Indian Railways: 8 साल बाद भी उद्योगों को तरसा रामगंजमंडी का मसाला पार्क
Indian Railways: 8 साल बाद भी उद्योगों को तरसा रामगंजमंडी का मसाला पार्क

Indian Railways: 8 साल बाद भी उद्योगों को तरसा रामगंजमंडी का मसाला पार्क

Indian Railways: 8 साल बाद भी उद्योगों को तरसा रामगंजमंडी का मसाला पार्क

Rail News: कोटा। रामगंजमंडी स्थित निमाना में बने स्पाइस पार्क (मसाला पार्क) में 8 साल भी उद्योग नहीं लगे हैं। इसके चलते पार्क तैयार होने में लगे केंद्र सरकार के करोड़ों रुपए का लाभ नहीं मिल रहा है। सरकार ने करीब 16 करोड़ रुपए की लागत से यहां 2019 प्रदेश का दूसरा एवं देश का आठवां स्पाइस पार्क बनाया था।
पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) के आधार पर केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की पहल पर स्पाइसेस बोर्ड ने इस पार्क का निर्माण किया था। इस पार्क बनाने का मुख्य उद्देश्य हाड़ौती के धनिए सहित अन्य मसालों बढ़ावा देना था। लेकिन पिछले 8 सालों में यहां सिर्फ 2 मसाला कंपनियों ने ही काम शुरु किया है। यह कंपनियों द्वारा यहां धनिए की ग्राइडिंग, क्लीनिंग और पैकिंग का कार्य किया जा रहा है। जब कि यहां पर रामगंजमंडी के अलावा कोटा, जयपुर, जोधपुर, दिल्ली, नोएडा, गुना तथा तमिलनाडु आदि जगह की 18 कंपनियों को भूखंड आवंटित किए गए थे। इन कंपनियों को करीब 200 करोड़ रुपए लगाकर उद्योग स्थापित करने थे। इन उद्योगों से सैंकड़ों लोगों को रोजगार भी मिलता।
टैक्स ज्यादा होने से नहीं लगे उद्योग
ममाले में व्यापारियों का कहना है कि पड़ोसी राज्य गुजरात और मध्यप्रदेश की अपेक्षा राजस्थान में मंडी टैक्स अधिक होने से व्यापारी यहां उद्योग लगाने में रुचि नहीं ले रहे हैं।
मध्यप्रदेश में मंडी टैक्स व कृषि कल्याण सेस 1.70 प्रतिशत और गुजरात में एक प्रतिशत से भी कम है। जबकि राजस्थान में यह 1.60 प्रतिशत मंडी टैक्स और 0.50 प्रतिशत कृषि कल्याण सेस है। इस तरह राजस्थान में व्यापारियों को कुल 2.10 प्रतिशत मंडी टैक्स देना होता है।
यहां भी हैं मसाला पार्क
रामगंजमंडी के अलावा यह मसाला पार्क कोटा, जोधपुर, रायबरेली, तमिलनाडु, आंध्रप्रदेशए केरल, मध्यप्रदेश के छिंडवाड़ा तथा गुना में भी है।
रामगंजमंडी में इस पार्क की घोषणा तत्कालीन केन्द्रीय उद्योग मंत्री आनंद शर्मा ने की थी। साथ ही बजट भी उपलब्ध करवाया था। इसके बाद तत्कालिन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 2010 में इस पार्क का शिलान्यास किया था। अठारह कंपनियों के लिए स्पाइस पार्क प्रशासन की तरफ से गोदाम, प्रोसेसिंग यूनिट व कार्यालय संचालन के लिए भवन और ऑफिस आदि बनाए थे। 12 हैक्टैयर क्षेत्र में फेले करीब 15 करोड़ रुपए खर्च के बाद यह पार्क मार्च-2017 में यह बनकर तैयार हुआ था।
मसाला बोर्ड द्वारा नियमानुसार पार्क में संचालित होने वाली यूनिट के लिए 30 साल का लीज एग्रीमेंट किया जाता है। निर्यातक कंपनी के नाम की भूखंड रजिस्ट्री करवाई जाती है।