Indian Railways : यूआईटी ने जारी की रेलवे भूमि पर अतिक्रमियों की पुनर्वास की फर्जी लिस्ट,

Indian Railways : यूआईटी ने जारी की रेलवे भूमि पर अतिक्रमियों की पुनर्वास की फर्जी लिस्ट
यूआईटी ने जारी की रेलवे भूमि पर अतिक्रमियों की पुनर्वास की फर्जी लिस्ट, सूची में निगम और रेलवे कर्मचारी तक शामिल, रजिस्ट्रीशुदा मकान मालिक भी लाभान्वित
कोटा। न्यूज़. नगर विकास न्यास (यूआईटी) ने रेलवे भूमि पर अतिक्रमण करने वालों की पुनर्वास लिस्ट जारी की है। इस लिस्ट में भारी फर्जीवाड़ा सामने आया है। लिस्ट में यूआईटी ने रेलवे और निगम कर्मचारी सहित रजिस्ट्रीशुदा मकान मालिक तक का पुनर्वास कर दिया। जिला प्रशासन द्वारा मामले को दिखवाने की बात कही जा रही है।
उल्लेखनीय है कि कई वर्षों से लोग तुल्लापुरा नहर के पास रेलवे भूमि पर अतिक्रमण कर रह रहे थे। धीरे-धीरे इन लोगों ने यहां हरिजन और उड़िया बस्ती तक बसा ली। कई लोगों ने पक्के मकान तक बना लिए। बाद में चेतावनी के बाद भी नहीं हटने पर रेलवे ने अतिक्रमियों पर अदालत में केस कर दिया। वर्षों तक चले मामले के बाद अतिक्रमी कोर्ट में रेलवे से केस हार गए। इसके बाद रेलवे ने अतिक्रमियों पर बस्ती खाली करने का दबाव बनाना शुरू कर दिया।
पुनर्वास का लिया निर्णय
इसके बाद अतिक्रमियों की मांग पर जनप्रतिनिधियों ने सरकार से बस्ती वालों के पुनर्वास की मांग की।
जनप्रतिनिधियों की मांग पर पिछली बीजेपी सरकार ने इनके पुनर्वास का प्रयास किया। लेकिन किसी कारणवश यह काम सफल नहीं हो सका। इसके बाद अब कांग्रेस द्वारा यह काम किया जा रहा है।
सरकारी कर्मचारी तक का किया पुनर्वास
सरकार की मंशा के अनुसार यूआईटी ने तीन-चार दिन पहले ही हरिजन और उड़िया बस्ती के लोगों की पुनर्वास लिस्ट जारी की है।
इस लिस्ट में भारी गड़बड़ी और अनियमितता सामने आई है। इस लिस्ट में यूआईटी ने सरकारी कर्मचारियों तक का पुनर्वास कर दिया। लिस्ट में 11 निगम तथा 10 रेलवे कर्मचारियों के नाम तक शामिल हैं। इसके अलावा लिस्ट में दो रेलवे सेवानिवृत्त कर्मचारी भी हैं। इसके अलावा रेलवे आवास में रहने वाले एक कर्मचारी का भी यूआईटी ने पुनर्वास कर दिया।
इसके अलावा लिस्ट में 4 लोग ऐसे भी हैं जिनके तुल्लापुरा आदि जगहों पर पक्के मकान भी हैं। इन मकानों की रजिस्ट्रियां तक हो रही हैं। इसके बावजूद भी इन लोगों का पुनर्वास कर दिया गया।
पूरे परिवार का अलग-अलग पुनर्वास
इसके अलावा लिस्ट में 6 जनों का एक परिवार ऐसा भी शामिल है जिसका यूआईटी ने सभी का अलग-अलग पुनर्वास कर दिया। इस लिस्ट में 16 नाम ऐसे भी है जो बस्ती में रहते ही नहीं हैं।
इसके अलावा लिस्ट में दो ऐसे लोग भी शामिल हैं जो कोटा जिले के ही नहीं हैं। इनमें से एक बारां और दूसरा इंदौर का रहने वाला है। लिस्ट में एक नाम ऐसा भी शामिल है जो एक साल पहले ही बस्ती में रहने का रहने आया है।
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रेलवे टीटीई का भी किया पुनर्वास
लिस्ट में यूआईटी ने एक रेलवे टीटीई तक का पुनर्वास कर दिया। खास बात यह है कि यह टीटीई इस बस्ती में रहता ही नहीं है। इस बस्ती में टीटीई की मां रहती है। यूआईटी ने टीटीई के साथ मां का भी अलग से पुनर्वास कर दिया। इसके अलावा इस लिस्ट में यूआईटी ने पति-पत्नी तक का अलग-अलग पुनर्वास कर दिया।
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अतिक्रमियों को रेलवे दे रही मकान किराया
मामले में एक खास बात यह भी सामने आई कि रेलवे भूमि पर ही अतिक्रमण कर रहे रेल कर्मचारियों को रेलवे द्वारा मकान किराया भत्ता भी दिया जा रहा है। ऐसे में बरसों से इन बस्ती में रहे कर्मचारी रेलवे से लाखों रुपए का मकान किराया भत्ता उठा चुके हैं।
वोटर लिस्ट में दो जगह नाम
इस लिस्ट में कई ऐसे लोग भी शामिल हैं, जिनका दो जगह वोटर लिस्ट में नाम है। एक परिवार का रेलवे कॉलोनी और हरिजन बस्ती वोटर लिस्ट में नाम शामिल है। नगर निगम और यूआईटी द्वारा इन बस्ती वालों को बिजली, सड़क और पानी की सुविधा उपलब्ध करवा रखी है। लिस्ट में दो ऐसे लोग भी शामिल है जिनका यूआईटी द्वारा दो बार पुनर्वास किया जा चुका है। इन लोगों का पहले बोंबे योजना और शहीद अजय आहूजा नगर में पुनर्वास किया गया था। वहां का भूखंड बेचकर यह लोग दुबारा हरिजन बस्ती में आ बसे। ऐसे में यूआईटी द्वारा इन लोगों का ताजा लिस्ट में फिर से पुनर्वास कर दिया गया।
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कलेक्टर से बड़े यूआईटी सचिव
इस मामले में यूआईटी सचिव राजेश जोशी कलेक्टर हरिमोहन मीना से बड़े नजर आए।
मामले की जानकारी के लिए जोशी को लगातार तीन दिन तक फोन किया गया। व्हाट्सएप मैसेज भी छोड़ा गया, लेकिन इसके बाद भी जोशी ने जवाब देना जरूरी नहीं समझा।
वही कलेक्टर ने एक बार में ही फोन उठा लिया। कलेक्टर ने मामले को दिखाने की बात कही है।