जल शक्ति मंत्रालय कल बांध सुरक्षा अधिनियम, 2021 के बारे में राष्ट्रीय कार्यशाला आयोजित करेगा

जल संसाधन विभाग, आरडीएंडजीआर, जल शक्ति मंत्रालय, भारत सरकार के तत्वावधान में केंद्रीय जल आयोग 16 जून,  2022 को डॉ. अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर, 15 जनपथ, नई दिल्ली में देश में बांध सुरक्षा शासन के लिए बांध सुरक्षा अधिनियम- 2021 के बारे में एक दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन कर रहा है। राष्ट्रीय़ कार्यशाला का उद्देश्य इस अधिनियम के प्रावधानों के बारे में सभी हितधारकों को संवेदनशील बनाना तथा देश में बांध सुरक्षा शासन के बारे में विचार-मंथन करना है।

भारत में वर्तमान में 5,334 बड़े बांध मौजूद हैं, जबकि 411 अन्य बड़े बांध निर्माण के विभिन्न चरणों में हैं। महाराष्ट्र 2,394 बांधों के साथ पहले स्थान पर है, जबकि मध्य प्रदेश और गुजरात बांधों की संख्या के मामले में दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं। भारत के बांधों में वार्षिक रूप से लगभग 300 बिलियन क्यूबिक मीटर पानी का भंडारण होता है। ये बांध काफी पुराने हैं। लगभग 80 प्रतिशत बांध 25 वर्ष से अधिक पुराने हैं और 227 से अधिक बांध तो 100 वर्ष से भी अधिक आयु के हैं। इन बांधों की उम्र बढ़ने और बांधों का रखरखाव ठीक न होने से बांधों की सुरक्षा चिंता का विषय बन गया है।

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बांध सुरक्षा अधिनियम- 2021 संसद द्वारा अधिनियमित किया गया था और यह 30 दिसंबर, 2021 से लागू हो गया था। इस अधिनियम का उद्देश्य बांध की विफलता से संबंधित आपदाओं की रोकथाम और इनके सुरक्षित कामकाज को सुनिश्चित करने तथा एक संस्थागत तंत्र उपलब्ध कराने के लिए निर्दिष्ट बांध की निगरानी, निरीक्षण, संचालन और रखरखाव सुनिश्चित करना है।

अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार, केंद्र सरकार ने एक समान बांध सुरक्षा नीतियों, प्रोटोकॉल और प्रक्रियाओं को विकसित करने में मदद करने के लिए केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) के अध्यक्ष की अध्यक्षता में राष्ट्रीय बांध सुरक्षा समिति (एनसीडीएस) के गठन को पहले ही अधिसूचित कर दिया है। इसके अलावा, राष्ट्रीय बांध सुरक्षा प्राधिकरण (एनडीएसए) को भी बांध सुरक्षा नीतियों और मानकों के राष्ट्रव्यापी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए एक नियामक निकाय के रूप में कार्य करने के उद्देश्य से स्थापित किया गया है।

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यह अधिनियम मौजूदा तथा जलवायु परिवर्तन जैसे नए मुद्दों के तहत महत्वपूर्ण बांध सुरक्षा मामलों का व्यापक रूप से निपटान करता है। इसके प्रमुख प्रावधानों में बांधों का नियमित निरीक्षण, बांधों का जोखिम वर्गीकरण; आपातकालीन कार्य योजना; एक स्वतंत्र पैनल द्वारा व्यापक बांध सुरक्षा समीक्षा;  बांधों की समय पर मरम्मत और रखरखाव के लिए धन; परिचालन और रखरखाव मैनुअल; घटनाओं और विफलता का रिकॉर्ड; जोखिम मूल्यांकन अध्ययन; जल-मौसम विज्ञान और भूकंपीय नेटवर्क सहित बांध उपकरण; एजेंसियों की मान्यता; आकस्मिक या आपातकालीन बाढ़ चेतावनी प्रणाली और अपराध तथा दंड जैसे प्रावधान शामिल हैं।

इस कार्यशाला में मंत्री/नीति-निर्माता, जल शक्ति मंत्रालय, केंद्र/राज्य/केंद्रशासित प्रदेशों की सरकारों के वरिष्ठ अधिकारी, टैक्नोक्रैट्स केंद्रीय जल आयोग, शिक्षाविदों, सार्वजनिक उपक्रमों, निजी क्षेत्र और बांध मालिकों के साथ-साथ बांध और बांध सुरक्षा शासन से जुड़े सभी लोग शामिल होंगे।

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