गलियों में प्रदर्शन करने वाले, रेलगाड़ियो में मनोरंजन करने वाले, मंदिरों से जुड़े कलाकारों आदि सहित देश भर के दुर्लभ संगीत वाद्ययंत्रों की प्रतिभा को प्रदर्शित करने के लिए एक अनूठा उत्सव ज्योतिर्गमय का आज नई दिल्ली के कमानी ऑडिटोरियम में समापन हुआ।
केन्द्रीय संस्कृति और विदेश राज्य मंत्री श्रीमती मीनाक्षी लेखी, केन्द्रीय संस्कृति और संसदीय कार्य राज्य मंत्री श्री अर्जुन राम मेघवाल और संस्कृति मंत्रालय में सचिव श्री गोविंद मोहन भी इस अवसर पर उपस्थित थे।
इस अवसर पर संस्कृति राज्य मंत्री श्री अर्जुन राम मेघवाल ने कबीर गायन की विशेष प्रस्तुति दी। श्री मेघवाल ने कबीर परंपरा के महत्व की व्याख्या करते हुए बताया कि हमें भारतीय संस्कृति को समझने के लिए संत कबीरदासजी के दृष्टिकोण को समझने की आवश्यकता है।
श्रीमती मीनाक्षी लेखी ने अपने संबोधन में कहा कि यह युवाओं का उत्तरदायित्व है कि वे हमारे समृद्ध सांस्कृतिक इतिहास को आगे ले जाएं। उन्होंने कहा कि त्योहार के दौरान बजाए जाने वाले दुर्लभ वाद्ययंत्रों ने लोगों को ऐसे समय में आवाज प्रदान की, जब समाज को शब्दों द्वारा समझाया जाना विफल रहा।
श्रीमती मीनाक्षी लेखी ने ब्रह्म वीणा के वरिष्ठतम कलाकार श्री आनंद बाग का अभिनंदन किया। इसके बाद विभिन्न दुर्लभ संगीत वाद्ययंत्रों पर कलाकारों द्वारा प्रस्तुतियां दी गईं। संगीत नाटक अकादमी के सचिव ने कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए सभी के प्रति हार्दिक कृतज्ञता व्यक्त की।
5 दिवसीय महोत्सव में देश के कोने-कोने से आए अनसुने कलाकारों की प्रतिभा प्रदर्शित की गई। प्रतिदिन 15 कलाकारों ने अपनी कला का प्रदर्शन किया। इसे सोशल मीडिया अभियान के माध्यम से संभव बनाया गया, जिसके तहत प्रवेशकों को अपने प्रदर्शन की एक छोटी क्लिप भेजने के लिए कहा गया। प्रविष्टियों की समीक्षा की गई और प्रतिष्ठित संगीतकारों और कई प्रतिष्ठित संस्थानों की अनुशंसाओं पर विचार करने के बाद कुल 75 प्रदर्शनों का चयन किया गया।
ललित कला गैलरी में एक लाइव प्रदर्शनी का आयोजन किया गया जिसमें कमाइचा, रावणहथा, रबाब, पुंग, सारंगी, जोड़ी पावा, खोल जैसे संगीत वाद्ययंत्रों को प्रदर्शित किया गया, जो हमारे देश के विभिन्न हिस्सों से संबंधित हैं।
इसके साथ ही, मद्दलम, रुद्र वीणा, दुक्कड़, शहनाई और नादस्वरम जैसे दुर्लभ संगीत वाद्ययंत्रों के निर्माण पर कार्यशालाएं आयोजित की गईं, जिनमें कलाकारों, विद्वानों, शोधकर्ताओं, छात्रों आदि ने उत्साह के साथ प्रतिदिन अवलोकन किया। 20 दुर्लभ वाद्ययंत्रों की प्रदर्शनी भी लगाई गई।
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