रेलवे बोर्ड विजिलेंस ने की कोटा में कार्रवाई, जनशताब्दी में रोज 108 सीटें बिकने का मामला

रेलवे बोर्ड विजिलेंस ने की कोटा में कार्रवाई, जनशताब्दी में रोज 108 सीटें बिकने का मामला
कोटा। न्यूज़. कोटा-निजामुद्दीन जनशताब्दी स्पेशल ट्रेन (02059-60) में रोजाना 108 सीटें बिकने के मामले की जांच रेलवे बोर्ड विजिलेंस द्वारा शुरू की गई है। जांच के लिए 4 सदस्यीय टीम गुरुवार को कोटा पहुंची। टीम ने यहां पर प्रधान टिकट संग्राहक, मुख्य टिकट पर्यवेक्षक तथा आरक्षण कार्यालय में घंटों तक जांच-पडताल की। जांच के दौरान टीम ने आरक्षण चार्ट सहित विभिन्न रजिस्टर और जरूरी कागजातों को खंगाला। टीम ने जनशताब्दी में लगने वाले टीटीइओं की ड्यूटी रजिस्टर को भी देखा। विजिलेंस ने पिछले करीब 6 महीने से जनशताब्दी में ड्यूटी कर रहे टीटीइओं का रिकॉर्ड भी मांगा है। जांच के दौरान टीम जनशताब्दी में रोजाना खाली जा रही 108 सीटों की गड़बड़ी के जिम्मेदारों की तलाश करती नजर आई। विजिलेंस की यह कार्रवाई कर्मचारियों के बीच दिनभर चर्चा का विषय बनी रही।
यह है मामला
उल्लेखनीय है कि जनशताब्दी ट्रेन में करीब 6 महीने पहले 4 नए कोच जोड़े गए थे। इन कोचों में 102 की जगह 120 सीटें हैं। एक कोच में 18 के हिसाब से चारों कोचों में कुल 54 सीटें ज्यादा हैं। ट्रेन के आने-जाने में यह 108 सीटें होती हैं। यह 108 सीटें कंप्यूटर में फीड नहीं हैं। इसके चलते इन सीटों पर आरक्षण नहीं हो पाता है। चाहे ट्रेन में कितनी भी वेटिंग हो यह 108 सीटें कभी नहीं भरती।
जिम्मेदार उठा रहे फायदा
सूत्रों ने बताया कि जिम्मेदारों द्वारा लगातार इस बात का फायदा उठाया जा रहा है। दलालों के माध्यम से यह सीटें रोजाना बेची जा रही हैं। पिछले दिनों रेलवे बोर्ड की विजिलेंस ने दो बार कार्रवाई कर जनशताब्दी ट्रेन में बिना टिकट कई यात्रियों को पकड़ा भी था। निर्धारित से ज्यादा पैसे मिलने पर पर विजिलेंस ने टीटीइयों पर भी मामला दर्ज किया था। इसके बाद रेलवे मजिस्ट्रेट ने भी जनशताब्दी ट्रेन से ही बिना टिकट कई यात्रियों को मथुरा में उतारा था। साथ हु टीटीई की शिकायत अधिकारियों से की थी।
चुनिंदा टीटीइयों की लगती है ड्यूटी
यह खेल लगातार चलता रहे इसके चलते कुछ चुनिंदा टीटीइओं की ड्यूटी लगातार इसी ट्रेन में लगाई जाती है। बिना टिकट सफर करने वालों में मुख्यतः आए दिन दिल्ली आने-जाने वाले व्यापारी और अन्य लोग शामिल हैं। आपसी मिलीभगत से यह खेल आसानी से चल रहा है। इससे रेलवे को पिछले 6 महीने में लाखों रुपए का चूना लग चुका है।
खुलासे के बाद भी नहीं हुई कार्रवाई
पिछले दिनों मामला सामने आने के बाद इस बात का खुलासा हुआ था। तब रेलवे में काफी हड़कंप मचा था। मामला ऊपर तक पहुंच गया था। लेकिन इसके बाद भी इन सीटों को बेचे जाने से रोकने के कोई ठोस उपायों की जानकारी अभी तक सामने नहीं आई है। अपने आप को बचाते हुए स्थानीय प्रशासन ने मामले के लिए रेलवे सूचना प्रणाली केंद्र (क्रिश) को दोषी ठहराया है। इसके लिए अधिकारियों ने क्रिश को चिट्ठी लिखकर अपनी जिम्मेदारी भी पूरी कर ली।