आईआईएम जम्मू के 5वें वार्षिक दीक्षांत समारोह में माननीय राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविंद का संबोधन

आप सभी के साथ होना प्रसन्नता का विषय है, क्योंकि यह दीक्षांत समारोह उन होनहार युवा छात्रों के जीवन का एक ऐतिहासिक पल है, जिन्होंने आज अपनी डिग्री और पदकों को अर्जित किया है। मैं छात्रों को उनकी उपलब्धियों के लिए बधाई देता हूं। मैं उन माता-पिता और शिक्षकों को भी बधाई देता हूं जिन्होंने इस दिन को देखने के लिए कड़ी मेहनत की है और यह दिन इन युवा छात्रों के जीवन में बहुत महत्वपूर्ण है।

मैं इस आयोजन को बहुत महत्वपूर्ण मानता हूं, क्योंकि इसका सीधा संबंध हमारे प्रतिभाशाली युवाओं के भविष्य से और इस तरह से भारत के भविष्य से है। कल ही मैंने केंद्रीय शिक्षा मंत्री और उच्च शिक्षा विशेषज्ञों की उपस्थिति में केंद्रीय विश्वविद्यालयों के कई कुलपतियों और ‘राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों’ के निदेशकों के साथ वार्तालाप किया, जो राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 और अन्य संबंधित उपायों को लागू करने से जुड़े हैं और यह वार्तालाप राष्ट्रपति भवन में आयोजित आगंतुक सम्मेलन के अवसर पर हुआ।

देवियो और सज्जनों,

शिक्षा सबसे बड़ा प्रवर्तक है। हमारे देश का भविष्य हमारी युवा आबादी की अच्छी शिक्षा पर निर्भर करता है। इसलिए, मैं कोशिश करता हूं कि शिक्षा के प्रचार से संबंधित किसी भी अवसर को खोने न दूँ। मुझे याद है कि सितंबर, 2020 में ‘जम्मू और कश्मीर में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के कार्यान्वयन पर आयोजित वर्चुअल सम्मेलन में भाग लिया था। जब उपराज्यपाल, श्री मनोज सिन्हा जी ने मुझसे उस सम्मेलन में भाग लेने का अनुरोध किया, तो मैंने से अपनी सहमति जताई। आप में से बहुत से लोग इस तथ्य से अवगत होंगे कि उपराज्यपाल आईआईटी, बीएचयू से एक इंजीनियरिंग छात्र के रूप में एक शानदार शैक्षणिक कैरियर के साथ सार्वजनिक सेवा के क्षेत्र में आए हैं। लेफ्टिनेंट गवर्नर को उनके सहयोगी मित्रों के द्वारा धोती पहनने वाले आईटीएन के रूप में भी वर्णित किया गया है। मैं जम्मू-कश्मीर में शिक्षा में सुधार के उनके प्रयासों की सराहना करता हूं। इस क्षेत्र से आने वाले डॉ. जितेंद्र सिंह केंद्र सरकार में अपनी जिम्मेदारियों के साथ-साथ जम्मू-कश्मीर के समग्र विकास से भी जुड़े रहे हैं। दलित इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री या डीआईसीसीआई के संस्थापक एवं अध्यक्ष डॉ. मिलिंद कांबले की भी यहां उपस्थिति हैं और आप शिक्षा और उद्योग के बीच अभिसरण का एक अच्छा उदाहरण है। मैं संस्थान को राष्ट्र के शैक्षिक उद्देश्यों के अनुरूप आगे ले जाने के लिए, इसके निदेशक के नेतृत्व में आईआईएम जम्मू की टीम की सराहना करता हूं।

देवियो और सज्जनों,

जैसा कि हम जानते हैं, हमारी राष्ट्रीय शिक्षा नीति भारत को आज की ज्ञान अर्थव्यवस्था में ‘ज्ञान केन्द्र’ के रूप में स्थापित करना चाहती है। यह हमारे प्राचीन मूल्यों को संरक्षित करते हुए 21वीं सदी की दुनिया के लिए हमारे युवाओं को सुसज्जित करने का प्रयास करती है जो आज भी प्रासंगिक हैं। भारत को एक वैश्विक ज्ञान केंद्र बनने के लिए, हमारे शिक्षण संस्थानों को विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी होना चाहिए। इस परिप्रेक्ष्य में, मैंने जिस आगंतुक सम्मेलन का उल्लेख किया था, उसमें उच्च शिक्षा संस्थानों की वैश्विक रैंकिंग पर एक प्रस्तुति दी गई थी और मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई कि वैश्विक रैंकिंग में भारतीय संस्थानों की संख्या धीरे-धीरे बढ़ रही है। मुझे उम्मीद है कि आईआईएम जम्मू जैसे नए संस्थानों को तेजी से वैश्विक सर्वोत्तम कार्यप्रणालियों को अपनाते हुए उच्च रैंकिंग का आकांक्षी बनेंगे।

हम उद्यम, नवाचार और मूल्य-निर्माण के युग में हैं। मुझे बताया गया है कि लगभग सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में उच्च शिक्षा संस्थानों में नवाचार परिषदों की स्थापना की गई है। ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स में भारत की रैंकिंग वर्ष 2014 में 76  से बढ़कर 2021 में  46 हो गई है। नवाचार और उद्यमिता एक दूसरे को मजबूत करते हैं।

प्रौद्योगिकियों और अवसरों के अभिसरण द्वारा सहायता प्राप्त, कई स्टार्ट-अप बहुत सफल हो गए हैं और उन्हें भारतीय अर्थव्यवस्था का उभरता हुआ मुख्य आधार बताया जा रहा है। यूनिकॉर्न, जो एक अरब डॉलर और उससे अधिक के बाजार मूल्यांकन के साथ स्टार्ट-अप उद्यम हैं, गेम चेंजर साबित हो रहे हैं। ये यूनिकॉर्न, जिनमें से अधिकांश युवा लोगों द्वारा स्थापित किए गए हैं, आप सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत होने चाहिए। भारत के युवाओं के बीच रोज़गार प्राप्तकर्ता न बनकर रोजगार प्रदाता बनने की मानसिकता हमारे देश के प्रमुख कारकों में से एक बन चुकी है, और आज यह दुनिया के सबसे अच्छे स्टार्ट-अप पारिस्थितिकी तंत्र में से एक है।। मुझे यह जानकर बहुत खुशी हो रही है कि आईआईएम जम्मू, डीआईसीसीआई और सीआईआई के सहयोग से अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के संभावित उद्यमियों की मदद के लिए एक विशेष विविधता प्रकोष्ठ स्थापित करने जा रहा है। मुझे बताया गया है कि आईआईएम के बीच यह अपनी तरह का पहला केंद्र होने जा रहा है। मैं उद्यमिता और समावेश को बढ़ावा देने की इस पहल से संबंधित सभी लोगों की सराहना करता हूं।

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देवियो और सज्जनों,

2016 में आईआईएम, जम्मू की स्थापना इस क्षेत्र में उच्च शिक्षा के एक नए अध्याय के शुभारंभ का प्रतीक है। मुझे विश्वास है कि यह संस्थान जल्द ही देश के विभिन्न हिस्सों और यहां तक ​​कि अन्य देशों के छात्रों के लिए एक प्रमुख शिक्षा स्थल के रूप में उभरेगा। मुझे यह जानकर खुशी हो रही है कि 25 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के छात्र देश भर से आए शिक्षकों से शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। यह आईआईएम जम्मू को एक युवा मिनी-इंडिया के तौर पर दर्शाता है। मुझे बताया गया है कि यूके, फ्रांस, ब्राजील और यूएस जैसे देशों की सहायक फैकल्टी आईआईएम जम्मू से जुड़ी हुई हैं। मुझे यह जानकर भी खुशी हो रही है कि संस्थान ने छात्रों और संकाय आदान प्रदान कार्यक्रमों के लिए अमेरिका, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया, कोरिया और यूके में 15 प्रतिष्ठित संस्थानों के साथ करार किया है। मुझे बताया गया है कि संस्थान के नए परिसर को इस वर्ष नवंबर तक पूरी तरह से शुरू करने का लक्ष्य है। मैं इस लक्ष्य हासिल करने के लिए यहां की टीम को शुभकामनाएं देता हूं। मुझे आईआईएम जम्मू के श्रीनगर ऑफ-कैंपस को विकसित करने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में जानकर भी खुशी हुई है। इससे देश के इस हिस्से में उच्च शिक्षा की पहुंच और बढ़ेगी।

मुझे यह जानकर खुशी हो रही है कि जम्मू स्थित आईआईएम, आईआईटी और एम्स के बीच सहयोग से इस क्षेत्र का शैक्षिक पारिस्थितिकी तंत्र मजबूत हो रहा है। मुझे खुशी है कि ये तीन संस्थान एकीकृत हो रहे हैं और ऐसे पाठ्यक्रम प्रस्तुत कर रहे हैं जिनमें एक संस्थान के छात्र दूसरे संस्थान में प्रवेश ले सकें। आईआईएम जम्मू आईआईटी जम्मू के साथ दोहरे डिग्री कार्यक्रम की पेशकश कर रहा है। यह आईआईटी जम्मू और एम्स जम्मू के साथ अंतर-अनुशासनात्मक क्षेत्रों में एमबीए प्रोग्राम भी शुरू कर रहा है। पाठ्यक्रमों और संस्थानों का यह एकीकरण राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के उद्देश्यों के अनुरूप है। मुझे बताया गया है कि अन्य उच्च शिक्षा संस्थानों को इन संस्थानों द्वारा की गई इस पहल का अनुकरण करने के लिए कहा गया है। तालमेल के इस महत्वपूर्ण क्षेत्र में नेतृत्व करने के लिए मैं आईआईएम जम्मू और यहां के अन्य दो राष्ट्रीय संस्थानों की सराहना करता हूं।

जैसा कि हम जानते हैं कि संयुक्त राष्ट्र प्रसन्नता से संबंधित मापदंडों पर देशों की रैंकिंग के साथ-साथ एक वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट प्रकाशित करता रहा है। तनाव से भरी दुनिया में, प्रसन्नता व्यक्ति के भीतर उसकी बाहरी परिस्थितियों पर ही निर्भर है। इसलिए, प्रसन्नता की कला में भी लोगों का सही प्रशिक्षण उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि कौशल और व्यवसायों में उनका प्रशिक्षण। इस संदर्भ में आईआईएम जम्मू द्वारा ‘आनंदम’ नाम से सेंटर फॉर हैप्पीनेस स्थापित करने की पहल एक स्वागत योग्य कदम है।

देवियो और सज्जनों,

भारत के पास दुनिया में युवा प्रतिभाओं का सबसे बड़ा पूल है। आईआईएम जम्मू जैसे संस्थान हमारे युवाओं का पोषण कर रहे हैं। ये प्रतिभाशाली युवा भविष्य के भारत का निर्माण करने जा रहे हैं। वे लोगों के जीवन को बेहतर और देश को मजबूत बनाने जा रहे हैं।

कुलपतियों, उप-कुलपतियों और विश्वविद्यालयों के प्रतिनिधियों के साथ मेरी बातचीत के दौरान, मैंने हमेशा इस बात पर जोर दिया है कि उच्च शिक्षा संस्थानों को कॉर्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी की तर्ज पर परिसर के निकट कुछ गांवों या कस्बों को विकसित करने की नैतिक जिम्मेदारी लेनी चाहिए। मैं आपके संस्थान और अन्य संस्थानों से आपके पड़ोस के कस्बों और गांवों को अपनाने और बड़े लक्ष्यों के लिए वहां के लोगों की क्षमता को सही रूप देने का आग्रह करता हूं, चाहे वह उद्यमिता हो अनुसंधान या कौशल विकास के क्षेत्र में हो।

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मेरे प्यारे युवा साथियों,

जैसे-जैसे आप युवा पेशेवरों के रूप में इस संस्थान से बाहर निकलेंगे, आपको जीवन के कई नए आयाम देखने को मिलेंगे। काम और जीवन के प्रति अपने दृष्टिकोण के एक अभिन्न अंग के रूप में आप जो देखते हैं उसके सकारात्मक पहलुओं पर कार्य करने प्रयास करें।

शिक्षा और ज्ञान अज्ञानता को दूर करते हैं और मन और आत्मा को स्वच्छंद बनाते हैं। यह आपके संस्थान के लोगो में खूबसूरती से वर्णित किया गया है जिसमें शब्दों का उल्लेख है; “सा विद्या या विमुक्तये”। इसका अर्थ है, केवल वही शिक्षण ही वास्तविक शिक्षा है जो शिक्षणकर्ता को मुक्त करता है और यह मुक्ति अज्ञान, नकारात्मकता और जड़ता से है।

जैसा कि आप पेशेवर उत्कृष्टता की दुनिया में कदम रखते हैं और एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाते हैं, मैं आपसे हमेशा अपनी जड़ों से जुड़े रहने का आग्रह करता हूं। जिस समाज ने आपको एक सफल व्यक्ति बनने का मौका दिया है, उसे वापस देने में कभी भी असफल न हों।

आप सभी के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण बिंदु यह है कि आप जीवन भर त्वरित शिक्षार्थी और पुनः सीखने वाले बने रहें। वे जीवन पर्यन्त शिक्षण का भाव बनाए रखें। तीव्र गति से जारी तकनीकी परिवर्तनों की भूमिका विघटनकारी हो सकती है। प्रौद्योगिकियों  के प्रबंधन और नेतृत्व शैलियों की शेल्फ समय सीमा कम होने वाली है। ऐसे परिदृश्य से निपटने के लिए, आपको ‘ज्ञात के उपयोग’ की मानसिकता से ‘अज्ञात की खोज’ के दृष्टिकोण की ओर बढ़ना होगा। युवाओं को अपने कम्फर्ट जोन से परे जाकर नवीन क्षेत्रों में कार्य करना होगा। चुनौतियों को अवसरों में बदलना होगा। परिवर्तन के समर्थक के रूप में नवीन परिवर्तन की दिशा में कार्य करना चाहिए और इसके साथ-साथ सभी के प्रति संवेदनशील होना चाहिए। आपको कल से शिक्षा प्राप्त करने हुए भविष्य की ओर देखना होगा। अतीत से प्रासंगिक ज्ञान के आधार पर अपना भविष्य बनाना होगा। मेरी मानना है कि आप खुले मस्तिष्क, स्वच्छ हदय और दृढ़ इच्छाशक्ति का भाव बनाए रखें। वास्तव में एक अच्छा उद्यमी, अच्छा प्रबंधक या एक अच्छा बिजनेस लीडर वही है जो बेहतर कार्य करते हुए अच्छा करने में विश्वास रखता है। उत्कृष्टता और नैतिकता कदम मिलाकर एक साथ आगे बढ़ते हैं।

आपको जीवन और कार्य के प्रति एक समग्र दृष्टिकोण विकसित करना और बनाए रखना होगा। उसके लिए आपको जो विपरीत प्रतीत होता है उसे अपने साथ आत्मसात करना होगा। उदाहरण के लिए, आपको दृढ़ निर्णय लेने के साथ करुणा को मिलाना होगा। आपको प्रतिस्पर्धा और टीम निर्माण का मिश्रण करना होगा। आपको मेगा-ट्रेंड्स और माइक्रो-ट्रेंड्स पर पैनी नजर रखनी होगी। आपको वैश्विक रूप से सोचना होगा और स्थानीय रूप से कार्य करना होगा। यह आत्मनिर्भर भारत बनाने के मिशन का असली सार है। मेरा सुझाव है कि आप खुले दिमाग, खुले दिल और दृढ़ इच्छाशक्ति रखें। सबसे महत्वपूर्ण बात, मेरी इच्छा है कि आप बेहतर करते हुए अच्छा दिशा में कार्य करें। मेरा दृढ़ विश्वास है कि वास्तव में अच्छा उद्यमी, अच्छा प्रबंधक या एक अच्छा व्यवसायी लीडर वही है जो बेहतर कार्य के साथ अच्छा करने में विश्वास रखता है। उत्कृष्टता और नैतिकता एक साथ चलते हैं।

मेरे प्यारे युवा साथियों,

मैं आज एक बार फिर से पदक और डिग्री प्राप्त करने वालों को बधाई देता हूं। मुझे यह देखकर खुशी हो रही है कि आज के दीक्षांत समारोह में तीनों पदक विजेता हमारी बेटियां हैं। जैसा कि हम जानते हैं कि हाल ही में जारी सिविल सेवा परीक्षा के नवीनतम परिणामों में हमारी बेटियों ने शीर्ष तीन रैंक हासिल किए है। हमारी बेटियों की उत्कृष्टता से संबंधित ये सुखद घटनाक्रम इस बात का संकेत देते हैं कि भारत न केवल अधिक महिला सशक्तिकरण की ओर बल्कि महिला नेतृत्व वाले सशक्तिकरण की ओर भी बढ़ रहा है। मुझे आशा है कि आप में से प्रत्येक हमारे देश को गौरवान्वित करने और समाज और राष्ट्र के विकास में सकारात्मक योगदान देने का प्रयास करेगा।

आपको धन्यवाद,

जय हिन्द!

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एमजी/एमए/एसएस