केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने आज अपने गुजरात दौरे के तीसरे दिन इंस्टीट्यूट ऑफ़ रूरल मैनेजमेंट आणंद (IRMA)के 41वें वार्षिक दीक्षांत समारोह को संबोधित किया

जो व्यक्ति ‘स्व’ से ‘पर’ की ओर जाता है और ख़ुद की जगह दूसरे की सोचता है वो ही ज्ञानी है

 

आज आप लोग यहां से शिक्षित होकर जा रहे हैं, लेकिन अपने साथ-साथ उनका भी विचार करियेगा जिनके लिए अच्छा जीवन, शिक्षा और दो वक़्त की रोटी एक स्वप्न है

केन्द्रीय सहकारिता मंत्री ने डॉ. वर्गीज़ कुरियन को याद करते हुए कहा कि उन्होंने ग्रामीण लोगों में टिकाऊ, परिस्थिति के अनुरूप, अनुकूल और न्यायसंगत सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए इस संस्थान की स्थापना की और यह उद्देश्य हमेशा आपकी नजर के सामने रहना चाहिए

इस देश को अगर समृद्ध, सुविधापूर्ण और आत्मनिर्भर बनाना है तो गांव को समृद्ध,सुविधापूर्ण और आत्मनिर्भर बनाना होगा और इसकी शुरुआत 2014 में श्री नरेन्द्र मोदी जी के देश के प्रधानमंत्री बनने के बाद से हुई है

प्रधानमंत्री जी ने बजट की बहुत बड़ी राशि को प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना में डाइवर्ट कर गांवों को कनेक्टिविटी दी जिससे गांव में आर्थिक गतिविधियों की शुरुआत हुई

गांवों में बिजली नहीं थी और इसके कारण गांव के लोग शहरों की ओर जाते थे लेकिन आज हर गांव में बिजली पहुंचाने का काम नरेंद्र मोदी सरकार ने किया है और इससे गांव भी आत्मनिर्भर होने की दिशा में बढ़ रहा है

 

प्रधानमंत्री जी की प्राथमिकता के कारण खादी ग्रामोद्योग का टर्नओवर एक लाख करोड़ रूपए से ज्यादा का हो चुका है

 

कृषि को आत्मनिर्भर किए बिना गांव का संपूर्ण विकास नहीं हो सकता और मोदी जी ने इस प्रकार की व्यवस्था की कि किसानों को ऋण लेना ही न पड़े

 

पहली बार आजादी के बाद सहकारिता मंत्रालय का गठन करने का काम देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने किया है

 

मोदी जी की कल्पना और सहकारिता विभाग से अपेक्षा से भी आगे बढ़कर सहकारिता विभाग देश के ग्रामीण विकास में अपनी भूमिका बहुत अच्छी तरह से निभाएगा और ग्रामीण विकास द्रुतगति से होगा

 

आज भी 70 प्रतिशत भारत गांवों में बसता है और सुविधाओं के आभाव के कारण यह देश के विकास में अपना योगदान देने से महरूम रह जाता है अगर इसी 70% टैलेंट को हमने देश के अर्थतंत्र को गति देने के काम से जोड़ दिया तो 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था का मोदी जी का सपना 5 सालों में पूरा होते हुए देखेंगे

सहकारिता को और समावेशी, पारदर्शी, आधुनिक और टेक्नोलॉजीयुक्त बनाना है और सहकारिता के माध्यम से व्यक्ति और गांव को आत्मनिर्भर भी बनाना है

 नरेंद्र मोदी जी ने आत्मनिर्भर भारत की कल्पना हमारे सामने रखी है और आत्मनिर्भर भारत का स्वप्न तभी पूरा हो सकता है जब आत्मनिर्भर गांवों की संख्या बढ़ेगी

              

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने आज अपने गुजरात दौरे के तीसरे दिन इंस्टीट्यूट ऑफ़ रूरल मैनेजमेंट आणंद (IRMA) के 41वें वार्षिक दीक्षांत समारोह को संबोधित किया। श्री अमित शाह ने दीक्षित छात्रों को डिग्री वितरित कर उनके उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएँ दीं और कहा कि मुझे विश्वास है कि यहाँ से जाने के बाद आप चाहे किसी भी क्षेत्र में काम करें लेकिन ग्रामीण विकास के विचार और संकल्प के प्रति आप सदैव समर्पित रहेंगे।

 

 

 

इस अवसर पर अपने संबोधन में केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री ने कहा कि आज यहां से डिग्री लेकर जाने वाले ये छात्र गांधी जी का स्वप्न साकार करने के लिए काम करने वाले हैं। इस देश के ग्रामीण विकास को गति देना, देश के अर्थतंत्र में ग्रामीण विकास को कंट्रीब्यूटर बनाना और ग्रामीण विकास के माध्यम से गांव में रहने वाले हर व्यक्ति को समृद्धि की ओर ले जाना, ये किए बिना देश कभी आत्मनिर्भर नहीं हो सकता है। आज यहां से दीक्षित हो कर जा रहे सभी लोगों से मेरा यही निवेदन है कि आप जीवनभर इस देश के ग्रामीण विकास के लिए कुछ ना कुछ करते रहिए क्योंकि योगदान देने से हमें कोई नहीं रोक सकता। आज आप इरमा को गुरू दक्षिणा देकर और ये प्रण लेकर जाइए कि जीवनभर मेरी दृष्टि ग्रामीण विकास से जुड़ी रहेगी और गांव के ग़रीब को समृद्ध करने में लगी रहेगी। श्री अमित शाह ने कहा कि ग्रामीण विकास थ्योरेटिकल नहीं होता है, ये तभी होता है जब इसके प्रति समर्पित लोग चंदन की भांति स्वंय को घिसकर सुगंध को गांव-गांव तक पहुंचाते हैं। उन्होंने कहा कि अगर आधुनिक ज़माने में ग्रामीण विकास करना है तो इसके लिए पाठ्यक्रम बनाने होंगे, इसे फ़ॉर्मलाइज़ करना होगा और आज के ज़माने की ज़रूरतों के हिसाब से ग्रामीण विकास को परिवर्तित करके ज़मीन पर उतारना होगा। मैं मानता हूं कि सरदार पटेल, त्रिभुवनभाई की इस पवित्र भूमि पर इरमा ने इसे ज़मीन पर उतारने का काम किया है। 

 

केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि आज 251 युवा यहां से डिग्री लेकर जाएंगे। उन्होंने कहा जो व्यक्ति ‘स्व’ से ‘पर’ की ओर जाता है और ख़ुद की जगह दूसरे की सोचता है वो ही ज्ञानी है। आज आप लोग यहां से शिक्षित होकर जा रहे हैं, लेकिन अपने साथ-साथ उनका भी विचार करिएगा जिनके लिए अच्छा जीवन, शिक्षा, दो वक़्त की रोटी एक स्वप्न है। श्री शाह ने कहा कि जब आप ऐसा विचार करेंगे तो आत्मसंतोष का अनुभव होगा। करोड़ों रूपए कमाने पर भी आपको संतोष प्राप्त नहीं होगा लेकिन अपने जीवन में एक व्यक्ति को आत्मनिर्भर बनाने के बाद आपको आत्मसंतोष प्राप्त होगा। मुक्ति तभी मिलती है जब जीवन में संतोष होता है और संतोष दूसरों के लिए काम करने से ही मिलता है।    केन्द्रीय सहकारिता मंत्री ने डॉ. वर्गीज़ कुरियन को याद करते हुए कहा कि उन्होंने ग्रामीण लोगों में टिकाऊ, परिस्थिति के अनुरूप, अनुकूल और न्यायसंगत सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए इस संस्थान की स्थापना की और यह उद्देश्य हमेशा आपकी नजर के सामने रहना चाहिए। जीवन में जहां से कुछ प्राप्त करते हैं उसको वापस देने का भी जीवन में लक्ष्य रखना चाहिए।

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श्री शाह ने कहा कि गांधीजी ने कहा था कि इस देश की आत्मा गांवों में बसती है। इस देश को अगर समृद्ध, सुविधापूर्ण और आत्मनिर्भर बनाना है तो गांव को समृद्ध, सुविधापूर्ण और आत्मनिर्भर बनाना होगा और इसकी शुरुआत 2014 में श्री नरेन्द्र मोदी जी के देश का प्रधानमंत्री बनने के बाद से हुई है। श्री नरेंद्र मोदी जी ने ग्रामीण विकास के लिए एक नई कल्पना देश और दुनिया के सामने रखी। जब तक व्यक्ति का विकास नहीं होता तब तक गांव का विकास नहीं होता है। जब तक क्षेत्र का विकास नहीं होता तब तक गांव का विकास नहीं हो सकता। व्यक्ति का विकास करना, उसके जीवन को सुविधापूर्ण बनाना, गांव और क्षेत्र का विकास करना, तब जाकर ग्रामीण विकास की यह कल्पना पूरी होती है। व्यक्ति, गांव और क्षेत्र, इन तीनों के विकास के लिए नरेंद्र मोदी सरकार ने आठ सालों में बहुत कुछ किया है। देश के साठ करोड़ लोग ऐसे थे जिनके पास बैंक अकाउंट ही नहीं था और उनका देश के अर्थतंत्र के साथ कोई सरोकार ही नहीं था। 8 साल में देश में कोई भी परिवार ऐसा नहीं है जहां बैंक अकाउंट नहीं पहुंचा है। उन्होंने कहा कि पूर्वांचल में कई ऐसे परिवार थे जहां आजादी के 70 सालों के बाद भी बिजली नहीं पहुंची थी। देश के हर घर में बिजली पहुंचाने का काम देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने किया है। देश के हर घर में शौचालय जैसी मिनिमम रिक्वायरमेंट भी पूरी नहीं हुई थी और नरेंद्र मोदी जी ने स्वच्छता का अभियान शुरू किया और आज देश के हर घर में शौचालय है। हर घर में नल से फ्लोराइडविहीन शुद्ध जल जल पहुंचे इसकी व्यवस्था की गई है। हर गरीब के घर में गैस पहुंचाने का काम नरेंद्र मोदी सरकार ने किया है। इसके साथ ही प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत योजना के तहत आरोग्य कार्ड देकर पांच लाख रूपए तक की सारी स्वास्थ्य सुविधाएं नरेंद्र मोदी सरकार ने देश के साठ करोड़ ग़रीबों को दी हैं। व्यक्ति के जीवन को सुविधायुक्त बनाने और उसके जीवनस्तर को उठाने के लिए ढेर सारे काम नरेंद्र मोदी सरकार ने किए हैं।

 

 

केन्द्रीय सहकारिता मंत्री ने कहा कि ग्रामीण विकास का दूसरा पहलू था कि गांव को सुविधायुक्त बनाना और इसके लिए सबसे बड़ी चीज थी प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना, लेकिन अगर तहसील के साथ कनेक्टिविटी नहीं होगी तो गांव का विकास नहीं हो सकता। आज प्रधानमंत्री जी ने बजट की बहुत बड़ी राशि को प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना में डाइवर्ट कर गांवों को कनेक्टिविटी दी है जिससे गांव में आर्थिक गतिविधियों की शुरुआत हुई। गांवों में बिजली नहीं थी और इसके कारण गांव के लोग शहरों की ओर जाते थे लेकिन आज हर गांव में बिजली पहुंचाने का काम नरेंद्र मोदी सरकार ने किया है और इससे गांव भी आत्मनिर्भर होने की दिशा में बढ़ रहा है।

श्री अमित शाह ने कहा कि गांधीजी के बाद खादी को भुला दिया गया था लेकिन प्रधानमंत्री जी की प्रायोरिटी के कारण खादी ग्रामोद्योग का टर्नओवर एक लाख करोड़ रूपए से ज्यादा का हो चुका है। कृषि को आत्मनिर्भर किए बिना गांव का संपूर्ण विकास नहीं हो सकता और मोदी जी ने इस प्रकार की व्यवस्था की कि किसानों को ऋण लेना ही न पड़े। इस देश के 75 प्रतिशत किसान 2 एकड़ से कम भूमि रखते हैं और 2 एकड़ भूमि पर किसानी का ख़र्च लगभग छह से सात हज़ार रूपए आता है। मोदी जी ने हर किसान को सालाना 6000 रूपए देकर ऐसी व्यवस्था की है जिससे किसान को लोन लेने की आवश्यकता ही न पड़े। कृषि को आत्मनिर्भर करने के लिए किसान अपना उत्पादन बढ़ा भी लेगा लेकिन मार्केटिंग कहाँ होगी, इसका सबसे सरल रास्ता कोआपरेटिव है। पहली बार आजादी के बाद सहकारिता मंत्रालय का गठन करने का काम देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने किया है। मोदी जी की कल्पना और सहकारिता विभाग से अपेक्षा से भी आगे बढ़कर सहकारिता विभाग देश के ग्रामीण विकास में अपनी भूमिका बहुत अच्छी तरह से निभाएगा और ग्रामीण विकास द्रुतगति से होगा।

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श्री शाह ने कहा कि क्षेत्रीय विकास के लिए भी देश के 100 ऐसे ज़िलों की पहचान की जो विकास की दौड़ में पिछड़े हुए थे। उनके पैरामीटर्स बनाए जैसे कि सबसे ज्यादा निरक्षर लोग कहाँ हैं, ड्रॉपआउट रेशो सबसे ज्यादा कहां है, कहां कुपोषण की समस्या है, कहां रहने के घर लोगों को कम मिले हैं। ऐसे पैरामीटर्स के आधार पर आकांक्षी जिलों की सूची बनाई और भारत सरकार और राज्य सरकार ने उन जिलों पर फ़ोकस करना शुरू किया। मैं आपको आनंद के साथ बताना चाहता हूं कि ढाई साल के मोदी जी के परिश्रम के कारण आकांक्षी जिलों में से कई जिले आज विकसित जिलों में शामिल हो चुके हैं और विकास की दौड़ में अपने आप को आगे पा रहे हैं। पहले विकास शहरों के आस पास होता था और समुद्र के किनारे, पहाड़ पर बसे, जंगल के अंदर वाले ट्राईबल जिलों के विकास की कोई सोचता नहीं था। आज नरेंद्र मोदी जी ने सभी जिलों के विकास के लिए एक समान अवसर उनको उपलब्ध कराए हैं और प्राथमिकता क्षेत्र में भी डालने का काम किया और आज वह जिले विकसित होकर आगे बढ़ रहे हैं।

केंद्रीय सहकारिता मंत्री ने कहा कि एक डिस्ट्रिक्ट मिनरल फंड की रचना की गई जिससे खदान वाले जिले के विकास के लिए बहुत बड़ी राशि मिलती है। कैंपा फंड की योजना शुरू की जिससे जिलों को हरित बनाएंगे। ग्रामीण विकास की संपूर्ण कल्पना- व्यक्ति, गांव और क्षेत्र का विकास – को नरेंद्र मोदी सरकार ने जमीन पर उतारने का काम किया है। आज भी 70 प्रतिशत भारत गांवों में बसता है और आज भी ऐसे लोग गांव में ही बसते हैं जिनको विकास की सबसे ज्यादा जरूरत है। जिन भाइयों बहनों को विकास का मौका नहीं मिला है उनके जीवन के अंधेरों को खत्म कर उजाले की ओर ले जाना हमारा दायित्व है। ग्रामीण विकास के बगैर गांव देश के अर्थतंत्र में कंट्रीब्यूटर नहीं बन सकता और जब तक ये नहीं होता तब तक देश का 70 प्रतिशत टैलेंट देश के अर्थतंत्र के विकास से महरूम रह जाता है। देश के 30 प्रतिशत लोग देश के अर्थतंत्र को गति नहीं दे सकते हैं क्योंकि बाक़ी 70 प्रतिशत का बोझ ही उस गति को रोक लेगा। इसीलिए अगर 70 प्रतिशत ग्रामीण आबादी को हमने देश के अर्थतंत्र को गति देने के काम से जोड़ दिया तो 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था का नरेन्द्र मोदी जी के सपने को 5 साल में ही पूरा होते हुए देखेंगे। लेकिन इसके लिए जरूरत है ग्रामीण विकास को नीचे तक पहुंचाने की। मोदी जी ने आत्मनिर्भर भारत की कल्पना हमारे सामने रखी है और आत्मनिर्भर भारत का स्वप्न तभी पूरा हो सकता है जब आत्मनिर्भर गांवों की संख्या बढ़ेगी। गांव को आत्मनिर्भर बनाना है तो ये ग्रामीण विकास के बिना संभव ही नहीं है।

केन्द्रीय सहकारिता मंत्री ने कहा कि सहकारी क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए भी इरमा (IRMA) को और अधिक योगदान देने की ज़रूरत है क्योंकि सहकारिता समावेशी है। सहकारिता को और समावेशी, पारदर्शी, आधुनिक और टेक्नोलॉजीयुक्त बनाना है और सहकारिता के माध्यम से व्यक्ति और गांव को आत्मनिर्भर भी बनाना है। ये सब तभी हो सकता है जब इरमा (IRMA) जैसे संस्थान अपना योगदान बढ़ाएंगे। उन्होंने कहा कि शिक्षा एक ऐसी खूबसूरत चीज है जिसको आप से कोई छीन नहीं सकता लेकिन अगर शिक्षा के उद्देश्य से हम भटक गए तो आप अपनी ही शिक्षा को खुद से छीन लोगे। इसके उद्देश्य के प्रति हम मजबूत बने रहेंगे तो अपना विकास तो करना ही करना है परंतु इसके बाद जो समय बचता है वह औरों के विकास के लिए लगाएं। इसके बाद जो समय बचता है वह देश के विकास के लिए लगाएंगे तो मुझे लगता है कि शिक्षा की खूबसूरती और बढ़ जाएगी।

श्री अमित शाह ने कहा कि अब्दुल कलाम जी ने कहा था कि हर व्यक्ति की एक उपयोगिता है कि इस देश का सबसे अच्छा दिमाग आपको क्लास की लास्ट बेंच पर ही मिल सकता है। इसीलिए किसी को भी इनफीरियॉरिटी कॉम्प्लेक्स पालने की जरूरत नहीं है क्योंकि कोई भी व्यक्ति जन्म से बड़ा नहीं होता बल्कि सोच बड़ी होती है।

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