केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी एवं पृथ्वी विज्ञान राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और प्रधान मंत्री कार्यालय एवं कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने देहरादून में ‘दिशा’ (जिला विकास समन्वय और निगरानी समिति) की बैठक की अध्यक्षता की। इससे पहले उन्होंने रायवाला में विभिन्न सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों के साथ बातचीत की।
बैठक में सांसद रमेश पोखरियाल और नरेश बंसल भी शामिल हुए। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार का उद्देश्य सही मायनों में सरकारी योजनाओं की शत-प्रतिशत परिपूर्णता हासिल करना है। उन्होंने कहा कि इसका मतलब है कि जिला मजिस्ट्रेट अपनी विवेकाधीन शक्तियों का उपयोग यह सुनिश्चित करने के लिए करते हैं कि कोई भी असली पात्र लाभार्थी योजना के दायरे से बाहर न रहे।
उत्तराखंड में लगातार हो रहे मानव-पशु संघर्ष को ध्यान में रखते हुए, केंद्रीय मंत्री ने जिला अधिकारियों को वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद के साथ मिलकर आवास वाले क्षेत्रों में जानवरों का खतरा कम करने तरीके खोजने का सुझाव दिया।
केंद्रीय मंत्री ने ‘प्रधानमंत्री मुद्रा योजना’ के कार्यान्वयन पर विचार-विमर्श करते हुए कहा कि सभी बैंकों को आवेदक की पात्रता पर निर्णय लेते समय समान मानदंडों का पालन करना चाहिए। ग्राम सड़क योजना के तहत निर्माण की समीक्षा करते हुए मंत्री ने ‘ग्रामीण’ क्षेत्रों के हालिया शहरीकरण को ध्यान में रखते हुए कहा कि इसका मतलब है कि सड़क निर्माण के उच्च मानकों का पालन किया जाना चाहिए। उत्तराखंड में खेती की पहाड़ी और प्रायः दुर्गम प्रकृति पर चर्चा करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कृषि में डेटा एकत्र करने, कीटनाशकों के प्रयोग और सर्वेक्षण करने में ड्रोन प्रौद्योगिकी के अधिक से अधिक उपयोग की अनुशंसा की।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने इस तरह की आउटरीच बैठकों की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए कहा कि यह उन मुद्दों को चिह्नित करने के लिए एक उपयोगी साधन प्रदान करता है जो हमारे विविध भूगोल पैदा करते हैं। डॉ. सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की यह प्राथमिकता है कि उत्तराखंड जैसे पहाड़ी और नवस्थापित राज्यों को तेजी से विकास के पथ पर लाया जाए।
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