नई दिल्ली। जीएसटी परिषद ने हाल ही में हुई अपनी 56वीं बैठक में जीएसटी दरों में अब तक का सबसे बड़ा सुधार किया है। इस बैठक में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में कई आवश्यक और दैनिक उपयोग की वस्तुओं पर टैक्स घटाने का फैसला किया गया है, लेकिन मोबाइल फोन खरीदारों को फिलहाल कोई राहत नहीं मिली है। जीएसटी काउंसिल ने मोबाइल फोन पर 18% की मौजूदा टैक्स दर को अपरिवर्तित रखने का निर्णय लिया है।
'नेक्स्ट-जेन जीएसटी': नई टैक्स स्लैब संरचना
2017 में जीएसटी लागू होने के बाद पहली बार, चार-स्लैब (5%, 12%, 18% और 28%) की मौजूदा व्यवस्था को सरल बनाकर दो मुख्य स्लैब में विभाजित कर दिया गया है। ये नई दरें 22 सितंबर 2025 से प्रभावी हो जाएंगी।
5% स्लैब: इसमें आवश्यक वस्तुओं को शामिल किया गया है।
18% स्लैब: इसमें स्टैंडर्ड गुड्स को रखा गया है।
40% विशेष स्लैब: लग्जरी आइटम्स, महंगी कारें, तंबाकू, शराब और ऑनलाइन सट्टेबाजी जैसे 'सिन गुड्स' पर 40% की विशेष दर लागू की गई है।
किन उत्पादों पर घटेंगे दाम?
जीएसटी दरों में इस बड़े सुधार से कई उत्पादों की कीमतों में कमी आएगी। उपभोक्ताओं को साबुन, शैंपू, टेलीविजन, एयर कंडीशनर, साइकिल और रिन्यूएबल एनर्जी इक्विपमेंट जैसे सामानों पर कम दरों का लाभ मिलेगा। सरकार ने इन सुधारों को 'नेक्स्ट-जेन जीएसटी' का नाम दिया है, जिसका उद्देश्य नियमों का पालन आसान बनाना, उपभोग को बढ़ावा देना और नागरिकों को एक तरह का 'दिवाली गिफ्ट' देना है।
मोबाइल फोन क्यों नहीं हुए सस्ते?
मोबाइल फोन उद्योग, जैसे कि इंडिया सेल्युलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन (ICEA) ने लगातार यह मांग की थी कि मोबाइल फोन को 'डिजिटल जरूरत' मानते हुए इस पर जीएसटी दर को घटाकर 12% या 5% किया जाए। आईसीईए का तर्क था कि मोबाइल फोन अब सिर्फ लग्जरी आइटम नहीं हैं, बल्कि शिक्षा, वित्तीय सेवाओं और सरकारी योजनाओं तक पहुंचने के लिए महत्वपूर्ण उपकरण बन गए हैं। हालांकि, जीएसटी परिषद ने इस पर कोई बदलाव न करते हुए 18% की दर को बनाए रखने का फैसला किया है, जिसका सीधा मतलब है कि स्मार्टफोन और फीचर फोन की कीमतों में कोई कमी नहीं आएगी।
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