सीसीआई ने नई दिल्ली में कंपनी कार्य मंत्रालय के प्रतिष्ठित सप्ताह के हिस्से के रूप में आजादी का अमृत महोत्सव मनाने के लिए कंपनी कानून पर एक राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया

भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग ( सीसीआई ) ने आज यहां जारी आजादी का अमृत महोत्सव ( एकेएएम ) के भाग के रूप में कंपनी कानून पर एक राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया।

सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन राज्य मंत्री ( स्वतंत्र प्रभार ), विनियोजन एवं कंपनी कार्य राज्य मंत्री श्री राव इंदरजीत सिंह इस अवसर पर मुख्य अतिथि थे।

केंद्रीय राज्य मंत्री ने एकेएएम की थीम पर सीसीआई के त्रैमासिक न्यूजलेटर फेयर प्ले का विशेष संस्करण तथा क्षेत्रीय भाषाओं में कंपटीशन एडवोकेसी बुकलेट जारी करने के अतिरिक्त आयोग की यात्रा के 13 वर्षों को कैप्चर करने वाली फिल्म जारी की। उन्होंने पहले आयोजित निबंध तथा क्विज प्रतियोगिताओं के विजेताओं को भी सम्मानित किया।

श्री सिंह ने अपने संबोधन में इस प्रतिष्ठित कार्यक्रम के आयोजन के लिए एमसीए तथा सीसीआई को बधाई दी। उन्होंने आग्रह किया कि भारत को अपना खोया गौरव हासिल करना है तथा एक आर्थिक महाशक्ति बनना है। उन्होंने कहा कि भारत एक आर्थिक विकास पैमाने पर अपने समकक्ष देशों से आगे निकल रहा है। उन्होंने उल्लेख किया कि ऐतिहासिक रूप से उपनिवेश बनने से पहले भारत विश्व अर्थव्यवस्था में उच्च हिस्सेदारी के साथ एक उन्नत देश था। उन्होंने कहा कि हम एक राष्ट्र के रूप में अगले 25 वर्षों में सबसे उन्नत तथा आर्थिक रूप से विकसित देशों की लीग में होंगे जैसा कि हमारे प्रधानमंत्री का विजन है। भारत सरकार इस विजन को साकार बनाने के लिए व्यवसाय का सुगमकर्ता बनने के लिए प्रतिबद्ध है। स्वतंत्रता के बाद से जो परिवर्तन हुआ है वह इस तथ्य से प्रदर्शित होता है कि अर्थव्यवस्था में कृषि के योगदान में कमी आई है और विनिर्माण तथा सेवा क्षेत्र प्रमुख योगदानकर्ता हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि सीसीआई अच्छी तरह से कार्य करने वाले बाजार सुनिश्चित करने के जरिये इस रूपांतरण को सुगम बनाने के लिए संस्थागत सहायता उपलब्ध कराएगी। उन्होंने पहले के एमआरटीपी अधिनियम से आधुनिक बाजार अर्थव्यवस्था के लिए उपयुक्त आधुनिक प्रतिस्पर्धा कानून में कायाकल्प करने में सीसीआई के प्रयासों की सराहना की। अपने संबोधन का समापन करते हुए, केंद्रीय मंत्री ने भारत के नागरिकों से एकजुट होकर काम करने की अपील की जिससे कि भारत को आने वाली पीढ़ियों के लिए एक बेहतर राष्ट्र बनाया जा सके।

इससे पूर्व, सीसीआई के अध्यक्ष ने अपने संबोधन में गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत किया और बाजारों को अच्छा काम करने में सक्षम बनाने के जरिये सभी हितधारकों के हितों की रक्षा करने के लिए सीसीआई की अटूट प्रतिबद्धता की पुष्टि की। अध्यक्ष ने जोर देकर कहा कि जब हम  अमृतकाल   में प्रवेश कर रहे हैं तो नियमित रूप से हमें रणनीति बनाने तथा खुद को फिर से सुसज्जित करने की आवश्यकता है जिससे कि सुचारू तरह से काम करने वाले बाजारों के लिए आवश्यक संस्थागत सहायता उपलब्ध कराई जा सके। उन्होंने कहा कि आने वाले वर्षों में व्यापार एवं प्रौद्योगिकी में संभावित वृद्धि पर विचार करते हुए तथा इस संभावना को देखते हुए कि कई सेक्टर अभी भी वास्तविक प्रतिस्स्पर्धा के लिए खुले नहीं हैं और उनमें भी नए प्रवेश तथा कार्यकलाप दिख सकते हैं, इस एजेंसी की भूमिका का उल्लेखनीय रूप से बढ़ना तय है। उन्होंने यह भी कहा कि हमें चुनौती का सामना करने के लिए हर संभव प्रयास करने की आवश्यकता है।

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उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि सीसीआई ने 1100 से अधिक अविश्वास मामलों की समीक्षा के माध्यम से न्यायशास्त्र का एक मजबूत ढांचा विकसित किया है। उन्होंने कहा कि जांच प्रक्रिया में सहायता करने के लिए फोरेन्सिक टूल्स, डाटा एनालिटिक्स तथा सुबह के औचक छापों के बढ़ते उपयोग के साथ साथ उदारता संबंधी कार्यक्रम के माध्यम से स्व-रिपोर्टिंग को प्रोत्साहित करने से, प्रवर्तन व्यवस्था अब कार्टेल का खुलासा करने के लिए पूरी तरह से सुसज्जित है। उन्होंने कहा कि जब भारत सबसे बड़ी तथा सबसे तेज गति से बढ़ने वाले डिजिटल उपभोक्ता आधार के रूप में बढ़ रहा है, बाजार विकृतियों को तत्परता से ठीक किए जाने की आवश्यकता है।उन्होंने कहा कि इसी के साथ साथ प्रौद्योगिकी बाजारों में प्रतिस्पर्धा की समस्याओं पर ध्यान देते समय नवोन्मेषण तथा दक्षता के पहलुओं को भी उचित सम्मान दिया जाना चाहिए।

विलय एवं अधिग्रहण निवेश प्रवाह के लिए महत्वपूर्ण माध्यम हैं जो आर्थिक संयोजनों का निर्माण करते हैं तथा औद्योगिक विकास की प्रक्रिया में योगदान देते हैं। वे कंपनियों के लिए अधिक परिमाण वाली अर्थव्यवस्थाओं का निर्माण करने में भी सहायता करते हैं जो आज की वैश्वीकृत आर्थिक क्रम में प्रतिस्पर्धा के लिए महत्वपूर्ण है। सीसीआई कांबीनेशन फाइलिंग के त्वरित आकलन के माध्यम से इस प्रक्रिया में एक सुगमकर्ता के रूप में भी कार्य करता है। ग्रीन चैनल की प्रणाली के माध्यम से अनुपालन बोझ में कमी लाई गई है तथा फोकस अब प्रक्रियागत सरलीकरण, त्वरित निपटान और अनुपालन को कम करने पर है। इसके अतिरिक्त, संशोधित दिशानिर्देश नोट जारी किए गए हैं जो कांबीनेशन फाइलिंग के विभिन्न पहलुओं को स्पष्ट करता है। उन्होंने यह भी कहा कि निकट भविष्य में, सीसीआई विभिन्न मुद्दो पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न जारी करेगा जो क्षेत्रीय भाषाओं में भी उपलब्ध होगा जैसा कि केंद्रीय वित्त मंत्री ने एमसीए प्रतिष्ठित सप्ताह के दौरान दिशानिर्देश दिया था।

अध्यक्ष ने कहा कि सूचना अंतराल को दूर करने के लिए, सीसीआई और अधिक बाजार अध्ययनों तथा क्यूरेटेड कार्यशालाओं के माध्यम से हितधारकों के साथ सक्रियतापूर्वक सहयोग करेगा। मामलों की बढ़ती संख्या तथा डिजिटल क्षेत्र की जटिलताओं एवं डाटा तथा टेक्नोलॉजी कौशलों की बढ़ती आवश्यकता को देखते हुए, सीसीआई एक विशेषज्ञता केंद्र के रूप में एक समर्पित डिजिटल बाजार की स्थापना करने की योजना बना रहा है। उन्होंने नीतिगत विचार विमर्शों में सीसीआई की सहभागिता तथा प्रतिस्पर्धा की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए सरकार के विभिन्न विभागों के साथ सहयोग करने के महत्व पर भी प्रकाश डाला। अध्यक्ष ने अपनी समापन टिप्पणियों में कहा कि सीसीआई की कोशिश उद्योग के लिए एक समन्वित, विश्वास अधारित व्यवस्था का निर्माण करने की है।

एमसीए के सचिव श्री राजेश वर्मा ने इस अवसर पर विशेष संबोधन दिया और एकेएएम तथा जन भागीदारी एडवोकेसी कार्यक्रमों का आयोजन करने के लिए सीसीआई को बधाई दी तथा उल्लेख किया कि एकेएएम के लांच के समय से ही सीसीआई ने विभिन्न क्षेत्रों के हितधारकों को शामिल करते हुए तथा प्रौद्योगिकी का पूर्ण उपयोग करते हूए पूरे भारत में 250 से अधिक एडवोकेसी कार्यक्रमों का आयोजन किया है जोकि एमसीए के तहत किसी भी अन्य विनियामक द्वारा आयोजित की जाने वाली सर्वोच्च संख्या है। उन्होंने भारतीय उद्योग तथा उद्यमियों, विशेष रूप से राष्ट्र निर्माण में निजी क्षेत्र द्वारा निभाई गई भूमिका की सराहना की तथा कहा कि एमसीए एक सक्षमकारी नियामकीय संरचना उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है जो कॉर्पोरेट सेक्टर को उत्पादकता की दृष्टि से कार्य करने की सुविधा प्रदान करती है। उन्होंने कहा कि प्रतिस्पर्धा कानून का फोकस और डिजाइन मौलिक रूप से बदल गया है अर्थात उसका ध्यान अब एकाधिकारों पर अंकुश लगाने के बजाये प्रतिस्पर्धा की रक्षा करना तथा इन तथ्यों के बावजूद कि उद्यम घरेलू है या विदेशी, सार्वजनिक है या निजी, एक समान अवसर उपलब्ध कराने पर है और अब वह सरकारी अधिकारियों के पास अधिक कार्य स्वाधीनता नहीं रहने देता। उन्होंने कहा कि आयोग कंपनियों की एक्जिट रणनीति अर्थात विलय, अधिग्रहण, समामेलन आदि को विनियमित करता है तथा दिवाला समाधान चरण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

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उन्होंने अपेक्षाकृत कम समय में एक प्रभावी और विश्वसनीय नियामक होने के लिए सीसीआई की सराहना की।  उन्होंने आयोग की एडवोकेसी पहलों, विशेष रूप से राज्य संसाधन व्यक्ति योजना का विशेष उल्लेख किया। उन्होंने एक वैशीकृत दुनिया में मजबूत अंतरराष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता तथा सीसीआई एवं प्रतिस्पर्धा नियामकों के बीच हस्ताक्षरित विभिन्न समझौता ज्ञापनों की चर्चा की। अपनी समापन टिप्पणियों में, सचिव ने आयोग के कामम काज पर विश्वास व्यक्त किया और कहा कि सीसीआई जैसी संस्था प्रतिस्पर्धा की संस्कृति की सहायता के लिए एक प्रेरक शक्ति हो सकती है।

इससे पूर्व, सीसीआई की सचिव श्रीमती ज्योति जिंदगर भनोट द्वारा स्वागत भाषण दिया गया जिसके बाद सीसीआई के अध्यक्ष श्री अशोक कुमार गुप्ता द्वारा भाषण दिया गया जिसमें उन्होंने सीसीआई द्वारा की गई विभिन्न पहलों के बारे में जानकारी दी। विशेष संबोधन कंपनी कार्य मंत्रालय ( एमसीए ) के सचिव श्री राजेश वर्मा दिया गया तथा उद्घाटन भाषण केंद्रीय कंपनी कार्य राज्य मंत्री श्री राव इंदरजीत सिंह ने दिया। माननीय श्री न्यायमूर्ति राकेश कुमार, सदस्य ( न्यायिक ) , श्री कांठी नरहरि, सदस्य सदस्य ( तकनीकी)  तथा डॉ. अशोक कुमार मिश्रा, सदस्य ( तकनीकी ), राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण भी इस अवसर पर उपस्थित रहे।

राष्ट्रीय सम्मेलन में दो पैनल परिचर्चाएं भी हुईं। ‘‘ इमर्जिंग इश्यूज इन एंटीट्रस्ट इंफोर्समेंट ‘‘  पर आयोजित सत्र की अध्यक्षता सीसीआई की सदस्य डॉ संगीता वर्मा ने की तथा सीएनबीसी टीवी18 की संपादक सुश्री निशा पोद्दार ने मॉडरेट किया। ‘‘ इमर्जिंग इश्यूज इन रेगुलेशन ऑफ कांबिनेशंस ‘‘ पर सत्र की अध्यक्षता सीसीआई के सदस्य श्री भगवंत सिंह बिश्नोई द्वारा की गई तथा इसे द इकोनोमिक टाइम्स के रेजीडेंट एडिटर श्री अरिजित सिंह ने मॉडरेट किया।

पैनल परिचर्चाओं में समसामयिक तथा उभरते प्रतिस्पर्धा कानून मुद्वों के व्यापक रेंज पर विख्यात पैनलिस्टों के बीच संवाद तथा विचार विमर्श किया गया। पैनलिस्टों एवं मॉडरेटरों ने कानूनी बिरादरी, उद्योग, व्यवसाय तथा शिक्षा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया।

 

 

एमजी/ एमए/एसकेजे