Indian Railways: गुडला में राजधानी का इंजन फेल, ढाई घंटे देरी से पहुंची कोटा
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Indian Railways: रेलवे को एक महिने बाद भी नहीं मिला रब्बानी की मौत का जिम्मेदार, ओएचई से झुलसकर हुई थी मौत

Indian Railways: रेलवे को एक महिने बाद भी नहीं मिला रब्बानी की मौत का जिम्मेदार, ओएचई से झुलसकर हुई थी मौत
Rail News:  कोटा मंडल रेल प्रशासन एक महिने बाद भी रब्बानी खान की मौत के जिम्मेदारों का पता नहीं लगा सका है। इसके चलते कर्मचारियों में भी रोष है। वहीं अधिकारियों ने मामले में चुपी साध रखी है।
उल्लेखनीय है कि सवाईमाधोपुर में काम के दौरान टीआरडी विभाग में टेक्नीशियन पद पर कार्यरत रब्बानी खान (40) 28 मार्च को ट्रेन संचालन के लिए लगे बिजली के तार (ओएचई) से झुलसकर टावर वैगन से नीचे गिर थे। इस घटना में रब्बानी गंभीर रुप से घायल हो गए थे। इलाज के लिए रब्बानी को जयपुर के महात्मा गांधी अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। यहां इलाज के दौरान 4 अप्रेल को रब्बानी की मौत हो गई थी। इस घटना के जिम्मेदारों का पता लगाने के लिए प्रशासन ने जांच के आदेश दिए थे। लेकिन कार्यवाही तो दूर प्रशासन एक महिने बाद भी रब्बानी की मौत के जिम्मेदारों का पता तक नहीं लगा सका है। इसके चलते कर्मचारियों में नाराजगी है। कर्मचारियों का कहना है कि जिम्मेदारों पर कार्यवाही नहीं होने से ऐसे मामले और बढ़ सकते हैं। जिम्मेदारों के गलत निर्णय, लापरवाही और बिना किसी सुरक्षा उपकरणों के काम करते वह भी कभी भी हादसे का शिकार हो सकते हैं। ऐसे में जिम्मेदारों को बचाने के लिए प्रशासन मामले को फिर से रफादफा कर देगा।
जीएम की बात का असर नहीं
कर्मचारियों ने बताया कि यह हालात तो तब हैं, जब पश्चिम-मध्य रेलवे महाप्रबंधक शोभना उपाध्याय ने पिछले दिनों की संरक्षा पर विशेष जोर दिया है। इसके अलावा डीआरएम मनीष तिवारी ने भी कई स्टेशनों पर संरक्षा की जांच कर विशेष निर्देश दिए हैं। लेकिन जिम्मेदारों पर कार्यवाही नहीं होने से अधिकारियों की संरक्षा पर बात औपचारिकता से ज्यादा कुछ नजर नहीं आती
कमचारियों ने बताया कि घटना के समय सुपरवाइजर भी मौके पर मौजूद थे। काम के दौरान सुरक्षा नियमों का ध्यान नहीं रखा गया। रब्बानी के पास सुरक्षा उपकरण भी नहीं थे। पास की लाइन में करंट का ध्यान नहीं रखा गया। इसके अलावा अर्थ देने के लिए जरुरी डिस्चार्ज रोड के भी नहीं लगी थी। इतनी लापरवाही के बाद भी जिम्मेदारों का पता नहीं लगाने से प्रशासन की नियत पर सवाल खड़े हो रहे हैं। कार्यवाही नहीं से कर्मचारी जिम्मेदारों को बचाव के रुप में देख रहे हैं।