Indian Railways : रतलाम कोर्ट ने कोटा के गार्ड को सुनाई 10 साल की सजा, नाबालिक से की थी छेड़छाड़, जानवरों तक से गलत काम के आरोप

Indian Railways : रतलाम कोर्ट ने कोटा के गार्ड को सुनाई 10 साल की सजा,

नाबालिक से की थी छेड़छाड़, जानवरों तक से गलत काम के आरोप

Kota Rail News : रतलाम कोर्ट ने शुक्रवार को कोटा के एक गार्ड इंद्रपाल सिंह को 10 साल की सजा सुनाई है। अदालत ने यह सजा नाबालिग से छेड़छाड़ के 6 साल पुराने मामले में दोषी साबित होने पर सुनाई है। सजा के बाद इंद्रपाल को जेल भेज दिया गया।
रतलाम जीआरपी ने बताया कि 16 अप्रैल 2016 की रात एक परिवार अमृतसर-बांद्रा पश्चिम एक्सप्रेस में सफर कर रहा था। इसी ट्रेन में गार्ड इंद्रपाल (46) भी मौजूद था।
मौका देखकर गार्ड ने बर्थ पर सो रही परिवार की 12 वर्षीय नाबालिग युवती से छेड़छाड़ कर दी। इस पर युवती ने शोर मचा दिया। शोर होने पर परिजन और अन्य यात्री जाग गए। परिजनों ने मामले की शिकायत टीटीई से कर दी। टीटीई ने मामले की सूचना जीआरपी को दे दी। इस दौरान मौका देखकर इंद्रजीत भाग खड़ा हुआ। इसके बाद जीआरपी ने परिजनों की रिपोर्ट पर पोक्सो एक्ट में मामला दर्ज कर इंद्रजीत की तलाश शुरू कर दी। 2 दिन बाद जीआरपी ने इंद्रजीत को गिरफ्तार कर अदालत में पेश किया। यहां से इंद्रजीत को जेल भेज दिया गया। कुछ महीनों बाद इंद्रजीत जमानत पर रिहा हो गया।
इसके बाद यह मामला लगातार मेघनगर कोर्ट में चल रहा था। फैसले के दिन सभी पक्षों को सुनने के बाद अदालत में इंद्रपाल सिंह को 10 साल सश्रम कारावास की सजा सुनाई। साथ ही 30 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया।
जानवरों को भी नहीं छोड़ा
उल्लेखनीय है कि इंद्रपाल (46) सुभाष कॉलोनी कोटा का रहने वाला है। इंद्रपाल के खिलाफ विभिन्न थानों में रेप सहित छेड़छाड़ के दर्जनों मुकदमें दर्ज हैं। इन आरोपों में तुरंत जमानत नहीं मिलने पर इंद्रपाल कई बार कई महीनों के लिए जेल में भी रह चुका है।
कोटा में एक होटल में रेप के आरोप में इंद्रपाल से भरतपुर सेवर जेल में करीब डेढ़-दो साल तक बंद भी रह चुक है। यह मामला अभी भी विचाराधीन है।
इसके अलावा इंद्रपाल चित्तौड़गढ़ में एक गाय के बछड़े को भी अपना शिकार बना चुका है। इस विश्व हिंदू परिषद ने इंद्रपाल की जोरदार पिटाई की थी तथा चित्तौड़ नहीं आने के लिए पाबंद कराया था।
इसी तरह लाखेरी और अलनिया स्टेशन में एक मजदूर परिवार की किशोरी के साथ इंद्रपाल ने छेड़छाड़ की थी। तब मजदूरों ने पेड़ से बांधकर चंद्रपाल की जोरदार पिटाई की थी।
फिर शर्मसार हुआ कोटा
अजय पाल के बाद कोटा मंडल एक बार फिर शर्मसार हो गया। वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक अजय पाल की तरह दर्जनों शिकायत के बाद भी प्रशासन ने इंद्रपाल के खिलाफ समय रहते कोई कार्रवाई करना जरूरी नहीं समझा। नतीजा एक महीने में ही कोटा दूसरी बार शर्मसार हो गया।
कार्रवाई तो दूर प्रशासन ने इंद्रपाल को पदोन्नति का तोहफा दे दिया। इंद्रपाल को मालगाड़ी से हटाकर सवारी गाड़ी का गार्ड बना दिया। इस तरह प्रशासन ने अपनी हरकतें जारी रखने के लिए इंद्रपाल को और मौके दे दिए। यह जानते हुए भी कि गार्ड के डिब्बे के पास महिलाओं का कोच होता है। प्रशासन ने महिलाओं की सुरक्षा आरोपी को गार्ड के हवाले कर दी। जबकि प्रशासन ने कई गार्डों को ऑफिस में बिठा रखा है और आरोपी गार्ड को छूट दे दी। अगर प्रशासन ने पहले के मामलों को संज्ञान लिया होता तो संभवत यह रतलाम वाला कांड नहीं होता।