रामगंजमंडी-भोपाल लाइन को मिले 500 करोड़, कोटा-बीना दोहरीकरण को 190 तथा वर्कशॉप को आवंटित हुए 5.74 करोड़, ग्वालियर-श्योपुर आमान परिवर्तन के लिए 700 करोड़
कोटा। न्यूज़. आगामी कितने वर्ष के बजट में रामगंजमंडी-भोपाल रेल परियोजनाओं को इस बार 500, कोटा-बीना दोहरीकरण को 190
तथा माल डिब्बा मरम्मत कारखाना (वर्कशॉप) को 5.74 करोड़ रुपए मिले हैं। जबकि इसके अलावा ग्वालियर-श्योपुर आमान परिवर्तन के लिए 700 करोड़ रुपए मिले हैं। यह काम पूरा होने के बाद कोटा से ग्वालियर कम समय में पहुंचा जा सकेगा।
जबकि गत वर्ष रामगंजमंडी-भाेपाल 70 कराेड़ तथा वर्कशाॅप 2.10 कराेड़ रुपए ही मिले थे।
हालांकि बाद में रामगंजमंडी-भोपाल का बजट 350 करोड़ रुपए कर दिया गया था। इसी तरह वर्कशॉप को भी 11 करोड़ रुपए अतिरिक्त मिले थे।
50 साल और लगेंगे लगेंगे रामगंजमंडी-भोपाल परियोजना को
कामकाज की यदि यही रफ्तार रही रामगंजमंडी-भोपाल परियोजना पूरी होने में अभी करीब 50 साल और लगेंगे। जबकि पिछले 20 साल से यह काम चल रहा है।
272 किलोमीटर की इस परियोजना में अब तक रामगंजमंडी से जूनाखेड़ा तक कुल 47 किलोमीटर का ही काम ही हुआ है। इसमें से भी ट्रेन अभी झालावाड़ 26 किलोमीटर तक की चली है। जबकि झालरापाटन तक 2 साल पहले और जूना खेड़ा तक नवंबर 2020 में काम पूरा हो चुका है। मुख्य संरक्षा आयुक्त द्वारा इस रूट पर 90 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से ट्रेन चलाने की अनुमति भी दी जा चुकी है। इस साल इकलेरा तक काम पूरा होने की उम्मीद है। इसके बाद ब्यावर तक काम शुरू किया जाएगा। अभी यहां अर्थ वर्क किया जा रहा है। कोटा मंडल को यहीं तक 165 किलोमीटर तक काम करना है। इसके आगे का काम भोपाल रेल मंडल द्वारा किया जाएगा।
कोटा यार्ड में खर्च होंगे एक करोड़
इसके अलावा इस बजट में कोटा रीमॉडलिंग पैसेंजर यार्ड विद रूट रिले इंटरलॉकिंग काम पर एक करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। साथ ही गंगापुर मथुरा 90 किलोमीटर में स्थाई प्रतिबंध हटाने पर 2.50 करोड़, कोटा-मथुरा के बीच स्थित क्रासिंग गेटों के इंटरलॉकिंग काम पर 7 करोड़, कोटा-चित्तौड़गढ़ क्रॉसिंग गेटों पर सेमाफोर की जगह रंगीन प्रकाश सिग्नल व्यवस्था पर एक करोड़, कोटा डाटा लोगर अर्थ वर्किंग डिटेक्टर का प्रावधान और इंटरलॉक काम पर एक करोड़ तथा इसके अलावा मंडल के कई स्टेशनों पर अंडर ब्रिज और ओवर ब्रिज के काम पर करोड़ों रुपए खर्च किए जाएंगे।