पदार्थ की असामान्य अवस्थाओं में विद्युत चुम्बकीय ट्यूनिंग से विचित्र दृष्टिजन्य (ऑप्टिकल) प्रभाव मिल सकते हैं

पदार्थ की असामान्य अवस्थाओं में विद्युत चुम्बकीय ट्यूनिंग से विचित्र दृष्टिजन्य (ऑप्टिकल) प्रभाव मिल सकते हैं

वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि पदार्थ की असामान्य अवस्थाओं में विद्युत चुम्बकीय ट्यूनिंग (समस्वरण) से ऐसे विचित्र दृष्टिज्न्य (ऑप्टिकल) प्रभाव मिल सकते हैं जो कुछ विशिष्ट प्रकार के दृष्टिजन्य (ऑप्टिकल) उपकरणों के लिए बहुत उपयोगी होंगेI उन्हें ज्ञात हुआ है कि एक विशेष प्रकार के एंटीफेरोमैग्नेटिक एक्सियन इंसुलेटर कहे जाने वाले चुम्बकीय कुचालक (इन्सुलेटर) पर विद्युतीय क्षेत्र का प्रयोग करने से उस इन्सुलेटर की ऊपरी और निचली सतह से विपरीत दिशाओं में इलेक्ट्रानों का स्वत एवं निरंतर प्रवाह शुरू हो जाता हैI हॉल सतह प्रभाव नामक यह गुण ऐसे पदार्थों के चुंबकत्व को बाहरी विद्युत क्षेत्र द्वारा प्रभावी ढंग से नियंत्रित करने की अनुमति देता है, जिससे अगली पीढ़ी के चुंबकीय और ऑप्टिकल उपकरणों में महत्वपूर्ण अनुप्रयोगों के साथ चुंबकत्व की विद्युत ट्यूनिंग होती है।
एंटी-फेरोमैग्नेटिक एक्सियन इंसुलेटर पदार्थ की एक ऐसी असामान्य अवस्था है जिसके बारे में  दशकों पहले परिकल्पना कर ली गई थी, लेकिन आज तक इसका प्रयोग नहीं हो पाया है। मैंगनीज बिस्मथ टेलुराइड (एमएनबीआई2टीई4) यौगिकों की श्रृंखला एंटीफेरोमैग्नेटिक एक्सियन इंसुलेटर के एक ऐसे ही आशाजनक वर्ग के रूप में सामने आई है और वैज्ञानिक इनका अधिक नवीन तरीकों से उपयोग करने के लिए इसके अद्वितीय गुणों की खोज कर रहे हैं।
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) कानपुर की एक टीम ने मैंगनीज बिस्मथ टेलुराइड (एमएनबीआई2टीई4) की कुछ नैनोमीटर मोटी परतों से बने उपकरणों में ‘लेयर हॉल इफेक्ट’ गुण का पता लगाया है। हॉल प्रभाव विद्युत क्षेत्र की प्रतिक्रिया में एक अनुप्रस्थ वोल्टेज उत्पन्न होने को संदर्भित करता है। ऐसा पदार्थ में विद्यमान चुंबकीय क्षेत्र की उपस्थिति में होता है। हाल ही में नेचर पत्रिका में प्रकाशित एक शोध पत्र में क्रिस्टलीय ठोस में इलेक्ट्रॉन गति की ‘ज्यामिति’ से उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र की अनुपस्थिति में भी इसे उत्पन्न होता दिखाया गया है। प्रो. अमित अग्रवाल के नेतृत्व में आईआईटी कानपुर की टीम ने प्रयोगात्मक रूप से एक नए प्रकार के हॉल प्रभाव का अवलोकन किया, जिसे लेयर हॉल इफेक्ट कहा जाता है, जिसमें उपकरण (डिवाइस) की ऊपरी और निचली सतह विपरीत दिशाओं में अनुप्रस्थ धारा उत्पन्न करती है और ऐसा किसी क्रिस्टल में इलेक्ट्रानों के ज्यामितीय गुणों के कारण संभव होता है।
इसके अतिरिक्त, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी)  कानपुर टीम ने यह भी पाया कि मैंगनीज बिस्मथ टेलुराइड (एमएनबीआई2टीई4) की चुंबकीय स्थिति को एक ऐसे युग्मित चुंबकीय और विद्युत क्षेत्र द्वारा प्रभावी रूप से परिवर्तित (स्विच) किया जा सकता है जिसे एक्सियन क्षेत्र के रूप में जाना जाता है। विज्ञान इंजीनियरिंग और अनुसंधान बोर्ड (एसईआरबी) तथा विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) की सहायता से चल रहे इस अध्ययन से अक्षीय विद्युत चुम्बकीय युग्मन का उपयोग करके मैंगनीज बिस्मथ टेलुराइड (एमएनबीआई2टीई4)   में अधिक असामान्य संचरणों और ऑप्टिकल प्रभावों की खोज हेतु कुछ और नए क्षेत्र भी सामने आ रहे हैं।

 
प्रकाशन लिंक:https://doi.org/10.1038/s41586-021-03679-w
अधिक जानकारी के लिए प्रो. अमित अग्रवाल (amitag@iitk.ac.in) से संपर्क किया जा सकता है।
 
****
एमजी/एएम/एसटी/वाईबी

G News Portal G News Portal
16 0

0 Comments

No comments yet. Be the first to comment!

Leave a comment

Please Login to comment.

© G News Portal. All Rights Reserved.