वाणिज्य विभाग ने एक दिन बाद ही बदला अपना निर्णय, जनशताब्दी में मलाई खाने का मामला

वाणिज्य विभाग ने एक दिन बाद ही बदला अपना निर्णय, जनशताब्दी में मलाई खाने का मामला
कोटा। न्यूज़. कोटा-निजामुद्दीन जनशताब्दी ट्रेन के कुछ आवंटन मामले में वाणिज्य विभाग ने एक दिन बाद ही अपना आदेश बदल दिया है। इस आदेश के बाद अब गंगापुर वालो को ही जनशताब्दी में मलाई खाने का मौका मिल सकेगा। अवसर हाथ से निकलने पर कोटा वाले फिर खफा हो गए।
टीटीई स्टाफ ने बताया कि वाणिज्य विभाग द्वारा करीब 3 महीने पहले जनशताब्दी ट्रेन के कुछ कोचों की जांच का काम गंगापुर वालों को सौंपा था। कोटा वालों द्वारा इसका लगातार विरोध किया जा रहा था। इसके चलते बुधवार को वाणिज्य विभाग ने जनशताब्दी जांच की जिम्मेदारी फिर से कोटा के टीटीइयों को सौंप दी।
एक दिन बाद ही बदला निर्णय
कोटा वालों को जिम्मेदारी सौंपे जाने से गंगापुर वाले नाराज हो गए। गुरुवार को वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक अजय पाल डीआरएम के साथ निरीक्षण करने गंगापुर स्टेशन पहुंचे थे। यहां पर टीटीइयों ने अपना विरोध दर्ज कराते हुए पाल से जनशताब्दी का काम फिर गंगापुर वालों को देने की मांग की। टीटीइयों के आगे झुकते हुए पाल ने एक दिन बाद ही गंगापुर के पक्ष में आदेश जारी कर दिए। इस आदेश से कोटा वाले फिर से नाराज हो गए। अब फिर से पहले वाली कहानी दोहराई जा सकती है।
वाणिज्य विभाग नहीं ले पा रहा निर्णय
इस मामले में वाणिज्य विभाग अपने ही आदेशों को लेकर खुद कंफ्यूज हो रहा है। कर्मचारियों के दबाव में काम करते हुए एक निर्णय पर अडिग नहीं रह पा रहा है। बार-बार निर्णय बदले जाने से यह साबित भी हो रहा है।
मलाई का खेल
सूत्रों ने बताया कि इस पूरे मामले में काम से ज्यादा मलाई का खेल नजर आ रहा है। जनशताब्दी ट्रेन में डी-10 से लेकर 17 नंबर कोच में कुछ सीटें अक्सर खाली रहती हैं। जिम्मेदारों को इन खाली सीटों पर आसानी से मलाई खाने को मिल जाती है। इसके चलते इन कोचों में काम के लिए गंगापुर और कोटा स्टाफ लालायित रहता है। जबकि सीटें भरी रहने के कारण अन्य कोचों में कोइ काम नहीं करना चाहता।
6 महीने तक पहले भी चाट चुके हैं मलाई
उल्लेखनीय है कि जनशताब्दी ट्रेन में पहले भी 6 महीने तक लगातार मलाई चाटी जा चुकी है। इस ट्रेन में लगातार छह महीने तक 108 सीटें रोजाना खाली चली थी। जानकारी में आने के बावजूद भी इन सीटों पर आरक्षण की कोई व्यवस्था नहीं की गई। बाद में इसी कॉलम में मामले के खुलासे के बाद मलाई चाटना बंद हुआ था।