गुडला स्टेशन पर कबूतरों की बीट का पानी पी रहे यात्री, डीआरएम के निरीक्षण के 2 महीने बाद भी नहीं सुधरी व्यवस्था

गुडला स्टेशन पर कबूतरों की बीट का पानी पी रहे यात्री, डीआरएम के निरीक्षण के 2 महीने बाद भी नहीं सुधरी व्यवस्था
कोटा।  राजस्थान में बर्ड फ्लू के खतरों के बीच गुडला स्टेशन पर यात्री कबूतरों की बीट का पानी पीने को मजबूर हैं। मंडल रेल प्रबंधक (डीआरएम) पंकज शर्मा के निरीक्षण के 2 महीने बाद भी यहां व्यवस्था में सुधार नहीं हुआ है।
कर्मचारियों ने बताया कि स्टेशन पर पानी की टंकी बनी हुई है। यह टंकी पहले लोहे की चद्दरों से ढकी हुई थी। करीब पांच महीने पहले आए आंधी-तूफान में टंकी की चद्दरें उड़ गई थीं। इसके बाद रेलवे ने टंकी को दोबारा ढकना जरूरी नहीं समझा। सितंबर में डीआरएम के निरीक्षण से पहले टंकी को आनन-फानन में प्लास्टिक के जाल से ढक दिया गया। लेकिन इसके बाद भी टंकी कई जगह से खुली हुई है। इसके चलते बड़ी मात्रा में कबूतर टंकी के अंदर घुस जाते हैं। इन कबूतरों ने टंकी को अपना बसेरा बना रखा है। कबूतर इसी टंकी के पानी में बीट भी करते रहते हैं। टंकी का यह पानी स्टेशन पर यात्रियों, स्टाफ और रेलवे कॉलोनी में भी सप्लाई होता है।
डीआरएम के निरीक्षण के दौरान इस टंकी पर दुबारा से लोहे की चद्दर लगाने की बात सामने आई थी। लेकिन दो महीने बाद भी इस समस्या का समाधान नहीं हुआ है।
शौचालय में नहीं आ रहा पानी
कर्मचारियों ने बताया कि रेलवे स्टेशन पर बने शौचालय में पिछले कई दिनों से पानी नहीं आ रहा है। इसके चलते रेल यात्री और स्टेशन स्टॉफ शौचालय का उपयोग नहीं कर पा रहे हैं। शौचालय काम नहीं आने के कारण स्टेशन मास्टर और स्टाफ को दूर जाना पड़ रहा है।
कर्मचारियों ने बताया कि गुडला स्टेशन पर कोटा की ओर का यार्ड अंधेरे में डूबा रहता है। साथ ही यहां पर पाथवे भी नहीं है। इसके चलते कर्मचारियों को यहां भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। पटरियों के बीच जगह जगह रेल लाइनें और स्लीपर पड़े हुए हैं। इसके चलते कर्मचारियों को गाड़-ड्राइवरों के लाइन बॉक्स ले जाने में भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। हर समय गिरने का डर बना रहता है। कई बार शिकायत के बाद भी यहां पर लाइन बॉक्स लाने और ले जाने के लिए यहां पाथवे नहीं बनाया गया है और न ही यहां पर रोशनी की व्यवस्था की गई है।