रेलवे माल गोदाम में बड़ा घोटाला, अधिक भाड़े का माल भेजा जा रहा कम किराया में, रेलवे को लगी करोड़ों की चपत

रेलवे माल गोदाम में बड़ा घोटाला, अधिक भाड़े का माल भेजा जा रहा कम किराया में, रेलवे को लगी करोड़ों की चपत
कोटा।  कोटा रेलवे माल गोदाम में बड़ा घोटाला सामने आया है। यहां अधिक भाड़े के माल को कम किराए में भेजा जा रहा है। इससे रेलवे को अब तक करोड़ों रुपए की चपत लग चुकी है।
सूत्रों ने बताया कि शुक्रवार को ही ऐसा एक मामला सामने आया है। व्यापारी द्वारा कोटा से गुवाहाटी स्थित चानसारी (सीजीएस) स्टेशन के लिए 20 डिब्बों की एक मालगाड़ी बुक कराई थी। बुकिंग के समय व्यापारी ने रेलवे को नॉन रिफाइंड ऑयल, ग्रेसरी तथा केमिकल पाउडर आदि सामान लोड करने की जानकारी दी थी। 7 जुलाई को की गई इस मांग में व्यापारी ने कोटा स्टोन का कहीं जिक्र नहीं किया था। लेकिन इसके बाद भी व्यापारी ने 9 जुलाई को मालगाड़ी में कोटा स्टोन का लदान कर दिया दिया। लोड होकर मालगाड़ी शुक्रवार रात ही गुवाहाटी के लिए रवाना हो गई। रवाना होने के बाद भी व्यापारी ने रेलवे को मालगाड़ी में कोटा स्टोन भरने की जानकारी नहीं दी। व्यापारी ने रेलवे को एलम पाउडर, ऑयल तथा ग्रेसरी आदि सामान लोड करने की जानकारी दी। इसके बाद रेलवे ने व्यापारी को माल भाड़े का करीब 21 लाख 37 हजार का बिल पकड़ा दिया।
सूत्रों ने बताया कि अगर इसमें कोटा स्टोन का किराया जोड़ा जाता तो यह बिल कई लाख रुपए और बढ़ जाता।
और आइटमों में भी होता है ऐसा
सूत्रों ने बताया कि कोटा स्टोन के अलावा व्यापारी अन्य कई आइटमों में भी ऐसा ही करते हैं। व्यापारी द्वारा कई बार चूना भेजा जाता है। लेकिन इसे पाउडर दर्शाया जाता है। चूने और पाउडर की किराया दर में बड़ा अंतर होने के कारण व्यापारियों द्वारा ऐसा किया जाता है। पाउडर बताने पर व्यापारियों को कम किराया देना होता है। इससे भी रेलवे को लाखों रुपए का घाटा होता है।
हर माल का अलग किराया
सूत्रों ने बताया कि रेलवे ने अलग- अलग माल का किराया अलग-अलग निर्धारित कर रखा है। रेलवे ने किराए को विभिन्न श्रेणियों में बांट रखा है। अधिक श्रेणी में शामिल माल का किराया रेलवे ने ज्यादा रखा है। जबकि कम श्रेणी में शामिल माल का किराया कम रखा है। कोटा स्टोन को रेलवे ने 150 की श्रेणी में रखा है।
जबकि व्यापारी ने कोटा स्टोन को एलआर-3 श्रेणी में दर्शाया। इससे व्यापारी का किराया किराया कम लगा।
ऑनलाइन के बाद भी नहीं रुकी गड़बडी
सूत्रों ने बताया कि यह गड़बड़ी पिछले कई से लगातार चल रही है। इस गड़बड़ी को रोकने के लिए रेलवे ने करीब साल भर पहले माल बुकिंग की प्रक्रिया को ऑनलाइन किया था। इसके तहत व्यापारी को मैनुअल की जगह मालगाड़ी की मांग कर लोड करने वाले सामान की जानकारी ऑनलाइन ही देनी होती है। बाद में व्यापारी द्वारा इसमें बदलाव नहीं किया जा सकता। लेकिन एक साल बाद भी कोटा में यह काम मैनुअल हो रहा है। रेलवे बोर्ड के मना करने के बाद भी कुछ व्यापारी ऑनलाइन की जगह मैनुअल ही माल बुक करा रहे हैं।
अधिकारियों को है जानकारी
सूत्रों ने बताया कि इस पूरे मामले की जानकारी अधिकारियों को भी है। क्योंकि बिना अधिकारियों के आदेश के व्यापारी मैनुअल मांग नहीं करा सकते।
मांग आने पर कर्मचारियों को मैनुअल बुक की जानकारी अधिकारियों को देनी होती है। अधिकारियों की इजाजत मिलने के बाद कर्मचारी व्यापारियों से मैनुअल बुकिंग लेते हैं। गाड़ी में माल लदान के समय भी वाणिज्य विभाग के कर्मचारी मौजूद रहते हैं। लेकिन इसके बाद भी यह धंधा आराम से चल रहा है।
अधिकारियों ने नहीं दिया जवाब
इस पूरे मामले को लेकर वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक अजय कुमार पाल से स्पष्टीकरण मांगा गया। लेकिन अजय कुमार पाल ने फोन उठाना जरूरी नहीं समझा।