Indian Railways : सांसदों की बैठक में डीआरएम पर भड़के राजोरिया, घर बिठाने की दी धमकी

Indian Railways : सांसदों की बैठक में डीआरएम पर भड़के राजोरिया, घर बिठाने

की दी धमकी, बैठक के औचित्य पर उठाए सवाल

Kota Rail News : रेलवे संग कोटा मंडल क्षेत्र के सांसदों की बैठक शुक्रवार को उम्मेद भवन पैलेस होटल में आयोजित हुई। बैठक में मांगे पूरी नहीं होने और रेलवे द्वारा गलत जवाब देने पर धौलपुर और करौली के सांसद मनोज राजोरिया डीआरएम पंकज शर्मा पर भड़क उठे। राजोरिया ने डीआरएम को घर बैठाने तक की धमकी दे दी। राजोरिया ने डीआरएम से पूछा कि कितना समय रह गया है रिटायरमेंट में? मुफ्त का वेतन ले रहे हो। काम नहीं होता तो कोटा में नौकरी क्यों कर रहे हो, जब सभी काम रेलवे बोर्ड को करने है तो वहीं चले जाओ चले जाओ।
दरअसल बैठक में राजोरिया ने कोरोना काल में बंद हुई ट्रेनें और ठहराव को शुरू करने तथा नई चली सोगरिया-नई दिल्ली ट्रेन का ठहराव हिंडौन सिटी में करने की मांग की थी। इस पर डीआरएम ने कहा कि रेलवे को लाभ नहीं होने के कारण ट्रेन का ठहराव हिंडौन सिटी में नहीं किया जा सकता। वैसे भी ठहराव का निर्णय रेलवे बोर्ड द्वारा लिया जाता है।
तुम्हारी शक्ल देखने नहीं आए हैं
इस जवाब पर भड़के राजोरिया ने डीआरएम को खूब खरी-खोटी सुनाई। राजोरिया ने कहा कि ट्रेन के बिना ठहराव के कैसे पता चलेगा कि रेलवे को लाभ हो रहा या घाटा। बैठक में राजोरिया ने डीआरएम से यहां तक कह दिया कि वह तुम्हारी शक्ल देखने यहां नहीं आए हैं।
अधिकारी नहीं देते जानकारी
बैठक के बाद पत्रकारों से चर्चा के दौरान राजोरिया ने कहा कि जनप्रतिनिधियों के साथ अधिकारियों का बहुत गैर जिम्मेदाराना व्यवहार रहता है। मांगने पर भी अधिकारियों द्वारा उन्हें कोई जानकारी उपलब्ध नहीं करवाई जाती। हिंडौन सिटी स्टेशन के सौंदर्यीकरण के बारे में पूछने पर भी अधिकारियों ने उन्हें कभी कुछ नहीं बताया। राजोरिया ने बताया कि अधिकारियों ने उनके क्षेत्र में चल रहे हैं विकास कार्यों की जानकारी देना कभी भी जरूरी नहीं समझा।
राजोरिया ने दी चेतावनी
राजोरिया ने कहा कि रेलवे द्वारा गांव के एक स्कूल के पास अतिक्रमण किया जा रहा है। मना करने के बाद भी रेलवे यहां पर बाउंड्री वॉल बनाने में लगी हुई है। राजोरिया ने रेलवे प्रशासन को चेतावनी दी कि वह अपनी मांगे मनवाकर रहेंगे। चाहे इसके लिए उन्हें बड़ा आंदोलन भी क्यों ना करना पड़े।
गलत जवाब देने पर दुष्यंत सिंह भी भड़के
रेलवे द्वारा गलत जवाब देने पर झालावाड़ और बारां के सांसद दुष्यंत सिंह भी अधिकारियों पर भड़क उठे। दुष्यंत सिंह ने रेलवे से जयपुर-कोयंबटूर, मैसूर और चेन्नई ट्रेन का ठहराव चौमहला में करने की मांग की थी। इसके जवाब में रेलवे ने दुष्यंत सिंह को अवगत कराया कि विक्रमगढ़ आलोट में ट्रेनें रूकती हैं। वहां से चौमहला की दूरी करीब 22 किलोमीटर है। ऐसे में चौमहला वाले विक्रमगढ़ आलोट आकर इस ट्रेन का लाभ उठा सकते हैं। इस गलत जवाब पर दुष्यंत सिंह भड़क उठे। दुष्यंत ने कहा कि विक्रमगढ़ आलोट में यह ट्रेन कोरोना काल से पहले रुकती थी। करोना के बाद से विक्रमगढ़ आलोट में यह ट्रेन नहीं रुक रही है। इसके बाद अधिकारियों से इस बात का कोई जवाब देते नहीं बना। इसके अलावा दुष्यंत ने लोकल ट्रेनों में वसूले जा रहे मेल- एक्सप्रेस के किराए का भी जोरदार विरोध किया। दुष्यंत ने कहा कि लोकल ट्रेनों का किराया भी अचानक दो से तीन गुणा करने से गरीब यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
अन्य सांसदों ने भी की मांग
इसके अलावा बैठक में मौजूद टोंक-सवाई माधोपुर के सांसद सुखबीर सिंह जौनपुरिया एवं चित्तौड़गढ़ सांसद सीपी जोशी सहित मथुरा, मंदसौर और उज्जैन के सांसद के प्रतिनिधियों ने कोरोना का हाल में बंद ट्रेनें और ठहराव को दूबारा शुरू करने की मांग की।
बैठक के औचित्य पर उठाए सवाल
मीटिंग में मौजूद सभी सांसदों ने एक स्वर में बैठक के औचित्य पर ही सवाल उठा दिए। सांसदों ने कहा कि जब सभी मांगों का हल रेलवे बोर्ड द्वारा किया जाएगा तो ऐसी बैठकों का फायदा क्या है। चित्तौड़गढ़ सांसद सीपी जोशी ने कहा कि जब सभी काम रेलवे बोर्ड द्वारा किए जाएंगे तो ऐसी बैठकों में रेलवे बोर्ड के अधिकारियों को भी शामिल किया जाना चाहिए। नहीं तो लोकसभा सत्र के दौरान दिल्ली में यह बैठक आयोजित की जानी चाहिए। ताकि मांगों का तुरंत समाधान हो सके।
बैठक में पहुंचे 5 सांसद और तीन जनप्रतिनिधि
बैठक में पांच सांसद और तीन जनप्रतिनिधि ही पहुंचे। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने अपना कोई जनप्रतिनिधि तक भेजना जरूरी नहीं समझा।
बुलाकर मीडिया को निकाला बाहर
इस बार भी बैठक में प्रशासन का रवैया मीडिया के प्रति बेपरवाह नजर आया। प्रशासन ने पहले तो बैठक के लिए मीडिया को बुला लिया। लेकिन बाद में सभी को बैठक से बाहर निकाल दिया।
इतना ही नहीं प्रशासन का मीडिया कर्मियों के साथ सौतेला व्यवहार भी नजर आया। प्रशासन ने कुछ मीडिया कर्मियों को अंदर बैठने की अनुमति दे दी। बाकी सब को बाहर निकाल दिया।
मीडिया ने प्रशासन के इस रवैया पर अपनी गहरी नाराजगी दर्ज कराई है। मनोज राजोरिया ने भी प्रशासन के इस रवैया को पूरी तरह गलत बताया।