दलाल बना रहे तत्काल के टिकट, कार्रवाई की जगह यात्रियों को ही दोषी ठहरा रही रेलवे

दलाल बना रहे तत्काल के टिकट, कार्रवाई की जगह यात्रियों को ही दोषी ठहरा रही रेलवे
कोटा रेल मंडल में तत्काल के टिकट दलालों द्वारा बनाए जा रहे हैं। मामले में खास बात यह कार्रवाई की जगह रेलवे यात्रियों को ही इसके लिए दोषी ठहरा रही है। ऐसा ही एक मामला मंगलवार को श्री महावीरजी स्टेशन पर सामने आया है।
यात्री विक्की बंसल ने बताया कि उसे आगरा से केरला स्थित इरोड के लिए 8 यात्रियों के तत्काल के टिकट लेने थे। इसके लिए वह 4 दिन से लगातार कोशिश कर रहा था। पहले नंबर पर घंटों लाइन में खड़े रहने के बाद उसके टिकट नहीं बन रहे थे। टिकट नहीं मिलने से वह काफी परेशान हो गया था।
इसके बाद किसी ने उसे रेलवे आरक्षण केंद्र के सामने बने ई- मित्र केंद्र पर जाने की सलाह दी। इसके बाद उसने ई-मित्र केंद्र वाले को अपनी समस्या बताई। इस पर ई-मित्र केंद्र वालों ने उससे एक यात्री पर 600 रुपए की दलाली मांगी। विक्की ने बताया कि जबकि एक टिकट का मूल्य 950 रुपए था।
विक्की ने बताया कि उसके राजी होने पर ई-मित्र वाले ने उससे चार टिकटों के कुल 6200 रुपए ले लिए। जब कि चार टिकटों का कुल मुल्य 4180 हो रहा था।
40 सेकंड में बने टिकट
विक्की ने बताया कि इसके बाद ई-मित्र केंद्र वाले ने पैसे और आरक्षण फार्म अंदर जाकर बुकिंग बाबू को दे दिए। पैसे और फार्म मिलते ही बाबू ने आरक्षण की तैयारी कर ली। सुबह 11 बजे तत्काल का समय शुरू होते ही बाबू ने 40 सेकंड में उसे टिकट थमा दिए।
पहले बनते हैं दलालों के टिकट
विक्की ने बताया कि दलाल के जरिए उसे 40 सेकंड में कंफर्म टिकट मिल गए। जबकि इससे पहले लगातार चार दिनों तक घंटों धक्के खाने के बाद उसे टिकट नहीं मिल रहे थे। विक्की ने बताया कि बाबू सबसे पहले दलालों के टिकट बनाता है। इसके बाद अन्य जात्रियों का नंबर आता आता है। लेकिन तब तक तत्काल का कोटा खत्म हो जाता है।
क्यों गए दलाल के पास
विक्की ने बताया कि इसके बाद उसने मामले की शिकायत तुरंत रेलवे कोटा रेल मंडल अधिकारियों को कर दी। लेकिन कार्रवाई की जगह रेलवे ने दलालों के पास जाने के लिए उसे ही जिम्मेदार ठहरा दिया।
विक्की ने बताया कि कोटा सीएमआई कंप्लेन ऑफिस से उसके पास एक फोन आया। इसमें उससे पूछा गया की आप दलाल के पास क्यों गए। कार्रवाई की जगह उसे नसीहत दी गई कि उन्हें दलाल के पास नहीं जाना था। विक्की ने बताया उसे कि वह मजबूरी में दलाल के पास गया था। जब घंटों लाइन में लगने के बाद भी उनका टिकट नहीं बन रहा था। बाबू सबसे पहले दलालों के ही टिकट बना रहा था। इससे उसका नंबर नहीं आ रहा था।