पंजाब में अकाली दल और केजरीवाल की पार्टी में मुख्य मुकाबला। नवजोत सिंह सिद्धू की वजह से कांग्रेस तीसरे स्थान पर। भाजपा मुकाबले में नहीं।

पंजाब में अकाली दल और केजरीवाल की पार्टी में मुख्य मुकाबला। नवजोत सिंह सिद्धू की वजह से कांग्रेस तीसरे स्थान पर। भाजपा मुकाबले में नहीं।

पंजाब में अकाली दल और केजरीवाल की पार्टी में मुख्य मुकाबला।
नवजोत सिंह सिद्धू की वजह से कांग्रेस तीसरे स्थान पर। भाजपा मुकाबले में नहीं।
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पंजाब की 117 सीटों पर एक साथ 14 फरवरी को मतदान होगा। यानी अब मतदान में एक माह भी नहीं रहा है। यही वजह है कि सभी राजनीतिक दलों ने अपनी अनी जाजम बिछा दी है। चुनाव की घोषणा के बाद जो तस्वीर सामने आई है उसके अनुरूप पंजाब में मुख्य मुकाबला शिरोमणि अकाली दल और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी के बीच है। अकाली दल ने जहां बसपा से गठबंधन कर रखा है, वहीं केजरीवाल अपने दम पर ही चुनाव लड़ रहे हैं। अधिकांश सीटों पर इन दोनों पार्टियों के बीच ही मुकाबला नजर आ रहा है। इस बार चुनाव जीतने के लिए अकाली दल के नेता सुखबीर सिंह बादल और उनकी सांसद पत्नी हरसिमरत कौर बादल रात दिन मेहनत कर रहे हैं। बादल भले ही मीडिया की सुर्खियों में न रहे हों, लेकिन उन्होंने पार्टी को मजबूत स्थिति में खड़ा कर दिया है। जहां तक आप पार्टी का सवाल है तो पंजाब में सिक्ख समुदाय के बीच अरविंद केजरीवाल की लोकप्रियता जबर्दस्त है। पिछली बार भी केजरीवाल की पार्टी दूसरे नंबर पर रही थी। केजरीवाल को उम्मीद है कि इस बार उन्हीं की पार्टी का मुख्यमंत्री बनेगा। हालांकि कांग्रेस सत्ता में है, लेकिन प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू की असंतुष्ट गतिविधियों के कारण कांग्रेस अब तीसरे नंबर पर आ गई है। 2017 के चुनाव में कैप्टन अमरिंदर सिंह ने जो जाजम बिछाई, उसकी वजह से कांग्रेस ने केजरीवाल की पार्टी को मात दे दी, लेकिन इस बार कैप्टन कांग्रेस का साथ छोड़ चुके हैं और अपनी नई पार्टी बना ली है। कैप्टन ने अब भाजपा से गठबंधन कर लिया है। लेकिन भाजपा पंजाब में फिलहाल मुकाबले में नहीं है। कैप्टन अमरिंदर सिंह का मकसद सिर्फ कांग्रेस को हरा कर सिद्धू को नीचा दिखाना है। सिद्धू की वजह से ही कैप्टन और कांग्रेस के हाईकमान गांधी परिवार में दूरियां बढ़ी। सिद्धू की वजह से ही चुनाव के पांच माह पहले कैप्टन को मुख्यमंत्री का पद छोड़ना पड़ा। कैप्टन को मुख्यमंत्री पद से हटवाने के बाद सिद्धू स्वयं को चाहे कितना भी बड़ा लीडर समझे लेकिन लोगों में उनकी इमेज कपिल शर्मा के लाफ्टर शो के मजाकिया पात्र की ही है। सिद्धू की तुनक मिजाजी से अब राहुल गांधी और प्रियंका गांधी भी परेशान हो गए हैं। भाजपा पूरी तरह कैप्टन अमरिंदर सिंह पर निर्भर है। मौजूदा समय में भाजपा के मात्र दो विधायक हैं। भाजपा को भी पता है कि कैप्टन का मकसद सिर्फ कांग्रेस को हराना है, इसलिए भाजपा अपने विधायकों की संख्या दो अंकों पर करने की जुगाड़ में है। सिद्धू भले ही पंजाब के मुख्यमंत्री बनने के सपने देख रहे हों, लेकिन पंजाब में मुख्य मुकाबला अकाली दल और केजरीवाल के बीच ही है। केजरीवाल भी पंजाब के मुख्यमंत्री के सपने देख रहे हैं। भले ही अभी किसी सिक्ख को मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित कर दिया जाए, लेकिन केजरीवाल की नजर मुख्यमंत्री के पद पर ही है। दिल्ली के मुख्यमंत्री के पास वो अधिकार नहीं है जो पंजाब के मुख्यमंत्री के पास है। इसलिए केजरीवाल स्वतंत्र राज्य के मुख्यमंत्री बनने को लालायित है।

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