जांच में दोषी पाए गए राजधानी ड्राइवर, आगरा मंडल ने की कार्रवाई की अनुशंसा, ट्रेन को 30 की जगह 130 से दौड़ाने का मामला

जांच में दोषी पाए गए राजधानी ड्राइवर, आगरा मंडल ने की कार्रवाई की अनुशंसा, ट्रेन को 30 की जगह 130 से दौड़ाने का मामला
कोटा।  राजधानी ट्रेन को 30 की जगह 130 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ने के मामले में आगरा रेल मंडल मैं सोमवार को चालकों और मुख्य लोको निरीक्षक के बयान हुए। मामले की जांच के बाद आगरा रेल मंडल ने चालक राकेश भार्गव और शशि पाल को दोषी माना है। आगरा मंडल ने पत्र लिखकर कोटा अधिकारियों से चालकों के खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा की है।
अपनी जांच रिपोर्ट में आगरा मंडल के अधिकारियों ने बताया कि चालकों ने ट्रेन को 30 की जगह 83 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ाया। यह बात विभिन्न उपकरणों की जांच के बाद साबित हुई है। उल्लेखनीय है कि यह जानकारी इसी कॉलम में सोमवार को ही उजागर कर दी थी। इसमें घटना के समय ट्रेन की रफ्तार 85 किलोमीटर प्रति घंटा बताई गई थी। मामूली अंतर के साथ यह बात सही साबित हुई।
देरी से कंट्रोल हुई ट्रेन
अपने बयान में दोनों चालको ने बताया कि वह सतर्कता आदेशों का बराबर पालन करते आ रहे थे। लेकिन होडल में गाड़ी कंट्रोल करने में थोड़ा समय लग गया। इसके चलते ट्रेन मौके से 50-60 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से निकल गई। इसके बाद ट्रेन को रोक लिया गया था।
वही मुख्य लोको निरीक्षक योगेंद्र कुमार शर्मा ने अपने बयान में बताया कि वह फुट प्लेटिंग पर ड्यूटी पर थे। चालको को होडल स्टेशन पर सतर्कता आदेश की पालना के निर्देश देकर वह निरीक्षण के लिए पीछे के कैब में चले गए थे। होडल यार्ड में उसे ट्रेन की रफ्तार निर्धारित से कुइ ज्यादा लगी। इस पर वह वापस आगे आए। उसे ट्रेन 50-60 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ती मिली। इसके कुछ देर बाद इमरजेंसी ब्रेक लगाकर ट्रेन को रोक लिया गया।
बचे लोको निरीक्षक
हालांकि आगरा मंडल द्वारा योगेंद्र के खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा नहीं की है। ऐसे में योगेंद्र फिलहाल बचे हुए हैं। ऐसे में अब कोटा मंडल अधिकारियों द्वारा ही इस पर कुछ निर्णय लिए जाने की संभावना है। अधिकारियों ने बताया कि ड्यूटी पर रहने के दौरान चालको से अधिक जिम्मेदारी लोको निरीक्षक की होती है।
गार्ड की भूमिका की भी होगी जांच
मामले में ट्रेन में मौजूद गार्ड दौलत राम गुर्जर की भूमिका की भी जांच होगी। बयान के लिए दौलत राम को मंगलवार को आगरा बुलाया गया है। अधिकारियों ने बताया कि सतर्कता आदेश की एक कॉपी गार्ड को भी दी जाती है। गार्ड की जिम्मेदारी होती है सतर्कता आदेश के संबंध में चालकों को सचेत करता रहे। कुछ गड़बड़ी होने पर गार्ड के पास भी ब्रेक लगाने का विकल्प रहता है। इस मामले में दौलत राम ने अपनी कितनी जिम्मेदारी निभाई इसकी जांच की जा रही है।
दूसरे दिन भी मचा रहा हड़कंप
मामले को लेकर दूसरे दिन सोमवार को भी हड़कंप मचा रहा। दिल्ली और आगरा आदि रेल मंडलों में भी यह खबर प्रमुखता से प्रकाशित होने से मामला उच्च स्तर पर हाईलाइट हो गया। दूसरे मंडलों से कर्मचारी कोटा फोन करके मामले की जानकारी ले रहे हैं। अधिकारियों ने बताया कि मामले की गंभीरता को देखते हुए दोषियों पर कडी कार्रवाई का निर्णय लिया जा सकता है।
यह है मामला
उल्लेखनीय है कि शनिवार को मथुरा-निजामुद्दीन के बीच स्थित होडल स्टेशन पर रेल पटरियों के रखरखाव का काम चल रहा था। इसके चलते यहां ट्रेनों की गति पर प्रतिबंध लगाया हुआ था। ट्रेनों को 30 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलाने के आदेश थे।
इसके बावजूद त्रिवेंद्रम- निजामुद्दीन राजधानी एक्सप्रेस (02431) के चालक राकेश और शशि तथा लोको निरीक्षक योगेंद्र ट्रेन को 30 की जगह 130 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ाते ले गए। इस घटना से राजधानी ट्रेन दुर्घटनाग्रस्त होने से बाल-बाल बची थी।
मामला सामने आने के बाद कोटा और आगरा रेल मंडल में हड़कंप मच गया था। आगरा रेल मंडल द्वारा मामले की जांच के आदेश दिए गए थे।
इस घटना के बाद इंजन से फ्लॉपी भी गायब मिली थी। उल्लेखनीय है कि फ्लॉपी में ट्रेन की रफ्तार रिकॉर्ड होती है। हालांकि इंजन में लगी एक चिप में भी ट्रेन की रफ्तार रिकॉर्ड होती है।
इसके अलावा मथुरा-निजामुद्दीन के बीच डाटा लोगर आदि उपकरण भी लगे हुए हैं। इसमें भी ट्रेन की रफ्तार रिकॉर्ड होती है।