केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने आज नई दिल्ली में सहकारिता मंत्रालय और NAFCUB द्वारा आयोजित अनुसूचित और बहु-राज्य शहरी सहकारी बैंक तथा क्रेडिट सोसाइटीजके राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित किया

देश इस वर्ष आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने देश के सामने यह लक्ष्य रखा है कि 25 साल बाद जब राष्ट्र स्वतंत्रता की शताब्दी मनाए उस समय भारत दुनिया में सभी क्षेत्रों में सर्वोच्च स्थान पर हो

यह तभी संभव हो सकता है जब इस निर्माण प्रक्रिया में सभी की सहभागिता व सहकार हो और सभी क्षेत्रों के लोग अपने अपने लक्ष्य तय करके 25 साल में इन लक्ष्यों की सिद्धि प्राप्त करें

हमारे सामने सबसे बड़ा लक्ष्य है देश का विकास, मैं विश्वास के साथ कहना चाहता हूँ कि अगर हमें सर्वस्पर्शीय और सर्वसमावेशी विकास करना है तो विकास के मॉडल में सहकारिता के सिवाय हमारे पास और कोई रास्ता नहीं है

सर्वस्पर्शीय और सर्वसमावेशी विकास के लिए आर्थिक रूप से सशक्त नहीं हुए लोगों का एंपावरमेंट करने की जिम्मेदारी सोसाइटी यानि सहकार और सरकार दोनों की है

समाज के छोटे से छोटे तबके को ऊपर उठाना,विकास की प्रक्रिया में हिस्सेदार बनाना और देश के अर्थतंत्र में स्टेक होल्डर बनाने का काम कोऑपरेटिव ही कर सकता है

कुछ लोग सहकारिता को एक अलग दृष्टि से देखते हैं और इसे दक़ियानूसी, कालबाह्य और अप्रासंगिक मानते हैं, मगर मैं इन सबसे यह कहना चाहता हूँ कि आज आप अमूल, कृभको, इफ्को और लिज्जत पापड़ के मॉडल को देखिए

अगले 100 साल की यात्रा हमें बहुत गौरव और सिद्धि के साथ सहकारिता का व्याप और स्वीकृति बढ़ा देश के विकास में योगदान करके पूरी करनी है,अपने कृत्यों के आधार पर सहकारिता को अप्रासंगिक मानने वालों को थ्योरी नहीं बल्कि अपनी परफ़ॉर्मेंस के आधार पर समझाना होगा और यह हम सबकी ज़िम्मेदारी है

कोऑपरेटिव का एक समान विस्तार (Symmetric Development) करना हम सबका दायित्व है क्योंकि आने वाले समय में यही हमें स्पर्धा में टिका सकता है

मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में भारत सरकार आपसे समानता का व्यवहार करेगी और आपके साथ सेकंड ग्रेड सिटीजन का व्यवहार नहीं होगा

हमें अगले 100 साल के बारे में सोचना पड़ेगा और उसके लिए कुछ संस्थागत परिवर्तन करने पड़ेंगे, नए और प्रोफेशनल लोगों के लिए जगह,स्पर्धा वाले प्राइवेट और नेशनलाइज बैंकों के साथ मानव संसाधन की तुलना,अकाउंट सिस्टम के पूरी तरह कंप्यूटराइजेशन और सभी मानकों के लिए अकाउंट सॉफ्टवेयर में स्वयं अलर्ट पर आत्मचिंतन करना होगा

अर्बन कोऑपरेटिव बैंकों से जुड़े बहुत सारे मुद्दे हैं और मैं आप सबसे यह कहना चाहता हूँ कि इनके समाधान के लिए आप सहकारिता मंत्रालय को अपनी कल्पना से दो कदम आगे पाओगे

भारत सरकार कोऑपरेटिव यूनिवर्सिटी की स्थापना का मार्ग प्रशस्त कर रही है,प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने सरकारी संस्थाओं के अलावा केवल कोऑपरेटिव को जैम से खरीदी  की अनुमति देने का काम किया है, पारदर्शिता के लिए यह बहुत जरूरी है

 

 

केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने आज नई दिल्ली में सहकारिता मंत्रालय और NAFCUB द्वारा अनुसूचित और बहु-राज्य शहरी सहकारी बैंक तथा क्रेडिट सोसाइटीजके राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित किया। इस अवसर पर सहकारिता राज्य मंत्री श्री बी.एल. वर्मा, सहकारिता मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी, नेशनल फेडरेशन ऑफ अर्बन कोऑपरेटिव बैंक्स एंड क्रेडिट सोसाइटीज लिमिटेड (NAFCUB) के अध्यक्ष श्री ज्योतिंद्र मेहता समेत अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

 

 

अपने सम्बोधन में श्री अमित शाह ने कहा कि देश इस वर्ष आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने देश के सामने यह लक्ष्य रखा है कि 25 साल बाद जब राष्ट्र स्वतंत्रता की शताब्दी मनाए उस समय भारत दुनिया में सभी क्षेत्रों में सर्वोच्च स्थान पर हो। यह तभी संभव हो सकता है जब इस निर्माण प्रक्रिया में सभी की सहभागिता व सहकार हो और सभी क्षेत्रों के लोग अपने अपने लक्ष्य तय करके 25 साल में इन लक्ष्यों की सिद्धि प्राप्त करें। हमारे सामने सबसे बड़ा लक्ष्य है देश का विकास,देश के अर्थतंत्र को दुनियाभर के अर्थतंत्र की तालिका में सबसे ऊपर पहुँचाना और देश के सभी नागरिक एक समान अधिकार के साथ अपना जीवन जी सकें।

यह भी पढ़ें :   रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह उज्बेकिस्तान के ताशकंद में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के रक्षा मंत्रियों की बैठक में भाग लेंगे

 

केंद्रीय सहकारिता मंत्री ने कहा कि कुछ लोग सहकारिता को एक अलग दृष्टि से देखते हैं और इसे दक़ियानूसी, कालबाह्य और अप्रासंगिक मानते हैं। मगर मैं इन सबसे यह कहना चाहता हूँ कि आज आप अमूल, कृभको, इफ्को और लिज्जत पापड़ के मॉडल को देखिए। हमारी सौ साल से ज़्यादा पुरानी 195 से अधिक कोऑपरेटिव बैंकों को देखिए तब आपको मालूम पड़ेगा कि ये आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं। श्री शाह ने कहा कि सौ साल एक बहुत बड़ा कालखंड होता है और देश की सहकारिता ने बहुत ही सफलता के साथ इस यात्रा को पूरा किया है, परंतु अगले 100 साल की यात्रा हमें बहुत गौरव और सिद्धि के साथ देश के विकास में योगदान करके पूरी करनी है। अगले सौ साल तक सहकारिता का व्याप और स्वीकृति बढ़ानी है और अपने कृत्यों के आधार पर सहकारिता को अप्रासंगिक मानने वालों को थ्योरी नहीं बल्कि अपनी परफ़ॉर्मेंस के आधार पर समझाना होगा और यह हम सबकी ज़िम्मेदारी है।

 

 

श्री अमित शाह ने कहा कि समाज के छोटे से छोटे तबके को केवल और केवल अर्बन स्टेट कोऑपरेटिव बैंक लोन दे सकते हैं और उस तबके को ऊपर उठाना है,विकास की प्रक्रिया में हिस्सेदार बनाना और देश के अर्थतंत्र में स्टेक होल्डर बनाने का काम कोऑपरेटिव ही कर सकता है। उन्होंने कहा कि आज सामान्य व्यक्तियों को रोजमर्रा की छोटी छोटी चीजों के लिए जब लोन चाहिए तो वह कॉपरेटिव बैंक की ओर देखता है। उन्होंने कहा कि मैंने तीन ऐसे बड़े बड़े उद्योगपति देखे हैं जिन्हें पाँच लाख रुपये का पहला लोन अर्बन कोऑपरेटिव बैंक ने दिया था और जो आज वे देश के सबसे बड़े जीडीपी कंट्रीब्यूटर हैं, वह पाँच लाख रुपये का लोन देश को बड़ा इंडस्ट्रियलिस्ट दे सकता है।  उन्होंने कहा कि सर्वस्पर्शीय, सर्वसमावेशी विकास के लिए यह बहुत जरूरी है और आर्थिक रूप से सशक्त नहीं हुए लोगों का एंपावरमेंट करने की जिम्मेदारी सोसाइटी यानि सहकार और सरकार दोनों की है। सशक्तिकरण के लिए अर्बन कोऑपरेटिव बैंक और अर्बन कोऑपरेटिव क्रेडिट सोसाइटी से अच्छा जरिया और कोई नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि 10,000 शाखाएं, 5 लाख करोड़ रुपये का डिपॉजिट, 3 लाख करोड रुपये का एडवांस यह देखने में बड़ा अच्छा लगता है लेकिन बैंकिंग क्षेत्र में हमारी हिस्सेदारी पर भी आत्मचिंतन करने की जरूरत है। बैंकिंग क्षेत्र में डिपॉजिट के मामले में अर्बन कॉपरेटिव बैंक की हिस्सेदारी केवल 3.25% और एडवांस में 2.69% है। हमें इससे संतुष्ट नहीं होना चाहिए बल्कि इसका विस्तार करने का संकल्प लेना चाहिए। श्री शाह ने कहा कि मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में भारत सरकार आपसे समानता का व्यवहार करेगी  और आपके साथ सेकंड ग्रेड सिटीजन का व्यवहार नहीं होगा।

 

सहकारिता मंत्री ने कहा कि अगर हमें विस्तार करना है तो अपने कालखंड और सेक्टर की न  सोचें, अब हमें आगे के 100 साल के बारे में सोचना पड़ेगा और उसके लिए अपने अंदर भी कुछ संस्थागत परिवर्तन करने पड़ेंगे। हमें नए और प्रोफेशनल लोगों के लिए जगह बनाकर उन्हें कोऑपरेटिव के क्षेत्र में लाना होगा। वे कोऑपरेटिव को आगे बढ़ाएंगे, जो नया आया है वह आपके अनुभव से सीखेगा और जो पुराना है वह नए को सिखाएगा, हमें यही अप्रोच अपनानी चाहिए। हमें अपने स्पर्धा वाले प्राइवेट बैंकों और नेशनलाइज बैंकों के साथ अपने मानव संसाधन की भी तुलना करनी चाहिए। भर्ती की प्रोफेशनल प्रक्रिया, अकाउंट सिस्टम के पूरी तरह कंप्यूटराइजेशन और सारे मानकों के लिए अकाउंट सॉफ्टवेयर में स्वयं अलर्ट जैसी बहुत सारी चीजों पर भी आत्मचिंतन करना चाहिए। अगर हमें भी स्पर्धा में टिके रहना है तो अपने आप को समय के साथ बदलना पड़ेगा और खरा उतरना होगा। हमें आत्मचिंतन कर नए सुधारों को स्वीकारना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि देश में 40 प्रतिशत अर्बनाइजेशन है लेकिन इसमें सहकारिता की भागीदारी काफी कम है, अगर हमें इसमें अपना हिस्सा बढ़ाना तो स्पर्धा में रहने पर ध्यान देना पड़ेगा। NAFCUB को क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी के क्षेत्र पर भी ज्यादा थ्रस्ट देने की जरूरत है। आज सहकारिता की भावना और संस्कृति दोनों को आगे ले जाना चाहिए। देश के गरीब तबके के विकास के लिए यह क्षेत्र बहुत जरूरी है कि हम भावना को तो आगे ले जाएँ मगर साथ ही आधुनिक बैंकिंग पद्धति को भी स्वीकार करें तभी जाकर हम स्पर्धा में टीके रह पाएंगे।

यह भी पढ़ें :   उपराष्ट्रपति ने कृषि अनुसंधान एवं विकास पर खर्च बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया

श्री अमित शाह ने कहा कि हम सबको यहाँ से एक संकल्प लेकर जाना चाहिए कि हम अपनी अनिवार्यता भी खड़ी करेंगे और साथ ही अपने योगदान से स्पर्धा के जमाने में अपनी डिमांड खड़ी करेंगे जिससे लोगों का ऑपरेटिव पर भरोसा बढ़ाया जा सके। उन्होंने कहा कि शहरी कोऑपरेटिव क्रेडिट क्षेत्र की भविष्य की भूमिका पर आयोजित इस सेमिनार में बहुत सारे टेक्निकल सेशन भी है इसमें शहरी सहकारी बैंकों के भविष्य की भूमिका,आरबीआई एक्सपर्ट कमिटी रिपोर्ट की सिफारिश, मल्टी स्टेट कोऑपरेटिव सोसाइटी और टैक्सेशन आदि के बारे में चर्चा होगी। इस चर्चा में हम आत्म निरीक्षण भी करें।  केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि हमारा व्याप काफी विशाल है,लगभग 1534 अर्बन कोऑपरेटिव बैंक, 10,000 से ज्यादा शाखाएं, 54 शेड्यूल बैंक, 35 मल्टी स्टेट कोऑपरेटिव बैंक, 580 मल्टी स्टेट कोऑपरेटिव  क्रेडिट सोसाइटीज और 22 राज्य संघ हैं। हमारा व्याप तो बहुत है परंतु वह असमान है। हर टाउन मेंएक अच्छी अर्बन कोऑपरेटिव बैंक होना समय और देश की जरूरत है। NAFCUB को  कोऑपरेटिव बैंकों की समस्याओं को उठाना और उनका समाधान तो करना ही चाहिए परंतु साथ ही एक समान विकास (Symmetric Development) के लिए भी और अच्छे ढंग से काम करना चाहिए। कोऑपरेटिव का एक समान विस्तार करना हम सबका दायित्व है क्योंकि आने वाले समय में यही हमें स्पर्धा में टिका सकता है। इसके लिए सफल बैंकों को भी समय निकाल कर आगे आना पड़ेगा।

 

केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि अर्बन को-ऑपरेटिव बैंकों  से जुड़े बहुत सारे मुद्दे हैं और मैं आप सबसे यह कहना चाहता हूँ कि इनके समाधान के लिए आप सहकारिता मंत्रालय को अपनी कल्पना से दो कदम आगे पाओगे।सहकारिता मंत्रालय बनने के बाद टैक्सेशन, चीनी मीलों के टैक्सेशन और असेसमेंट के मुद्दों सहित ढेर सारे परिवर्तन हुए है। पूरी कोआपरेटिव का एक डेटा बैंक बना रहे हैं, भारत सरकार कोऑपरेटिव यूनिवर्सिटी की स्थापना का मार्ग प्रशस्त कर रही है और इस देश की कैबिनेट ने बड़ी सहकारी समितियों में जैम (GeM) से खरीदने की मंजूरी भी दी है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने सरकारी संस्थाओं के अलावा अगर किसी को जैम से खरीदी की अनुमति देने का काम सिर्फ कोऑपरेटिव के लिए किया है, पारदर्शिता के लिए यह बहुत जरूरी है। ढेर सारी चीजें हो रही है और आगे भी होंगी परंतु मेरा आप सबसे आग्रह है कि आत्मचिंतन कर स्पर्धा में टिकने के लिए अपने इंस्टिट्यूशन में क्या और करने की जरूरत है इस पर सोचें।

*****

एनडब्ल्यू/आरके/एवाई/आरआर