Indian Railways : लोकसभा में उठा भ्रष्ट रेल अधिकारियों का मुद्दा, अधिकारियों ने भेजे गोलमोल जवाब

लोकसभा में उठा भ्रष्ट रेल अधिकारियों का मुद्दा, अधिकारियों ने भेजे गोलमोल जवाब
कोटा। लोकसभा में पश्चिम-मध्य रेलव में भ्रष्ट अधिकारियों का मुद्दा भी गुंजा है। हालांकि पश्चिम-मध्य रेलवे अधिकारियों ने प्रश्नों के गोलमोल उत्तर भेजे हैं।
नर्मदापुरम (होशंगाबाद) के सांसद उदय प्रताप सिंह ने लोकसभा में पूछा कि क्या सरकार को पश्चिम-मध्य रेलवे खासकर भोपाल में भ्रष्टाचार और अनियमितताओं की शिकायतें प्राप्त हुई हैं? यदि हुई हैं तो कृपया इसकी जानकारी दें।
इसके अलावा उदय प्रताप ने सरकार से पिछले 2 सालों और चालू वित्तीय वर्ष में शिकायत प्राप्त अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही के बारे में भी पूछा। साथ ही उदय प्रताप ने सरकार से भ्रष्टाचार और अनियमितता रोकने की योजना के बारे में भी जानकारी मांगी।
इसके बाद सांसद को जवाब देने के लिए सरकार ने पश्चिम-मध्य रेलवे से इन प्रश्नों के उत्तर मांगे। अधिकारियों ने सरकार को इन प्रश्नों के अधूरे उत्तर भेज दिए। यही उत्तर रेल मंत्री ने सांसद को अपने जवाब में दे दिए।
अधिकारियों ने माना भ्रष्टाचार है
इन प्रश्नों के जवाब में अधिकारियों ने स्वीकार किया कि निविदाओं में अनियमितताएं, कर्मचारियों के स्थानांतरण और तैनाती तथा खानपान स्टालों से अवैध वसूली संबंधी शिकायतें प्राप्त हुई हैं। हालांकि अधिकारी इस भ्रष्टाचार में शामिल ऑफिसरों की जानकारी देने से बचते नजर आए।
एक अन्य प्रश्न का जवाब अधिकारियों ने यह उपलब्ध कराया कि जांच के बाद भ्रष्टाचार के मामलों में कार्यवाही की जाती है। पिछले 2 सालों और चालू वित्तीय वर्ष में असहमति सूची में शामिल अधिकारियों को असंवेदनशील पदों पर स्थानांतरण किया गया है। साथ ही कई अधिकारियों की वित्तीय शक्तियां भी वापस चली गई हैं। उसके अलावा इन अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर भी नजर रखी जा रही है।
हालांकि अधिकारी अपने जवाब में कार्रवाई में शामिल ऑफिसरों के नाम गोल कर गए।
एक अन्य प्रश्न का उत्तर अधिकारियों ने यह दिया कि भ्रष्टाचार और अनियमितता रोकने के लिए समय-समय पर जरूरी कार्रवाई की जाती है। लेकिन अधिकारियों ने इस कार्रवाई का ब्यौरा उपलब्ध कराना जरूरी नहीं समझा।
भोपाल का है ताजा मामला
उल्लेखनीय है कि भ्रष्टाचार और अनियमितता का ताजा मामला भोपाल मंडल का है। यहां पर वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक पद पर तैनात विजय प्रकाश का नाम एग्रीड लिस्ट में शामिल है। इस लिस्ट में नाम शामिल होने के बाद रेलवे ने विजय प्रकाश की वित्तीय शक्तियां वापस ले रखी हैं। इसके बाद भी अधिकारी विजय प्रकाश का स्थानांतरण करना जरूरी नहीं समझ रहे। जबकि नियमानुसार एग्रीड लिस्ट में नाम आने के बाद अधिकारी का स्थानांतरण किया जाना चाहिए। समय पर स्थानांतरण नहीं होने से विजय प्रकाश पिछले करीब 4 महीने से बिना वित्तीय अधिकारों के ही काम कर रहे हैं। जबकि वाणिज्य में अधिकतर काम पैसों के लेन-देन का ही होता है।
उल्लेखनीय है कि एग्रीड लिस्ट में उन अधिकारियों का नाम शामिल किया जाता है जिन पर वित्तीय अनियमितता के गंभीर आरोप होते हैं।
कोटा पोस्टिंग के दौरान भी सामने आई थी अनियमितता
उल्लेखनीय है कि विजय प्रकाश की कोटा मंडल में तैनाती के समय भी अनियमितताओं के मामले सामने आए थे। एक प्रमुख मामला कार पार्किंग स्टैंड के अवैध संचालन का भी सामने आया था। रेलवे बोर्ड और मुख्यालय विजिलेंस जांच में भी यह बात साबित हुई थी।
करीब 2 साल पहले निरीक्षण के दौरान मंडल रेल प्रबंधक पंकज शर्मा ने इस फर्जी कार पार्किंग मामले में तत्कालीन वाणिज्य निरीक्षक हरिराम के मौके पर ही निलंबन के आदेश भी दिए थे।
उल्लेखनीय है कि कोटा बूंदी के जोनल रेलवे सलाहकार समिति सदस्य (जेडआरयूसीसी) अनिल जैन ने भी विभिन्न बैठकों, ट्विटर और पत्र के माध्यम से विजय प्रकाश की कई शिकायतें की थीं। समाचार पत्रों में भी यह मामले सामने आए थे। लेकिन तब इन मामलों में उचित कार्रवाई नहीं हो सकी थी।