महात्मा गांधी की प्रतिमा के नीचे बैठ कर धरना देने से कुछ नहीं होगा। ममता बनर्जी को देश का कानून मानना पड़ेगा।

महात्मा गांधी की प्रतिमा के नीचे बैठ कर धरना देने से कुछ नहीं होगा। ममता बनर्जी को देश का कानून मानना पड़ेगा।

विधानसभा चुनाव में पंचायत चुनाव जैसी गुंडागर्दी नहीं हो पा रही, इसलिए बेचैनी है।

बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना जैसी स्थिति है अधीर रंजन चौधरी की।

13 अप्रैल को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कोलकाता में महात्मा गांधी की प्रतिमा के नीचे बैठकर धरना दिया। यह धरना चुनाव आयोग के उस फैसले के विरोध में दिया गया, जिसमें ममता को 13 अप्रैल को एक दिन के लिए चुनाव प्रचार करने से रोक दिया गया। ममता आयोग पर तो गुस्सा उतार रही हैं, लेकिन यह नहीं बता रही कि आयोग ने उनके प्रचार पर रोक क्यों लगाई है। असल में तीन चरणों में मतदान की स्थिति को देखते हुए ममता ने चौथे चरण के मतदान से पहले एक चुनावी रैली में मुस्लिम मतदाताओं को एकजुट रहने के लिए कहा। ममता ने कहा कि भाजपा को रोकने के लिए मुसलमानों को एकजुट होकर टीएमसी को वोट देना चाहिए। चुनाव आयोग ने ममता के इस बयान को आचार संहिता का उल्लंघन माना। सब जानते हैं कि गत वर्ष हुए पंचायत चुनाव में बंगाल में टीएमसी के कार्यकर्ताओं ने खुली गुंडागर्दी की। विरोधी पक्ष के लोगों को वोट डालने नहीं दिया गया। लेकिन अब ऐसी गुंडागर्दी टीएमसी के कार्यकर्ता विधानसभा चुनाव में नहीं कर पा रहे हैं, क्योंकि चुनाव आयोग ने केंद्रीय सुरक्षा बलों की तैनाती कर दी है। बैचेन ममता ने अपने समर्थकों से सुरक्षा बलों का घेराव करने को कह दिया। ममता का इशारा मिलते ही समर्थकों ने सशस्त्र सुरक्षा बलों पर हमला बोल दिया। जवानों को आत्मरक्षा में फायरिंग करनी पड़ी। ममता के इस बयान को भी आयोग ने आचार संहिता का उल्लंघन माना। मुख्यमंत्री के पद पर रहते हुए ममता बनर्जी कानून को ठेंगे पर रख रही है, लेकिन चुनाव आयोग ने बता दिया कि कानून क्या होता है। कोलकाता में महात्मा गांधी की प्रतिमा के नीचे बेठ कर धरना देने से अब कुछ होने वाला नहीं है। बंगाल की जनता ने ममता समर्थकों की गुंडागर्दी देख ली है। अच्छा हो कि ममता बनर्जी कानून के दायरे में रह कर राजनीतिक गतिविधियां करें। बंगाल की बिगड़ी कानून व्यवस्था अब पूरा देश देख रहा है। बंगाल की जनता ने ममता को विदा करने का निर्णय ले लिया है। 2 मई को सिर्फ घोषणा होना शेष है।
अब्दुल्ला दीवाना:
पश्चिम बंगाल कांगे्रस के अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने चुनाव आयोग से राजनीतिक दलों की रैलियों पर रोक लगाने की मांग की है। बंगाल में अंतिम आठवें चरण का मतदान 29 अप्रैल को होना है, लेकिन कांग्रेस चाहती है कि रैलियों पर रोक अभी से लग जाए। कांग्रेस ने बंगाल में लेफ्ट के साथ गठबंधन किया है, लेकिन पूरे बंगाल में कांग्रेस की कहीं भी प्रभावी उपस्थिति नहीं है। अधिकांश स्थानों पर भाजपा और टीएमसी के बीच मुकाबला है। अधीर रंजन चौधरी की स्थिति बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना जैसी है। कांग्रेस जब प्रभावी तरीके से चुनाव लड़ ही नहीं रही है तो फिर रैलियों पर रोक की मांग करेगी ही। राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने बंगाल में कोई चुनाव सभा नहीं की है। पर्दे के पीछे से कांग्रेस ममता बनर्जी को ही सपोट कर रही है। कांग्रेस भी चाहती है कि मुसलमानों के एकमुश्त वोट टीएमसी को मिल जाएं।