लिखे हुए को पढ़कर बोलने के कारण इस बार लाल किले से अपना स्वाभाविक भाषण नहीं दे सके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी।

लिखे हुए को पढ़कर बोलने के कारण इस बार लाल किले से अपना स्वाभाविक भाषण नहीं दे सके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी।

लिखे हुए को पढ़कर बोलने के कारण इस बार लाल किले से अपना स्वाभाविक भाषण नहीं दे सके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी।
अब अंग्रेजी भाषा नहीं जानने वालों को भी योग्यता दिखाने का अवसर मिलेगा। सैनिक स्कूलों में पढ़ सकेंगी बेटियां।
सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास के साथ सबका प्रयास भी जुड़ा।
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गत लोकसभा चुनाव से पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक इंटरव्यू में कहा था कि उन्हें कागज पर लिखे को पढ़कर भाषण देने में परेशानी होती है। इससे उनका स्वाभाविक भाषण नहीं हो पाता है। कुछ ऐसा ही इस बार 15 अगस्त को लाल किले पर आयोजित स्वाधीनता दिवस के समारोह में नरेंद्र मोदी के भाषण में देखने को मिला। इस बार मोदी ने कागज पर लिखे को पढ़कर भाषण दिया, इससे उन्हें बार बार कागज पर देखना पड़ रहा था। यही वजह है कि इस बार लाल किले से मोदी का स्वाभाविक भाषण नहीं हो सका। मोदी जब बिना पढ़े भाषण देते हैं तो उनका अंदाज ही अलग होता है। ऐसा लगता है कि मोदी सीधे लाखों लोगों से जुड़ रहे हैं। श्रोताओं को ताज्जुब तो तब होता है जब प्रधानमंत्री होते हुए भी मोदी छोटी छोटी शहर की विकास योजनाओं के बारे में जानकारी देते हैं। मोदी की ऐसी याददाश्त की सभी तारीफ करते हैं। मोदी बिना पढ़े ही लम्बे लंबे आंकड़े भी बताते हैं। लेकिन इस बार मोदी का स्वाधीनता दिवस का भाषण कुछ जमा नहीं। देशवासी नरेन्द्र मोदी को फ्री स्टाइल में ही देखना और सुनना पसंद करते हैं। बंदिश में रहना तो मोदी के स्वभाव में भी नहीं है। जिन लोगों की सलाह पर मोदी ने पढ़ कर भाषण दिया है, असल में उन्हें मोदी को बांधने का काम किया है। अच्छा हो कि मोदी अपने भाषण की स्वाभाविकता को बनाए रखें।
अब सबका प्रयास भी जुड़ा:
मोदी के सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास के अभियान में अब सबका प्रयास भी जुड़ गया है। ऐतिहासिक लाल किले से मोदी ने कहा कि अब सैनिक स्कूलों में देश की बेटियां भी पढ़ सकेंगी। टोक्यो ओलंपिक में मेडल जीत कर बेटियों ने अपनी योग्यता दिखा दी है। जिन लोगों को अंग्रेजी नहीं आती उन्हें भी मोदी ने खुश कर दिया है। मोदी ने कहा कि मातृभाषा में योग्यता दिखाने का युवाओं को पूरा अवसर मिलेगा। मातृभाषा को जानने वाला भी उतनी ही समझ रखता है, जितनी अंग्रेजी का जानकार। अंग्रेजी भाषा नहीं आने से किसी को उसकी योग्यता से वंचित नहीं किया जा सकता है। मोदी ने कहा कि जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने, अयोध्या में राम मंदिर निर्माण और देश में जीएसटी लागू करने के ऐसे निर्णय हैं जो सदियों से लंबित थे। देश की जनता ने भरोसा जताया तो लंबित विवादों का भी निपटारा हुआ। नए कानून बनाकर किसानों की स्थिति को भी समृद्ध किया जा रहा है। एयर स्ट्राइक कर दुश्मन को भी सबक सिखाया जाता है। मोदी भले ही अपना स्वभाविक भाषण नहीं दे सके, लेकिन उनका संबोधन देश को ऊर्जा देने वाला रहा। मोदी ने कहा कि आज भारत हर चुनौती का मुकाबला करने को तैयार है। कोरोना काल के बाद भी देश आर्थिक दृष्टि से मजबूत स्थिति में खड़ा है। देश में चहुंमुखी विकास हो रहा है।

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