केन्द्रीय रसायन और उर्वरक मंत्री डॉक्टर मनसुख मंडाविया ने अपने मंत्रालय की हिन्दी सलाहकार समिति की सालाना बैठक की अध्यक्षता की

केन्द्रीय रसायन और उर्वरक तथा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉक्टर मनसुख मंडाविया ने हिन्दी के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए रसायण और उर्वरक मंत्रालय की हिन्दी सलाहकार समिति की सालाना बैठक की आज अध्यक्षता की। इस बैठक में रसायन और उर्वरक राज्यमंत्री श्री भगवंत खुबा भी मौजूद थे। बैठक के दौरान केन्द्रीय मंत्री ने हिन्दी के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न श्रेणियों में पुरस्कृत विजेताओं को सम्मानित भी किया।    

देश के तीव्र विकास के लिए राष्ट्रीय संवाद में हिन्दी के उपयोग की जरूरत के संबंध में महात्मा गांधी की टिप्पणी को उद्धृत करते हुए डॉक्टर मनसुख मंडाविया ने कहा कि हमारा एक मात्र लक्ष्य हर एक नागरिक का कल्याण और देश की प्रगति है और इसके लिए हमें हिन्दी भाषा के उपयोग को प्रोत्साहित करना चाहिए। यह हमारे सांस्कृतिक सामंजस्य और अभिव्यक्ति को बढ़ावा देगा। इसी संकल्प को पूरा करने के उद्देश्य से हमने यह फोरम गठित किया है।

डॉक्टर मंडाविया ने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री के दूरदर्शितापूर्ण नेतृत्व के अंतर्गत हमने न सिर्फ अपने देश में बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी हिन्दी भाषा के प्रसार और इस्तेमाल को बढ़ावा देने का निश्चय किया है। उन्होंने कहा कि अपने सभी नागरिकों को इस भाषा से जोड़ने के लिए हमें भविष्य में भी प्रयास जारी रखने हैं। शुरुआत में हमें इस दिशा में कदम उठाने पड़ेंगे क्योंकि इसे लागू करने से ही हमें इसके सार्थक परिणाम हासिल होंगे। उन्होंने कहा कि हमें सबसे पहले अपने प्रशासनिक कामकाज में हिन्दी भाषा के इस्तेमाल को प्रोत्साहित करना होगा।

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केन्द्रीय मंत्री ने कहा, “हमारे संविधान में भी हिन्दी भाषा के उपयोग को बढ़ाने का निर्देश दिया गया है। अनुच्छेद 351 में कहा गया है कि यह केन्द्र सरकार का दायित्व है कि वह हिन्दी भाषा के प्रसार को बढ़ावा दे, इसका इस तरह से विकास करे कि यह भारत की विविधतापूर्ण संस्कृति के सभी नुमाइंदों के लिए अभिव्यक्ति का माध्यम बन सके और आठवीं अनुसूची में शामिल हिंदुस्तानी समेत सभी अन्य भारतीय भाषाओं के सभी भाषायी प्रकारों, शैलियों, अभिव्यक्तियों और प्रतिभा में हस्तक्षेप किए बिना इसकी समृद्धि को संरक्षित करे तथा इसके शब्दकोष में जहां भी जरूरी या इच्छित हो, प्राथमिक तौर पर संस्कृत से तथा अन्य भाषाओं से शब्द लिए जाएं।”  

 

डॉक्टर मंडाविया ने और अधिक स्पष्ट करते हुए कहा, “हमें इस बात को लेकर बेहद सतर्क रहना चाहिए कि ऐसा माहौल न बने कि हिन्दी को हमारे नागरिकों पर थोपा जा रहा है। सभी स्थानीय भाषाओं को पूरा समर्थन मिले यही देश हित में है और हमारा लक्ष्य भी यही है। उन्होंने कहा कि अभिव्यक्ति की भाषा कोई भी हो सकती है क्योंकि हमारे देश में बहुत सी भाषाएं और बोलियां हैं। उन्होंने कहा कि भाषा के मामले में कठोर रवैया अपनाया जाना किसी के भी हित में नहीं होगा। अपनी विरासत की स्वीकार्यता और उसे आधुनिक बनाने की प्रक्रिया को किसी कानून के द्वारा थोपा नहीं जा सकता। उसे हमारी जनता के भावनात्मक जुड़ाव के जरिए ही स्वीकारा जा सकता है।”

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रसायन और उर्वरक राज्यमंत्री श्री भगवंत खुबा ने कहा कि भारत सरकार देश में हिन्दी भाषा के उपयोग के प्रसार के लिए प्रतिबद्ध है और इस दिशा में काम भी कर रही है। उन्होंने महत्वपूर्ण मार्गदर्शन प्रदान करने के लिए डॉक्टर मनसुख मंडाविया का धन्यवाद किया। उन्होंने कहा कि जहां हिन्दी भाषा के उपयोग को बढ़ावा देना महत्वपूर्ण है वहीं इसे आमजन की भाषा बनाने के रास्ते तलाशना भी जरूरी है और इसके लिए इसमें औपनिवेशिक काल की शब्दावली के स्थान पर रोजमर्रा की भाषा के शब्दों को शामिल किया जाना जरूरी है। इससे सरकारी कामकाज और नागरिक समाज के बीच हिन्दी भाषा के प्रचलन को बढ़ावा मिलेगा।

इस अवसर पर मौजूद विशेषज्ञों और भागीदारों ने महत्वपूर्ण मार्गनिर्देशक के लिए मंत्री का धन्यवाद ज्ञापन किया। बैठक में 10 जनवरी को विश्व हिन्दी दिवस के अवसर पर एक ऐसा हिन्दी शब्दकोष बनाने का सुझाव दिया गया जिसमें स्थानीय शब्दों को शामिल किया जाए। सुझाव में कहा गया है कि इस तरह प्रशासन और जीवन के सभी आयामों में हमारी राष्ट्र भाषा के अधिक से अधिक उपयोग की शुरुआत होगी।

इस बैठक में लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के प्रबंध निदेशक, हिन्दी भाषा के विशेषज्ञ तथा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। 

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