Indian Railways : 50 हजार से ढाई लाख लाख तक है एक आरपीएफ पोस्ट की कमाई, ऊपर तक जाती है बंधी, इसलिए नहीं होती कभी कोई कार्रवाई

Indian Railways : 50 हजार से ढाई लाख लाख तक है एक आरपीएफ पोस्ट की

कमाई, ऊपर तक जाती है बंधी, इसलिए नहीं होती कभी कोई कार्रवाई

Kota Rail News : कोटा मंडल में रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) पोस्ट और चौकी की हर महीने की कमाई 50 हजार से ढाई लाख रुपए तक है। इसमें सबसे अधिक कमाई अवैध वेंडरों से होती है। इसके अलावा टिकट दलाल, रेलवे भूमि पर अतिक्रमण करने वालों, स्टेशन के बाहर और रेलवे परिसर में लगने वाले खानपान के ठेले और गुमटियों से होती है। सबसे अधिक कमाई गर्मियों और त्योहारी के सीजन में होती है। क्योंकि इस समय यात्रियों की संख्या भी बढ़ती है और रेलवे द्वारा स्पेशल ट्रेनों का भी संचालन किया जाता है। इनमें से कई ट्रेनों में पैंट्रीकार भी नहीं होती। जिसका सबसे ज्यादा फायदा अवैध वेंडर उठाते हैं।
कोटा में सबसे ज्यादा कमाई
मंडल में सबसे ज्यादा कमाई की पोस्ट कोटा की मानी जाती है। कोटा में आधा दर्जन से अधिक खान पान स्टॉलों पर अवैध वेंडर चलते हैं। रेलवे ने एक स्टॉल पर 24 घंटे में 8 अतिरिक्त वेंडर चलाने की अनुमति दे रखी है। पहली और दूसरी पारी में तीन-तीन तथा रात में दो वेंडर चलाने के आदेश हैं। पहचान के लिए पारी के हिसाब से इन वेंडरों की अलग-अलग वर्दी होना भी जरूरी है। साथ ही पहचान-पत्र पर भी पारी का समय लिखा जाना जरूरी है। लेकिन इसके बाद भी यह आठों वेंडर 24 घंटे चलते नजर आते हैं। इसकी एवज में आरपीएफ प्रत्येक स्टाल से हर महीने 20 हजार रुपए महिना वसूल करती हैं।
ट्रेन वेंडरों से चार हजार
इसके अलावा ट्रेनों में चलने वाले प्रत्येक अवैध वेंडर से आरपीएफ चार हजार रुपए महिना वसूल करती है। कोटा के वेंडर रामगंजमंडी और माधोपुर तक चलते हैं। ऐसे में कोटा के वैंडरों को रामगंजमंडी और माधोपुर में भी बंधी देनी पड़ती है। इसी तरह रामगंजमंडी और सवाईमाधोपुर की तरफ से आने वाले वेंडरों को भी कोटा में रिश्वत देनी पड़ती है। इन वेंडरों की संख्या सैकड़ों में है। आरपीएफ ने वेंडरों के लिए ट्रेनों का भी बंटवारा कर रखा है।
ट्रॉली वाले से तीन हजार
इसके अलावा आरपीएफ प्रत्येक ट्रॉली वालों से तीन हजार रुपए हर महीने लेती है। इसकी एवज में इन ट्रॉली वालों को अवैध वेंडर रखने, यात्रियों को मनमानी कीमत पर तथा अनएप्रूव्ड खाद्य सामग्री बेचने की छूट है। कोटा में एक दर्जन से अधिक ट्रॉलियां हैं।
इसके अलावा स्टेशन के बहार चाय-पानी, दाल-बाटी तथा बीड़ी-सिगरेट आदि का ठेला लगाने वालों से भी आरपीएफ हर महीने तीन हजार रुपए वसूल करती है।
स्टेशन के बहार ऐसे करीब डेढ़ दर्जन ठेले लगे हुए हैं।
कॉलोनी ठेले वालों से दो हजार
इसी तरह रेलवे कॉलोनी क्षेत्र में लगने वाले फल फ्रूट आदि के ठेले वालों से आरपीएफ दो हजार रुपए महिना वसूल करती है। अंडर पास से लेकर रेलवे अस्पताल तक ऐसे एक दर्जन से अधिक ठेले खड़े रहते हैं। इसके अलावा माल गोदाम में लगने वाले चाय-नाश्ते के ठेले वालों से भी आरपीएफ हर महीने तीन हजार रुपए वसूलती है।
हर स्टेशन का यही हाल
सूत्रों ने बताया कि कोटा जैसा हाल हर स्टेशन का है। सभी जगह इसी तरह वसूली की जाती है। अंतर सिर्फ इतना है कि कई स्टेशनों पर यह कमाई ज्यादा है कहीं पर कम है।
मंडल में कोटा के अलावा सवाईमाधोपुर, गंगापुर, बयाना, भरतपुर, बूंदी, बारां, रामगंजमंडी, भवानीमंडी तथा शामगढ़ में आरपीएफ पोस्ट और चौकी है।
15 प्रतिशत तक जाता है ऊपर
इस अवैध में से कमाई में से 10 से 15 प्रतिशत हिस्सा ऊपर तक जाता है। ऊपर के दबाव के चलते ही अवैध वसूली की राशि में बढ़ोतरी की जाती है। जो जितनी अधिक कमाई करके देता है वह अधिकारियों की नजर में उतना ही अच्छा प्रभारी होता है।
वाणिज्य विभाग भी पीछे नहीं
इस बहती गंगा में हाथ धोने के लिए वाणिज्य विभाग भी पीछे नहीं। अवैध गतिविधियों के लिए दोनों ही एक दूसरे को जिम्मेदार ठहराते हैं। अवैध वेंडर, ओवर चार्जिंग और अनएप्रूव्ड सामान बेचने से रोकने के लिए वाणिज्य विभाग ने स्टेशन पर 24 घंटे अपने सुपरवाइजर और खानपान निरीक्षक तैनात कर रखे हैं। लेकिन इसके बाद भी स्टेशन पर यह सब खुलेआम चल रहा है। प्लेटफार्म पर लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज में अवैध वेंडरों को रोज देखा जा सकता है।
दलाल के जरिए वसूले जाते हैं पैसे
वाणिज्य और आरपीएफ वाले यह पैसा दलाल के जरिए वसूलते हैं। पैसा वसूलने के लिए दोनों विभागों ने अपने दलाल छोड़ रखें हैं। आरपीएफ के दलाल हमेशा बिना वर्दी के नजर आते हैं। ड्यूटी पर भी यह दलाल बिना वर्दी के ही रहते हैं।
प्रशासन नहीं करता कार्रवाई
ऐसा नहीं है प्रशासन को इन सब मामलों की जानकारी नहीं हो। आए दिन यह मामले समाचार पत्रों में छपते रहते हैं। इसके अलावा यात्री भी ट्वीट और अन्य माध्यमों से लगातार शिकायत करते रहते हैं। लेकिन प्रशासन की तरफ से मामले में कभी कोई ठोस कार्रवाई की जानकारी पिछले ढाई साल में सामने नहीं आई है।
ऐसा भी नहीं है कि भ्रष्टाचार मिटाने के लिए जिम्मेदार विजिलेंस और खुशियां विभाग इस मामले से अनजान हो। बल्कि कई मामलों में तो यह संस्थाएं प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रुप से इनका सहयोग करती नजर आती है। क्योंकि स्टेशन पर और ट्रेनों में खाना और पानी सबको फ्री चाहिए और यह काम अवैध धंधा करने वाले बखूबी निभाते हैं। यही कारण है कि कोटा मंडल में भ्रष्टाचार दिन दुगनी और रात चौगुनी उन्नति कर रहा है।
वाणिज्य और आरपीएफ अधिकारी को पकड़ चुकी है एसीबी
उल्लेखनीय है कि रेलवे में चल रहे भ्रष्टाचार के चलते ऐसीबी पिछले 22 दिन में वाणिज्य और आरपीएफ अधिकारी को पकड़ चुकी है।
31 मार्च को एसीबी ने वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक अजय पाल को 20 हजार रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया था। अजय ने यह रिश्वत अपने ही विभाग के खानपान निरीक्षक हेमराज मीणा से चार्जशीट माफ करने की एवज में दलाल के जरिए ली थी। अजय फिलहाल 2 मई तक जेल में बंद है। सितारे एसीबी ने 21 अप्रैल को रामगंजमंडी भारतीय पोस्ट प्रभारी बृजमोहन मीणा को रिश्वत लेने के आरोप में पकड़ा है। मीणा के अलावा एसीबी ने कांस्टेबल रणधीर सिंह और दलाल को भी गिरफ्तार किया है। यह लोग रामगंजमंडी के एक खानपान ट्रॉली वाले से हर महीने पांच हजार रुपए वसूलते थे।