नवीकरणीय ऊर्जा की व्यवस्था है, दूरदर्शन और शिक्षण चैनलों के लिए ‘डाइरेक्ट टू होम एक्सेस’ की व्यवस्था और आजीविका सृजन के लिए सहायता जैसे कार्य किए जाएंगे। इन क्रियाकलापों के लिए अतिरिक्त धन उपलब्ध कराया जाएगा और उनकी लगातार मॉनीटर भी की जाएगी।

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            श्री नित्यानंद राय ने कहा कि गृह मंत्री, श्री अमित शाह जी ने नवम्बर, 2020 में गुजरात के धोरडो (कच्छ) में आयोजित सीमान्त क्षेत्र विकासोत्सव को संबोधित करते हुए कहा था कि सीमावर्ती गाँव में रहने वाले नागरिकों को उतनी सुविधा मिलनी चाहिए जितनी हमारे शहरों में रहने वाले नागरिकों को मिलती है। सीमान्त क्षेत्र विकासोत्सव से यहाँ के जनप्रतिनिधियों में राष्ट्रीय सुरक्षा का भाव जागृत होने के साथ-साथ सुरक्षा पहलू तथा सामरिक महत्व की संवेदनशीलता को साझा किया जा रहा है। श्री राय ने कहा कि सीमा सुरक्षा बल ने स्थानीय जनसंख्या के महत्व तथा योगदान को बखूबी समझा है और उन्हे अपने सीमा प्रबंधन के कार्यकलापों में भागीदार बनाने का अनवरत प्रयास किया है। सीमा पर तैनात सुरक्षाकर्मी कई स्थानों पर सरकार के एकमात्र प्रतिनिधि हैं जिनका सीमावर्ती जनसंख्या के साथ सीधा संबंध है। इसलिए सीमा सुरक्षा बल के लिए यह आवश्यक हो जाता है कि वह स्थानीय लोगों के योगदान को पहचानते हुए उनके हितों का भी ध्यान रखे और उनके जीवन को बेहतर करने का प्रयास करें।

केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री ने कहा कि इन्हीं उद्देश्यों की पूर्ति के लिए मोदी सरकार ने बॉर्डर एरिया डेवलमेंट प्रोग्राम को मजबूत किया है और सीमावर्ती क्षेत्रों में मूलभूत सुविधाओं के विकास संबंधी निर्णय लेने में सीमा पर तैनात सीमा रक्षक बलों को इसमें शामिल किया है। इस प्रोग्राम में सड़क निर्माण, स्वास्थ्य, शिक्षा, सामाजिक एवं खेलकूद सुविधा आदि का निर्माण शामिल है। उन्होने कहा कि मूलभूत सुविधाओं की उपलब्धता के साथ सीमावर्ती जनसंख्या का भावनात्मक रूप से जुड़ना भी आवश्यक है ताकि उनमें स्वजन होने की अनुभूति पैदा हो सके। इसके लिए भारत सरकार द्वारा सिविक एक्शन प्रोग्राम चलाया जा रहा है जिसके तहत सीमा रक्षक बलों द्वारा सीमावर्ती जनसंख्या में भावनात्मक एकता की भावना को सुदृढ़ बनाने के लिए कई कल्याणकारी एवं विकासात्मक कार्य किये जा रहे हैं। इसके तहत दूर-दराज सीमावर्ती क्षेत्र के स्कूलों में बायो शौचालय और चल शौचालय का निर्माण, पाठ्यक्रम पुस्तकों एवं सामग्री, टेबल कुर्सी, खेल कूद के सामन का वितरण एवं कंप्यूटर कक्षाओं का आयोजन और स्वास्थ्य जांच कैंप तथा आपात स्थिति के समय एम्बुलेंस की सुविधा आदि प्रदान की जा रही हैं। साथ ही शारीरिक एवं विशेष परीक्षा की कोचिंग, विशेष भर्ती अभियान का आयोजन, स्वरोजगार के लिए डेयरी फार्मिंग, मधुमक्खी पालन, फलों के बाग, कढ़ाई, मोमबत्ती एवं अगरबत्ती बनाने और अन्य व्यावसायिक प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। श्री राय ने कहा कि सीमा सुरक्षा बल प्रभावी सीमा प्रबंधन के माध्यम से न सिर्फ राष्ट्र की रक्षा कर रहा है बल्कि राष्ट्र निर्माण में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका भी निभा रहा है।

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